राफेल से 3 गुना महंगा! पाकिस्तान का ‘जिगरी’ खरीद रहा 95000 करोड़ का टाइफून जेट, बढ़ेगी क्या भारत की टेंशन?
Turkey Signs Fighter Jet Deal: ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद भारत अब अपनी सैन्य ताकत को नए स्तर पर ले जा रहा है. देश मल्टी-बिलियन डॉलर प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है, ताकि वायुसेना के पास आधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइलें और एयर डिफेंस सिस्टम हों. भारत का लक्ष्य साफ है कि आत्मनिर्भरता और हाई-टेक सेना. पड़ोस में पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों को देखते हुए भारत अपनी सैन्य रणनीति और बड़े अपडेट के साथ आगे बढ़ रहा है.
Turkey Signs Fighter Jet Deal: चीन और पाकिस्तान की हलचल
अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान भारत की तैयारियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं. दोनों अपने हथियारों और सैन्य तकनीक को तेजी से अपडेट कर रहे हैं. चीन इस रेस में काफी आगे है. वह छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान, आधुनिक मिसाइलें और एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम बना रहा है. इसके अलावा चीन पाकिस्तान को सीधे सैन्य समर्थन भी दे रहा है. यहां तक कि उसने पाकिस्तान को फिफ्थ-जेनरेशन जेट भी देने की बात कही है. ऐसे में भारत की सुरक्षा चुनौती केवल सीमा पर नहीं, बल्कि आसमान में भी बढ़ गई है.
तुर्की तीसरा नया खिलाड़ी
अब एक तीसरा देश भी इस हथियारों की दौड़ में प्रवेश कर चुका है तुर्की. तुर्की पाकिस्तान का नजदीकी साझेदार है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और ड्रोन दिए. इसके अलावा तुर्की लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयान देता रहता है. अब तुर्की ने वह कदम उठा दिया है, जिससे भारत को अपने रणनीतिक प्लान और तेज करने होंगे.
Turkey Signs Fighter Jet Deal: दुनिया की सबसे महंगी फाइटर जेट डील
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की ने यूके के साथ भारी भरकम डील फाइनल कर दी है. यह डील यूरोफाइटर टाइफून फाइटर जेट खरीदने के लिए है. कुल सौदा 95,000 करोड़ रुपये (10.7 बिलियन डॉलर) का है. इसमें तुर्की 20 टाइफून फाइटर जेट खरीदेगा. इस हिसाब से एक विमान की कीमत लगभग 4,750 करोड़ रुपये पड़ती है. इतना महंगा कि एक टाइफून की कीमत लगभग 3 राफेल विमानों के बराबर हो जाती है. इस सौदे को अब तक की सबसे महंगी फाइटर जेट डील में से एक माना जा रहा है.
भारत का राफेल सौदा तुलना में काफी सस्ता
भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे. इस डील की कुल लागत 60,000 करोड़ रुपये थी. यानी एक राफेल की कीमत लगभग 1,666 करोड़ रुपये पड़ी थी. तुलना करें तो तुर्की का टाइफून सौदा भारत के राफेल सौदे से लगभग 3 गुना महंगा है. इस साल (2025) भारत ने अपनी नौसेना के लिए 26 मरीन राफेल की डील भी 63,000 करोड़ रुपये में की है. इससे यह साफ है कि राफेल भारत की वायुसेना और नौसेना रणनीति का अहम हिस्सा है.
भारत अपनी सैन्य आधुनिकीकरण की गति और तेज करनी होगी
भारत न सिर्फ खरीद पर ध्यान दे रहा है, बल्कि खुद के लड़ाकू विमान बनाने में भी निवेश कर रहा है. भारत अब 114 Rafale, Tejas MK-1, और Tejas MK-2 को वायुसेना में शामिल करने जा रहा है. इसके अलावा भारत का लक्ष्य है कि अगले वर्षों में पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान भी पूरी तरह से भारतीय तकनीक से बनाया जाए. दूसरी तरफ पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर फिफ्थ-जेनरेशन जेट खरीदने पर काम कर रहा है, जो भारत के लिए एक नई चुनौती बन सकता है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी सैन्य आधुनिकीकरण की गति और तेज करनी होगी. क्योंकि पड़ोसी न केवल हथियार खरीद रहे हैं, बल्कि आपस में गठबंधन भी बना रहे हैं और यह भारत के लिए लंबी अवधि की सुरक्षा चुनौती है. तुर्की, पाकिस्तान और चीन का कॉम्बिनेशन भारत के सामने एक नया मोर्चा खोल देता है.
ये भी पढ़ें:
अफगानिस्तान के आगे झुका पाकिस्तान! शांति वार्ता फेल, खाली हाथ लौटी इस्लामाबाद की टीम
माली में बड़ा खतरा! बंदूकधारियों ने पांच भारतीयों का किया अगवा, अल-कायदा-ISIS पर शक