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‘जाओ मेरा फोन ले आओ’, ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी बमबारी के साथ याद आई ट्रंप की ललकार


Trump Iran Nuclear Sites Airstrike: अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने उस पल को याद किया जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के न्यूक्लियर से जुड़े प्रतिष्ठानों पर हमलों की अनुमति दी. हेगसेथ ने इसे “वो पल जब दुनिया सुनती है FAFO” बताया यानी कि एक ऐसा पल जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘दुनिया को दिखा दो कि अगर तुम अमेरिका से कोई उधेड़बुन करोगे, तो उसके परिणाम भुगतने होंगे’. उन्होंने कहा कि अमेरिकी बॉम्बर ईरान से बाहर थे और बम अपने लक्ष्य पर पहुंच चुके थे, जबकि दुनिया को इसकी जानकारी नहीं थी. उन्होंने बताया कि ट्रंप ने अपने सहायक से कहा, “जाओ मेरा फोन ले आओ देखो, रेडी? बूप. दुनिया सुनो, FAFO.

Trump Iran Nuclear Sites Airstrike: अमेरिका का पहला प्रत्यक्ष हस्तक्षेप

जून में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नातांज और इस्फहान पर सटीक हवाई हमले किए. यह इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका का पहला प्रत्यक्ष हस्तक्षेप था. फोर्डो साइट, जो गहराई में स्थित थी, पर अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा छह 30,000-पाउंड के “बंकर बस्टर” बम गिराए गए. इस ऑपरेशन ने मिशन की पैमाना और गोपनीयता दोनों को दर्शाया.

ट्रंप का सैन्य नेतृत्व और सफलता

पेंटागन प्रेस ब्रीफिंग में हेगसेथ ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इतिहास की सबसे जटिल और गुप्त सैन्य कार्रवाई का निर्देशन किया, और यह पूर्ण सफलता रही. इससे 12-दिन का युद्ध समाप्त हुआ और संघर्ष विराम समझौता हुआ. उन्होंने कहा कि निर्णायक सैन्य कार्रवाई से ट्रंप ने ईरान की न्यूक्लियर क्षमताओं को पूरी तरह नष्ट किया और युद्ध समाप्त करने की स्थिति बनाई.

ईरान की प्रतिक्रिया और अमेरिका की आलोचना

जैसे ही अमेरिका ने सफलता का जश्न मनाया, ईरान ने क्षेत्रीय मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप की कड़ी आलोचना की. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई ने कहा कि अमेरिका के साथ सहयोग तब तक असंभव है जब तक वाशिंगटन इजराइल का समर्थन बंद नहीं करता, अपने सैन्य ठिकानों को नहीं हटाता और मध्य पूर्व में हस्तक्षेप बंद नहीं करता. उन्होंने कहा कि अमेरिका केवल अधीनता को स्वीकार करता है. यह टिप्पणी 1979 में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे की सालगिरह के मौके पर छात्रों से मुलाकात के दौरान आई.

ईरान की न्यूक्लियर नीति और क्षेत्रीय तनाव

ईरान ने हमेशा कहा है कि उसका न्यूक्लियर कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. लेकिन हाल के संघर्ष से पहले, ईरान ने यूरेनियम को हथियार-ग्रेड स्तर के करीब समृद्ध किया था. इज़राइल ने इसे तत्काल अस्तित्वगत खतरा बताते हुए ईरान की साइट्स पर हमला किया, जबकि ईरान ने इजराइल के शहरों और सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए. जून 24 से संघर्ष विराम बना हुआ है.

ईरान का भविष्य और कूटनीतिक संकेत

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने कहा कि तेहरान अपने न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों को “अधिक ताकत के साथ” फिर से बनाएगा, लेकिन दोहराया कि ईरान न्यूक्लियर हथियार नहीं चाहता. विदेश मंत्री अब्बास अरघची ने अल जजीरा को बताया कि ईरान अमेरिका के साथ न्यूक्लियर वार्ता फिर से शुरू करने के लिए जल्दी में नहीं है, लेकिन अप्रत्यक्ष बातचीत के लिए खुला है अगर अमेरिका समान स्थिति और पारस्परिक हित के आधार पर आगे आए. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में देशों के बीच इजराइल के बारे में “साझा समझ” उभर रही है, जो अमेरिकी नेतृत्व वाले हमलों और अस्थायी संघर्ष विराम के बाद भू-राजनीतिक बदलाव का संकेत देती है.

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