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तालिबान ने पाकिस्तान को धमकाया- हमारे सब्र की परीक्षा न ले मुनीर सेना, अमेरिका-रूस दूर थे, लेकिन तुम्हें कर देंगे बर्बाद


Taliban warns Pakistan: पाकिस्तान और अफगान तालिबान ने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटने और दोनों पक्षों के बीच तनाव को और बढ़ने से रोकने के लिए बृहस्पतिवार को इस्तांबुल में तीसरे दौर की वार्ता फिर से शुरू की. विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा कि अफगान तालिबान शासन के साथ बातचीत बृहस्पतिवार को इस्तांबुल में शुरू हुई. वार्ता तुर्किए और कतर की मौजूदगी में शुरू हुई और इसमें उनकी सहभागिता रही. लेकिन इसी बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बयान पर पर अफगानिस्तान के एक मंत्री ने चेतावनी भरे अंदाज धमकी दी. 

तीसरे दौर की वार्ता के बीच में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर एक बार फिर संघर्ष बढ़ गया. दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया. टोलो न्यूज के मुताबिक इस पर अफगान जनजातीय और सीमाई मामलों के मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को सीधे और आक्रामक अंदाज में चेतावनी दी, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान की इस बढ़ती झुंझलाहट को उजागर किया कि पाकिस्तान उसकी सीमा में स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर लगातार हमले कर रहा है.

घमंड न करे पाकिस्तान, अफगानिस्तान साम्राज्यों की कब्र

मंत्री की चेतावनी का अफगानिस्तान में पतन का हवाला देकर मंत्री ने पाकिस्तान को यह याद दिलाने की कोशिश की कि अफगान संकल्प को चुनौती देना ऐतिहासिक रूप से विदेशी ताकतों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है. संदेश बिल्कुल साफ था कि अफगानिस्तान साम्राज्यों का कब्रिस्तान है और पाकिस्तान को इन ऐतिहासिक सबकों से सबक लेना चाहिए. मंत्री ने पाकिस्तान को अपनी सैन्य शक्ति पर घमंड न करने और अफगान राष्ट्र के धैर्य की परीक्षा न लेने की चेतावनी दी.

तालिबान नेतृत्व की यह खुली आक्रामकता और पाकिस्तान को खुले तौर पर सैन्य रूप से धमकाना इस बात का संकेत दे रहा है कि तालिबान शासन अब पाकिस्तान के प्रभाव से लगभग मुक्त महसूस कर रहा है. वह अपनी संप्रभुता स्थापित करने के लिए बेकार है. इस्लामाबाद का अफगानिस्तान पर नियंत्रण तेजी से कमजोर पड़ता जा रहा है. मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति को एक रणनीतिक लाभ बताते हुए करारी धमकी दी. उन्होंने कहा कि दूर बैठी महाशक्तियों जैसे अमेरिका या सोवियत संघ के विपरीत, पाकिस्तान को भौगोलिक दूरी का लाभ नहीं मिलता.

पाकिस्तान के खिलाफ बूढ़े से लेकर बुजुर्ग तक उठ खड़ा होगा

उन्होंने यह भी कहा कि अगर तनाव जारी रहा तो अफगानिस्तान का बूढ़े से लेकर बच्चा तक उठ खड़ा होगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री को अपनी सैन्य ताकत और तकनीक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा नहीं रखना चाहिए. अफगान लोग पहले भी मजबूत सेनाओं के खिलाफ लड़े हैं. अगर पाकिस्तान के साथ कोई युद्ध छिड़ता है तो केवल जवान नहीं बल्कि बुजुर्ग और बच्चे भी लड़ने के लिए उठ खड़े हो सकते हैं और यह लड़ाई लंबे समय तक जारी रह सकती है.

अफगानिस्तान पर पाकिस्तान का आरोप

यह स्थिति उस समय आई है जब हाल ही में डूरंड लाइन के आसपास हिंसा में तेजी आई है, जिसमें पाकिस्तान की सेना ने अफगान क्षेत्र में स्थित टीटीपी के ठिकानों पर जवाबी हमले किए. इस्लामाबाद का आरोप है कि काबुल अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में असफल रहा है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी संगठनों जैसे टीटीपी द्वारा नहीं किया जाएगा. वहीं, तालिबान इस आरोप से इनकार करता है और इसे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्या बताता है.

बातचीत में पाकिस्तान ने रखी मांग

वहीं तुर्की में चल रही बातचीत में पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि उसने अफगान तालिबान शासन के साथ इस्तांबुल में जारी शांति वार्ता के तीसरे दौर के दौरान मध्यस्थ देशों तुर्किए और कतर को अपनी ‘साक्ष्य आधारित’ और ‘तार्किक मांगें’ सौंप दी हैं. अंद्राबी ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने मध्यस्थों को अपनी साक्ष्य-आधारित, न्यायोचित और तार्किक मांगें सौंपी हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य सीमापार आतंकवाद समाप्त करना है.’’  उन्होंने कहा, ‘‘मध्यस्थों ने हमारी ओर से उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों तथा अंतरराष्ट्रीय कानून एवं सिद्धांतों के आधार पर पाकिस्तान के रुख का पूर्ण समर्थन किया.’’ अंद्राबी के अनुसार मध्यस्थ पाकिस्तान की मांगों पर अफगान प्रतिनिधिमंडल के साथ बिंदुवार चर्चा कर रहे हैं.

‘गलत सूचना फैलाई जा रही है’: पाकिस्तान

अंद्राबी ने कहा कि सोशल मीडिया पर विशेष रूप से अफगान लोगों या अन्य अकाउंट्स से प्रसारित की जा रही कोई भी अन्य जानकारी या तो शुद्ध अटकल है या जानबूझकर दी जा रही गलत सूचना है. उन्होंने यह भी कहा कि अफगान तालिबान शासन से पाकिस्तान की मांग सीधी सी है कि उसे अफगानिस्तान की जमीन से गतिविधियां चला रहे घुसपैठियों को रोकना चाहिए.

सीमा विवाद को कम करने के प्रयास

पिछले महीने खुले सीमा विवाद के कारण इस्लामाबाद और काबुल के बीच उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए इस्तांबुल में तीसरे दौर की वार्ता शुरू हुई थी. इससे पहले, 19 अक्टूबर को दोहा और 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में हुई दो दौर की वार्ताओं में दोनों पक्ष विवादास्पद मुद्दों पर सहमति बनाने में विफल रहे थे. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 11 से 15 अक्टूबर के बीच हुई झड़पों में दोनों पक्षों ने मानव क्षति की पुष्टि की थी. हालांकि, एक अस्थायी संघर्ष विराम के बाद स्थिति को काबू में लाया गया था. इस संघर्ष विराम को बढ़ा दिया गया था और यह अब तक लागू है.

वार्ता के बीच फिर हुई गोलीबारी

जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अधिकारी सीमा पार चरमंपथ का स्थायी समाधान खोजने के लिए तुर्किए में वार्ता कर रहे थे तो उसी समय दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई. बृहस्पतिवार को गोलीबारी के लिए दोनों पक्षों ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, स्थिति को बाद में नियंत्रित कर लिया गया. इससे पहले, अक्टूबर में हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि अफगान तालिबान के 206 और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 110 चरमपंथी मारे गए थे, जबकि 23 पाकिस्तानी सैनिकों की भी मौत हुई थी.

‘गोलीबारी की शुरुआत अफगान पक्ष ने की’: पाकिस्तान

पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक और बयान में कहा, ‘‘हम चमन में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हुई घटना के संबंध में अफगान पक्ष द्वारा किए गए दावों को सख्ती से खारिज करते हैं.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘गोलीबारी की शुरुआत अफगान पक्ष की ओर से की गई, जिसका हमारे सुरक्षा बलों ने तुरंत, संयमित और जिम्मेदार तरीके से जवाब दिया. पाक बलों की जिम्मेदारी पूर्ण कार्रवाई के चलते स्थिति नियंत्रण में आ गई और संघर्ष विराम अब भी लागू है.’’ मंत्रालय ने यह भी कहा, ‘‘पाकिस्तान वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है और अफगान अधिकारियों से भी उसी भावना की अपेक्षा करता है.’’

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