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ईरान के अंदर बैठे हैं हमारे जासूस, मोसाद के पूर्व चीफ की रिकॉर्डिंग लीक, सामने आईं ढेरों जानकारी


Israel Spies inside Iran claims Mossad Chief: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष का इतिहास काफी पुराना है. दोनों देश पिछले महीनों में खुले तौर पर संघर्ष में आ गए थे. हालांकि यह तनाव अब तक अप्रत्यक्ष रूप से प्रॉक्सीज के जरिए लड़ा जा रहा था. जहां ईरान हिजबुल्लाह, हमास और हूथी विद्रोहियों का उपयोग कर रहा था, तो वहीं इजरायल अपने खुफिया अभियानों के जरिए इस्लामिक मुल्क में कार्रवाइयां कर रहा था. भले ही दोनों देशों के बीच अब शांति दिख रही हो, लेकिन अंदर ही अंदर बदले की आग दोनों देशों के राजनीति नेतृत्व में सुलग रही है. इसी बीच इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के पूर्व निदेशक ने बड़ा खुलासा किया है. योसी कोहेन ने कहा है कि एजेंसी ने ईरान के भीतर ही सक्रिय, विशेष यूनिटें तैनात कर रखी हैं.

टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने एक निजी सम्मेलन में कुछ बातों का खुलासा किया. इसकी रिकॉर्डिंग Haaretz अखबार के पास है. क्लिप में Cohen कहते सुनाई देते हैं कि ईरान ऐसी जगह नहीं है जहां हम परोक्ष रूप से काम करते हैं. इस महीने की शुरुआत में आयोजित एक लिमिटेड लोगों वाले सम्मेलन में उन्होंने स्थानीय लोगों का जिक्र किया जो इजरायल के निर्देश पर दूर से काम करते हैं. हारेत्ज के अनुसार, उन्होंने कहा कि मोसाद का काम अंदर जाकर भर्ती करना और खुफिया जानकारी हासिल करना है.

‘ईरान का यूरेनियम कार्यक्रम अब भी चल रहा है’

हाल ही में जून 2025 में ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन का युद्ध छिड़ा था. जिसका अंत अमेरिका के बी2बॉम्बर हमले से हुआ. अमेरिका ने ईरान के परमाणु हथियारों वाले स्थान पर हमला करने का दावा किया था. कोहेन ने यह भी खुलासा किया कि युद्ध के दौरान संभव है कि ईरान का पूरा यूरेनियम भंडार नष्ट नहीं हुआ हो. उन्होंने कहा- राष्ट्रपति ट्रम्प ने यूरेनियम भंडार के विनाश की बात कही थी. मैं कहता हूँ कि यदि पूरा नष्ट नहीं हुआ तो भी एक बहुत बड़ा हिस्सा जरूर नष्ट हुआ है. हालांकि, Cohen का आकलन यह है कि ईरान के पास अब भी समृद्ध यूरेनियम का भंडार मौजूद है और ईरानी शासन ने अपनी परमाणु महत्वाकांक्षा नहीं छोड़ी है.

सऊदी अरब के साथ होगा शांति समझौता

पूर्व मोसाद प्रमुख ने इस बातचीत के दौरान यह भी कहा कि सऊदी अरब के लिए इजरायल के साथ शांति समझौता संभव है, जिसमें फिलिस्तीनी मुद्दे को किसी तरह पीछे छोड़ देने का तरीका भी शामिल हो सकता है. कोहेन ने बताया कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच औपचारिक संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया उनके कार्यकाल के दौरान तेज होने लगी थी और वे इस मुद्दे पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से कई बार मिले थे. कोहेन ने कहा कि सऊदी नेतृत्व का मानना था कि इजरायल के साथ शांति समझौतासंभव है, जिसमें फिलिस्तीनी प्रश्न को नरम करने या हल्का दिखाने का तरीका खोजा जा सकता है.

फिलिस्तीनी मुद्दे पर हल निकालने पर बनेगी बात

कोहेन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि क्राउन प्रिंस ऐसे किसी समझौते के लिए घरेलू समर्थन जुटा सकते हैं. उन्होंने यूएई और इजरायल के समझौते का उदाहरण देते हुए कहा कि कई अरब देश फिलिस्तीन के मुद्दे को अलग रखते हुए इजरायल के साथ औपचारिक संबंध बनाने का प्रयास कर चुके हैं. उनके अनुसार, सऊदी-अरब–इजरायल समझौता दोनों देशों को पहले सामान्यीकरण आगे बढ़ाने और बाद में फिलिस्तीनी मुद्दों को हल करने का अवसर देगा. हाल ही में एमबीएस अमेरिका के दौरे पर थे, जहां दोनों देशों के बीच सैन्य और  नगारिक परमाणु से जुड़े मामलों पर समझौता हुआ. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा सुझाए गए अब्राहम एकॉर्ड में शामिल होने पर सहमति जताई थी, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर फिलीस्तीन के लिए भी बात की. 

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