रेलकर्मियों को कोरोना से लड़ने में मदद कर रहा इनका बनाया मास्क और सैनिटाइजर
उन्होंने बताया कि मास्क के लिए वह अपने दोस्त की दुकान से कपड़ा खरीदकर लाते हैं। दस दिनों पहले कपड़े सिलने वाला धागा समाप्त हो गया। दुकानें बंद थीं तो उन्होंने रेल कॉलोनी के तमाम घरों में जाकर धागे का संग्रह किया और फिर मास्क बनाया। उनका लक्ष्य डेढ़ हजार मास्क बनाने का है, इसमें नौ सौ से अधिक मास्क वह बना चुके हैं। एक मास्क पर लगभग 15 रुपये का खर्च आता है।
उन्होंने बताया कि सैनिटाइजर बनाने की प्रेरणा उन्हें वरिष्ठ मंडल इलेक्ट्रिक अभियंता संजीव कुमार और मंडल रेल प्रबंधक सुनील कुमार से मिली। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुरूप सैनिटाइजर बनाने का तरीका बताया। इसके बाद वह बाजार से रिफाइंड अल्कोहल, ग्लिसरॉल और हाइड्रोजन पाराक्साइड खरीदकर लाए। तय मानक के अनुपात में सबका मिश्रण बनाकर इसमें मिनरल वाटर डाला।
अभी तक वह 200 लीटर से अधिक सैनिटाइजर बना चुके हैं। वह इसका सारा खर्च वह अपने वेतन से ही कर रहे हैं। दानापुर रेल मंडल के प्रबंधक सुनील कुमार कहते हैं, मुख्य क्रू नियंत्रक एसएनपी गुप्ता कोरोना से जंग के में एक महत्वपूर्ण योद्धा हैं। उनका काम सराहनीय है। रेलवे की ओर से उन्हें शीघ्र ही सम्मानित किया जाएगा।