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श्मशान घाट पर जिंदा हो गई महिला, घर वालों ने कर ली थी पूरी तैयारी, मंदिर में किस्मत ने बचा लिया


Thailand Woman back from dead in coffin: क्या हो कि किसी को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा हो और वह जिंदा हो जाए. थाईलैंड में ऐसी ही एक अविश्वसनीय और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां अंतिम संस्कार के लिए लाई गई एक महिला अपने ताबूत के अंदर जीवित पाई गई. बैंकॉक से लगे नॉनथाबुरी प्रांत के वाट राट प्राखोंग थाम नामक बौद्ध मंदिर ने फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें एक सफेद लकड़ी के ताबूत में रखी महिला को पिकअप ट्रक से उतारते हुए दिखाया गया है. वीडियो में महिला के हाथ और सिर में हल्की सी हरकत देखी जा सकती है, जिसे देखकर मंदिर के कर्मचारी दंग रह जाते हैं.

मंदिर के सामान्य और वित्तीय मामलों के प्रबंधक पैरत सूडथूप ने बताया कि सब कुछ एक सामान्य दाह संस्कार जैसा ही था. मंदिर के फेसबुक पेज पर जारी एक वीडियो में 65 वर्षीय महिला को एक साधारण सफेद ताबूत में स्थिर लेटी, बेहद पीली और निर्जीव दिखते हुए देखा गया. परिवार वाले अंतिम विदाई दे चुके थे. सब कुछ सामान्य लग रहा था तभी ताबूत हिलने लगा. मंदिर के सामान्य एवं वित्तीय मामलों के प्रबंधक, पैरेट सुदथूप ने सोमवार को बताया कि 65 वर्षीय महिला को उनका भाई फित्सानुलोक प्रांत से लगभग 500 किलोमीटर दूर से अंतिम संस्कार हेतु मंदिर लेकर आया था. 

मंदिर के पुजारी ने बचाई जान

पैरेट के अनुसार, जब कर्मचारी तैयारियाँ कर रहे थे, तभी उन्हें ताबूत के अंदर से धीमी ‘ठक-ठक’ की आवाज सुनाई दी. सूडथूप ने बताया कि पहली निशानी एक हल्की खटखट थी जो ताबूत के अंदर से आई. शुरुआत में उन्होंने सोचा कि शायद उन्हें भ्रम हुआ. लेकिन फिर आवाज दोबारा आई. उन्होंने एहतियातन परिवार को ताबूत खोलने को कहा.

उन्होंने बताया, “मैं थोड़ा हैरान हुआ, इसलिए मैंने कहा कि ताबूत खोलकर देख लेते हैं. सभी डर गए. मैंने देखा कि वह अपनी आँखें थोड़ी खोल रही थी और ताबूत की दीवार पर खटखटा रही थी. शायद वह काफी देर से ऐसा कर रही थी.” जैसे ही ढक्कन खोला गया, यह साफ हो गया कि वह काफी समय से अंधेरे और सन्नाटे में फंसी मदद के लिए संकेत देने की कोशिश कर रही थी.

दो वर्षों से थीं बीमार, घर वालों ने मान लिया मृत

महिला के भाई ने कर्मचारियों को बताया कि वह लगभग दो वर्षों से बिस्तर पर थीं और हाल में उनकी हालत बहुत बिगड़ चुकी थी. कुछ दिनों से वह किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दे रही थीं. दो दिन पहले उनके साँस लेने का कोई संकेत नहीं मिला, जिससे परिवार ने मान लिया कि उनका निधन हो गया है. इसके बाद भाई उन्हें ताबूत में रखकर बैंकॉक के एक अस्पताल ले गया, क्योंकि महिला पहले अंगदान की इच्छा व्यक्त कर चुकी थीं. हालाँकि, अस्पताल ने मृत्यु प्रमाणपत्र न होने के कारण शरीर को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.

मंदिर ने मुफ्त इलाज की घोषणा की

अंततः भाई उन्हें मंदिर ले आया, जहाँ आर्थिक रूप से सक्षम न होने वालों के लिए नि:शुल्क दाह संस्कार की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन यहाँ भी आधिकारिक दस्तावेज की कमी से दाह संस्कार नहीं किया जा सका. इसी दौरान, जब पैरेट भाई को मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया समझा रहे थे, तभी ताबूत से दोबारा खटखटाहट सुनाई दी, जिसने पूरा माहौल बदल दिया. मंदिर के कर्मचारियों ने तुरंत महिला को निकटतम अस्पताल पहुँचाया. पैरेट ने बताया कि मंदिर के मुख्य भिक्षु ने महिला के इलाज का पूरा खर्च वहन करने की घोषणा की है.

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