| Russia-US Envoys call for Ukraine Peace Plan tapped but who did this search from US to Europe till Moscow
Russia-US Envoys call: वाशिंगटन से लेकर यूरोप और मास्को तक एक ही आदमी की खोज हो रही है. अमेरिका ने दुनिया भर में यह पता लगाने की दौड़ शुरू कर दी है कि आखिर दो परमाणु महाशक्तियों के महत्वपूर्ण अधिकारियों के बीच हुई संवेदनशील बातचीत को किसने इंटरसेप्ट किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ और क्रेमलिन के वरिष्ठ सलाहकार यूरी उशाकोव के बीच हुई फोन कॉल की लीक हो गई. विटकॉफ और उशाकोव ने 12 अक्टूबर को यूक्रेन शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के तरीकों पर चर्चा की थी, और इसी बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट मंगलवार को ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा लीक किया गया.
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रुकवाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28 सूत्रीय पीस प्लान पेश किया. इसे रूस की एक तरह से सहमति मिल गई थी. लेकिन यूक्रेन की ओर से इस पर थोड़ी आपत्ति जताई गई. हालांकि यूएस से चर्चा के बाद इस प्लान में थोड़ा बदलाव हो गया है. हालांकि इसे आधिकारिक रूप से सामने आना बाकी है. लेकिन रूस और अमेरिका के इस सीक्रेट बातचीत की यह लीक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अटकलों का विषय बनी. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार रूसी अधिकारियों ने संकेत दिया कि किसी यूरोपीय खुफिया एजेंसी ने इस कॉल को इंटरसेप्ट किया हो सकता है.
क्या हुआ था?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ट्रांसक्रिप्ट का जिक्र किया गया, जिसमें कहा जा रहा था कि ट्रंप के यूक्रेन पीस प्लान पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अनिच्छा दिखा रहे थे. इस पर डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी सामने आई, तो स्टीव विटकॉफ ने उशाकोव से कहा कि वे पुतिन को ट्रंप को सीधे कॉल करने के लिए कहें और उन्हें बात करने का अंदाज भी सुझाया. उन्होंने कहा कि पुतिन कॉल की शुरुआत गाजा संघर्ष विराम समझौते पर ट्रंप की प्रशंसा करके करें. इसके बाद बातचीत बहुत अच्छी होगी. उसी सप्ताह पुतिन ने ट्रंप को फोन किया और बातचीत रूस के पक्ष में जाती दिखी. अगले दिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेंलेंस्की की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान, ट्रंप ने कीव की लंबी दूरी वाली टोमहॉक मिसाइलों की मांग को खारिज कर दिया.
हालांकि इस लीक के बाद भी ट्रंप ने विटकॉफ को कुछ नहीं कहा. उल्टा उन्होंने विटकॉफ का समर्थन किया, इसे सामान्य कूटनीतिक वार्ता बताते हुए कहा कि बातचीत में कुछ भी अनुचित नहीं था. यूक्रेन ने भी दूत का समर्थन किया. वहीं रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने गुरुवार को पूरे विवाद को खारिज करते हुए कहा कि लीक से कुछ भी नहीं बदला है और यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान के लक्ष्य अब भी वही हैं. रूस पोक्रोव्स्क में लगातार हमले कर रहा है. उसका लक्ष्य ऐसा लगता है कि वह बातचीत की टेबल पर बैठते समय अपने हिस्से में ज्यादा जमीन कर सके. फिलहाल माना जाता है कि रूस के कब्जे में यूक्रेन का 19% हिस्सा है. इनमें डोनबास, जापारोज्झिया, लुहांस्क, डोनेट्स्क के इलाके हैं.
किस पर है शक?
दोनों दूतों ने अपने बॉस को ठप पड़े शांति समझौते को फिर से आगे बढ़ाने के लिए कॉल पर लगे थे. लेकिन लीक ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि इतनी हाई सिक्योरिटी वाली बातचीत को सुनने की क्षमता किसके पास थी और इससे फायदा किसे हो सकता था. इसमें अमेरिका, यूरोप और रूस तीनों पक्षों ने अलग-अलग लोगों पर निशाना साधा है.
अमेरिका का निशाना रूस
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, कुछ यूरोपीय अधिकारियों ने कहा कि लीक के पीछे रूस खुद भी हो सकता है, क्योंकि रूसी सरकार या ओलिगार्की के भीतर कोई ऐसा समूह, जो युद्ध से लाभ कमा रहा है और इसे जारी रखना चाहता है. एक अधिकारी ने यहां तक कहा कि यह मॉस्को की ओर से यह संकेत भी हो सकता है कि विटकॉफ उनके नियंत्रण में हैं.
वहीं ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार को बताया कि यह लीक किसी विदेशी खुफिया एजेंसी से हुई है. उसका मानना है कि इस लीक का असली निशाना उशाकोव थे, क्योंकि उशाकोव और क्रेमलिन दूत किरिल दिमित्रिएव के बीच हुई दूसरी कॉल भी लीक हुई थी.
यूरोप का निशाना यूरोपीय देश और रूस
एक यूरोपीय अधिकारी ने कहा कि दर्जनों देशों के पास उशाकोव की कॉल को टैप करने की तकनीकी क्षमता है, क्योंकि वे एक ओपन लाइन का उपयोग कर रहे थे. हालांकि लीक का स्रोत संभवतः भले ही यूरोप है, लेकिन वे यह नहीं बता सके कि कौन सा देश. उन्होंने रूस पर भी अंदेशा जाहिर किया. उन्होंने कहा कि दिमित्रिएव की क्रेमलिन मध्यस्थ के रूप में भूमिका को लेकर अंदरूनी कलह भी कारण हो सकती है.
रूस का निशाना अमेरिका
वहीं रूस का निशाना अमेरिका पर है. यूरी उशाकोव ने एक रूसी मीडिया इंटरव्यू में इशारा किया कि उनकी कुछ बातचीत व्हाट्सऐप पर भी होती है. यह ऐप मेटा के मालिकाना हक में है. यह भले ही एन्क्रिप्टेड ऐप है, लेकिन उनकी बातचीत लीक हुई. ऐसे में यह संकेत मिलता है कि इस तरह के प्लेटफॉर्म भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं. कुछ अनुमान इस ओर भी इशारा कर रहे थे, जिसमें अमेरिकी एजेंसी के किसी असंतुष्ट सदस्या का हाथ है. क्योंकि ट्रंप यूक्रेन को किसी प्रतिकूल समझौते की ओर धकेल सकते हैं, इसलिए कॉल को लीक कर दिया गया.
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