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जानें, किस देश के राजदूत ने कहा- मोदी सरकार से नहीं मिला जम्मू-कश्मीर जाने का निमंत्रण

नई दिल्ली,। भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने शनिवार को कहा कि उन्हें भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर की यात्रा का निमंत्रण नहीं मिला था। अमेरिकी राजदूत कैनेथ जस्टर समेत 15 राजदूतों के ग्रुप ने इसी हफ्ते जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा की थी और वहां चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, समाज के लोगों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों से बातचीत की थी।

अगर मुझे निमंत्रण मिलता तो मैं विचार करता

पत्रकारों से बातचीत में कुदाशेव ने कहा, ‘मुझे इस टीम का हिस्सा बनने के लिए आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला। यह निजी यात्रा नहीं थी। मेरे सहयोगियों (अन्य राजदूतों) को निमंत्रण मिला था। यात्रा करने का फैसला उनका था। अगर मुझे मिलता तो मैं विचार करता।’

कश्मीर की स्थिति पूरी तरह भारत का अंदरूनी मामला

उन्होंने आगे कहा, ‘हम मानते हैं कि वहां (कश्मीर) की स्थिति पूरी तरह भारत का अंदरूनी मामला है। रूसी कूटनीति की आदत अपने मित्र साझीदारों के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी करने की नहीं है। अगर किसी के पास कश्मीर को लेकर सवाल हैं तो वह वहां जा सकता है.. हमारे पास कोई सवाल नहीं है।’

एस-400 मिसाइलों की पहली खेप इस साल के आखिर में भारत पहुंच सकता है

एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली पर उन्होंने कहा कि मिसाइलों की पहली खेप इस साल के आखिर या 2021 की शुरुआत तक भारत पहुंच जाएगी।

15 देशों के राजनयिकों को तीन दशकों से विस्थापित कश्मीरी पंडित ने सुनाई आपबीती

‘यह रैन बसेरा है, घर नहीं। हमारा सिर्फ कत्ल नहीं हुआ, हमारा वजूद मिटाया गया है। आप ही बताएं, जब किसी पेड़ को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाए तो क्या होगा। इसलिए हम अपनी जड़ों (कश्मीर) में लौटना चाहते हैं। यह तभी होगा जब किसी के दिल में इस्लामिक आतंकवाद का खौफ न हो, रिवर्सल ऑफ जिनोसाइड हो। हमें रिलीफ नहीं चाहिए। सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को वादी में किसी एक ही जगह बसाया जाए, ताकि हम सुरक्षा-शांति और विश्वास की सांस ले सकें।’ यह बात जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने आए 15 देशों के राजनयिकों के समक्ष एक विस्थापित कश्मीरी पंडित ने जरूर कही, लेकिन यह दर्द तीन दशकों से अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह गए कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रत्येक नागरिक का था।