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टोक्यो की बादशाहत खत्म, दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर इन दो मुस्लिम देशों में, दिल्ली किस नंबर पर?


World’s Largest City 2025 UN Report: संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अध्ययन ने वैश्विक शहरों की आबादी की तस्वीर बदल दी है. नई, अधिक सटीक शहरी-परिभाषा पद्धति अपनाने के बाद इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता को दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर घोषित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड अर्बनाइजेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार, जकार्ता (Jakarta) की आबादी लगभग 4.2 करोड़ (42 मिलियन) है, जिसने टोक्यो (Tokyo) को पीछे छोड़कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है. वहीं दूसरे स्थान पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका है. जबकि टोक्यो तीसरे नंबर पर फिसल गया है. 

संयुक्त राष्ट्र के नए अध्ययन में तेजी से बढ़ती शहरीकरण प्रक्रिया और मेगासिटीज के विस्तार को अधिक सटीक तरीके से समझने के लिए अपनाए गए नए मानकों का प्रयोग किया गया है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका 3.7 करोड़ (37 मिलियन) लोगों के साथ दूसरे स्थान पर है. टोक्यो को तीन संबंधित प्रीफेक्चर्स को शामिल करते हुए एक मेगालोपोलिस के रूप में परिभाषित किया गया है. टोक्यो 3.3 करोड़ (33 मिलियन) लोगों के साथ तीसरे स्थान पर आ गया है. टोक्यो की आबादी घटती हुई बताई गई है, क्योंकि 2018 की पिछली UN रिपोर्ट में टोक्यो को 3.7 करोड़ की आबादी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा शहर बताया गया था. वहीं जकार्ता 1970 के दशक तक कुछ ही मिलयन आबादी वाला शहर था, जो तेजी से बढ़ते शहरीकरण का प्रमाण पेश करता है. 

टॉप-10 में कौन-कौन से देश?

टॉप-3 में जकार्ता, ढाका और टोक्यो के बाद भारत की राजधानी दिल्ली का नंबर है. 3.02 करोड़ की आबादी के साथ दिल्ली चौथे नंबर पर है. शंघाई (चीन) 2.9 करोड़, ग्वांगझू (चीन) 2.76 करोड़, मनीला (फिलीपींस) 2.47 करोड़ की आबादी है. इसके बाद फिर से भारत का एक शहर है. कोलकाता 2.25 करोड़ की आबादी के साथ आठवें स्थान पर है. वहीं दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल 2.25 करोड़ की आबादी के साथ नौवें स्थान पर है. टॉप 10 में एशिया के बाहर एकमात्र शहर मिस्र की राजधानी काहिरा है, जिसकी आबादी 32 मिलियन है. दक्षिण अमेरिका में सबसे बड़ा शहर साओ पाउलो (ब्राजील 1.89 करोड़) है, जबकि लागोस (नाइजीरिया) उप-सहारा अफ्रीका का सबसे बड़ा शहर बन चुका है.

नए मानकों की वजह से बदली रैंकिंग

दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में टॉप-10 में एशिया के ही देश हैं. एकमात्र 10वां शहर अफ्रीकन सिटी काहिरा है. वहीं टॉप 33 में से 19 एशिया में हैं. अमेरिका और यूरोप के शहर आबादी के लिहाज से काफी कम हैं. UN अधिकारियों के अनुसार शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए अपनाई गई नई और एकरूप पद्धति ने रैंकिंग को बदल दिया है. पिछली रिपोर्टों में देशों द्वारा दी गई असमान परिभाषाओं के कारण टोक्यो की आबादी को प्राथमिकता मिलती थी. संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट में शहरीकरण की परिभाषाओं में देशों के बीच असंगति को दूर करने के लिए नए मानक अपनाए हैं. नई UN परिभाषा के अनुसार, किसी शहर को माना जाएगा अगर 

  • वह एक किलोमीटर वर्ग ग्रिड में लगातार बसा हो, 
  • जहां 1,500 लोग प्रति वर्ग किमी से अधिक जनसंख्या घनत्व हो, 
  • कुल आबादी 50,000 से अधिक हो.

दुनिया भर में शहरी आबादी तेजी से बढ़ी

रिपोर्ट के अनुसार 1950 में दुनिया की 2.5 अरब जनसंख्या में केवल 20% लोग शहरों में रहते थे. आज, 8.2 अरब की वैश्विक जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा शहरों में रहता है. रिपोर्ट का अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक आबादी की दो-तिहाई वृद्धि शहरों में होगी और बाकी एक-तिहाई कस्बों में. मेगासिटीज (1 करोड़ से अधिक आबादी वाले शहर) की संख्या भी बढ़कर 1975 में 8 से 2025 में 33 हो गई है.

टोक्यो में आबादी घटी, लेकिन फिर बढ़ रही है 

टोक्यो का 3.3 करोड़ का महानगरीय क्षेत्र सैतामा, चिबा और कनागावा प्रीफेक्चर तक फैला है. कनागावा में 37 लाख आबादी वाला योकोहामा शहर भी शामिल है. नई परिभाषा के अनुसार, टोक्यो 2010 तक दुनिया का सबसे आबादी वाला शहर था. अध्ययन में शामिल व्यापक टोक्यो क्षेत्र हाल के वर्षों में जापान की तरह जनसंख्या गिरावट का सामना कर रहा है, लेकिन टोक्यो शहर की आबादी बढ़ रही है. कोविड-19 के दौरान नेट माइग्रेशन में कमी आई थी, लेकिन अब फिर से बढ़ रहा है, खासकर नौकरी और शिक्षा के अवसरों की तलाश में आने वाले युवाओं के कारण.

तेजी से बढ़ते शहर: ढाका और जकार्ता

ढाका की आबादी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि ग्रामीण इलाकों से लोग बेहतर अवसरों की तलाश में शहर की ओर पलायन कर रहे हैं. कई लोग बाढ़, समुद्र-स्तर वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इलाकों से भी राजधानी की ओर आ रहे हैं. वहीं जावा द्वीप के पश्चिम में स्थित यह तटीय और बेहद अधिक आबादी वाला शहर जकार्ता भी जलवायु संकट का सामना कर रहा है. अनुमान है कि 2050 तक शहर का लगभग एक-चौथाई हिस्सा पानी में डूब सकता है.

असमानता और महंगाई का संकट

स्थिति इतनी गंभीर है कि इंडोनेशियाई सरकार बोर्नियो द्वीप के पूर्वी कालिमंतन प्रांत के नुसांतारा में नई राजधानी बना रही है. फिर भी UN का अनुमान है कि 2050 तक जकार्ता में 1 करोड़ और लोग जुड़ जाएंगे. जकार्ता में बढ़ती जनसंख्या के साथ असमानता, महंगाई और कम आय वाले मजदूरों की कठिनाइयाँ गंभीर हो रही हैं. इसी साल हजारों लोगों ने इन मुद्दों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया था.

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