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विधानसभा चुनाव-2023: पूर्वी राजस्थान की 86 सीटों के लिए यह प्रोजेक्ट बनेगा सबसे बड़ा मुद्दा

राजस्थान के इसी साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में पूर्वी राजस्थान के सबसे बड़े मुद्दों (Big Issue) में से एक ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट (Eastern Rajasthan Canal Project)  बनेगा. इसका असर 13 जिलों में प्रदेश की आधी से कुछ कम यानि 86 विधानसभा सीटों (Assembly Seats) पर पड़ने वाला है. तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की लाइफलाइन बनने वाले इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट (Important Project) की लेटलतीफी के लिए दोनों ही बड़े दल एक-दूसरे को दोषी ठहराते रहे हैं.

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से 13 जिले की 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि और तीन करोड़ से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे. कांग्रेस इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की लगातार मांग की जा रही है.

40 हजार करोड़ रूपये की है ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, बूंदी, कोटा, बारां और झालावाड़ समेत 13 जिले शामिल हैं. पूर्वी राजस्थान के यह जिले हाड़ौती, मेवात, ढूंढाड़, मेरवाड़ा और ब्रज संभाग में आते हैं. ईआरसीपी का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन पूर्वी जिलों में करना है, जहां पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव रहता है. इस परियोजना की लागत करीब 40 हजार करोड़ रूपये आंकी गई है.

ईआरसीपी के आधे जिलों में कांग्रेस है मजबूत
ईआरसीपी के तहत आने वाले 13 जिलों में विधानसभा की कुल 86 सीटें आती हैं. इन जिलों में से आधे जिलों में कांग्रेस मजबूत रही है. भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर,टोंक, दौसा जिलों में तो बीजेपी के पास केवल एक धौलपुर की सीट पर बीजेपी की विधायक है. पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ईआरसीपी के मुद्दे का उठाकर फिर से पकड़ मजबूत बनाना चाहती है. कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि ईस्टर्न कैनाल के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने का पार्टी को फायदा मिल सकता है.

‘राष्ट्रीय परियोजना घोषित न करना वादाखिलाफी’
ईआरसीपी को लेकर प्रदेश में राजनीति चरम पर है. कांग्रेस ईस्टर्न कैनाल को नेशनल प्रोजेक्ट घोषित करने की मांग को लेकर राजधानी जयपुर सहित 13 जिलों में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर चुकी है. सीएम अशोक गहलोत भी सीधे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री पर निशाना साध चुके हैं. गहलोत ने कहा कि होना ये चाहिए था कि उन्हें पहले से चल रहे 16 नेशनल प्रोजेक्ट के साथ ईआरसीपी को भी 17वें नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा दिलवाकर पीएम के वादे को पूरा करवाना चाहिए था. लेकिन उनकी उनकी राजस्थान की अन्य परियोजनाओं में तो कोई रुचि है ही नहीं, परंतु उनके अपने विभाग की महत्वपूर्ण परियोजना ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने के प्रति भी कोई रुचि नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करने को जनता से वादाखिलाफी और विश्वासघात की संज्ञा दी.

‘कांग्रेस ईआरसीपी के नाम पर जनता को दे रही धोखा’
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के मुताबिक ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की जा रही है. लेकिन हमने इसे नदी जोड़ने के नेशनल पर्सपैक्टिव प्लान की प्राथमिकता सूची में शामिल किया है. इस प्लान में पांच प्राथमिकता वाले काम होंगे. राष्ट्रीय परियोजना में जहां भारत सरकार के अनुदान की राशि 60 प्रतिशत है, वहीं इसमें 90 प्रतिशत हो जाती है. ईआरसीपी परियोजना की लागत 40 हजार करोड़ है. हमने जो प्लान तैयार किया है, उसमें लागत केवल 21-22 हजार करोड़ है. आधी कीमत और केवल 10 प्रतिशत राज्य के सहयोग से योजना पूरी हो सकती है. कांग्रेस सरकार इस योजना को पूरी करने के बजाय 13 जिलों के सूखे कंठों की राजनीति कर जनता को धोखा दे रही है.

इस प्रोजेक्ट से पूर्वी राजस्थान में निवेश और राजस्व बढ़ेगा
बहरहाल, यह तय है कि ईआरसीपी को नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा मिले या इसे नदी जोड़ने के नेशनल पर्सपैक्टिव प्लान में शामिल किया जाए, इसे पूर्वी राजस्थान का भला होना निश्चित है. इसलिए अगले चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होने वाला है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सिंचाई के पानी और पेयजल मिलने के साथ-साथ इसके परिणामस्वरूप राज्य में निवेश और राजस्व में वृद्धि होगी. पूर्वी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में भूजल में सुधार होगा. यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सकारात्मक बदलाव लाएगा. इसके अलावा यह परियोजना विशेष रूप से दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे पर ज़ोर देते हुए इस बात की परिकल्पना करती है कि इससे स्थायी जल स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा जो क्षेत्र में उद्योगों को विकसित करने में मदद मिलेगी.