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तुर्की ने नेतन्याहू के खिलाफ के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट, इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाकर उठाया बड़ा कदम


Turkey arrest warrant Benjamin Netanyahu: इजरायल के खिलाफ गाजा युद्ध की शुरुआत से ही कई देशों का रुख काफी कड़ा रहा है. इसमें तुर्की सबसे आगे रहा है. उसके द्वारा हमास को अतीत में सहायता दी जाती रही है. टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट के अनुसार हमास के टॉप कमांडरों ने हाल ही में तुर्की के इंटेलीजेंस चीफ से मुलाकात की है. ऐसे में तुर्की की इजरायल के खिलाफ काम करने की रणनीति जारी है. इसी बीच तुर्की ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समेत 37 व्यक्तियों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. तुर्की के इस्तांबुल मुख्य लोक अभियोजक कार्यालय ने गाजा युद्ध से जुड़े नरसंहार के आरोप में ये वारंट जारी किए हैं.

अखबार Turkiye Today में प्रकाशित एक बयान के अनुसार, अभियोजक कार्यालय ने बताया कि जिन लोगों के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं, उनमें बेंजामिन नेतन्याहू के अलावा, रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज, आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ एयाल जामिर और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर भी शामिल हैं. अभियोजक कार्यालय का कहना है कि इजरायल गाजा पट्टी में नागरिकों को व्यवस्थित रूप से निशाना बना रहा है. इजरायल हमास के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है. यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को आतंकवादी संगठन हमास द्वारा इजरायली नागरिकों पर किए गए हमलों के बाद शुरू हुआ था.

इजरायल बार-बार खारिज करता है आरोप

वारंट में कथित तौर पर युद्ध के शुरुआती दिनों की कुछ घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जिनमें 17 अक्टूबर 2023 को अल-अहली बैपटिस्ट अस्पताल की घटना भी शामिल है. हालांकि इजरायल और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने निष्कर्ष निकाला था कि यह विस्फोट फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद नामक आतंकवादी संगठन की असफल रॉकेट लॉन्चिंग का नतीजा था. इजरायल ने बार-बार यह दावा किया है कि वह नागरिकों को निशाना नहीं बनाता. उसका कहना है कि वह हवाई हमलों से पहले आम लोगों को निकालने की व्यवस्था करता है. इजरायल का कहना है कि वह मानवीय सहायता की आपूर्ति को सुगम बनाने के लिए लगातार प्रयास करता है.

इस्तांबुल के मुख्य लोक अभियोजक जारी करते रहते हैं वारंट

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन लंबे समय से हमास के खुले समर्थक रहे हैं. वहीं इस्तांबुल के मुख्य लोक अभियोजक ने पहले भी पत्रकारों और राष्ट्रपति एर्दोआन के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कई गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. इनमें अपने ही देश के सबसे प्रमुख विपक्षी नेता एकरेम इमामओग्लू का भी नाम है, जिन देशद्रोह के आरोपों पर मुकदमा करने की तैयारी हो रही है.

अतीत में तुर्की नरसंहार आरोपों का कर चुका है सामना

दिलचस्प बात है कि तुर्की खुद पर भी 1915 से 1923 के बीच आर्मेनियाई आबादी के खिलाफ नरसंहार के आरोपों का सामना कर चुका है. उस समय करीब 15 लाख आर्मेनियाई लोगों की हत्या कर दी गई या उन्हें भूख से मरने के लिए छोड़ दिया गया था. शेष 5 लाख आर्मेनियाई (जो कुल आबादी का लगभग 25 प्रतिशत थे) रूस भाग गए. अमेरिका, कनाडा, अधिकांश यूरोपीय संघ देश, रूस और कई अन्य राष्ट्र इस आर्मेनियाई नरसंहार को आधिकारिक रूप से मान्यता देते हैं. हालांकि मुख्य रूप से तुर्की की प्रतिक्रिया के डर से ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देश इसे मान्यता नहीं देते . इजरायल की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही है. हालांकि अगस्त 2025 में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने व्यक्तिगत रूप से आर्मेनियाई नरसंहार को स्वीकार किया, लेकिन यह किसी आधिकारिक मान्यता के रूप में नहीं माना गया.

इजरायल हमास के बीच हुई शांति

इजरायल की गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ कार्रवाई 7 अक्टूबर 2025 से शुरू हुई, जो दो साल से थोड़ा ज्यादा समय तक चली. इजरायल और हमास आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20 सूत्रीय प्लान पर राजी हुए, जिसमें दोनों ओर से बंधकों की रिहाई और गाजा से इजरायली सैनिकों की वापसी की बात थी. 13 अक्टूबर 2025 को हमास की ओर से 20 जिंदा बंधकों को रिहा किया गया, जिसके बाद अब थोड़ी शांति है. हालांकि अब भी इजरायल की ओर से सुरक्षा कार्रवाइयां जारी हैं. 

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