POK Gen Z Protest: पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (POK) में कुछ हफ्ते पहले हुई हिंसक अशांति अभी थमी भी नहीं थी कि अब वहां एक और बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया है. पहले आंदोलन की वजह टैक्स, बिजली, आटे की कीमतें और सरकारी लापरवाही थी जिसमें 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सरकार को समझौता करना पड़ा था. लेकिन इस बार सड़क पर सरकार के खिलाफ नाराजगी लेकर उतरे हैं Gen Z कॉलेज और स्कूल के छात्र. शुरुआत यूनिवर्सिटी फीस और रिजल्ट गड़बड़ी के विरोध से हुई, लेकिन अब यह आंदोलन पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ बड़े जनाक्रोश में बदल रहा है.
POK Gen Z Protest: फीस और सुविधाओं की कमी पर शुरू हुआ छात्र आंदोलन
मुजफ्फराबाद की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फीस बढ़ने, सुविधाओं की कमी और प्रशासन की अनदेखी के खिलाफ शांत प्रदर्शन शुरू किया. जैसे ही आंदोलन बढ़ा, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में सभी राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया. यह पहला मौका नहीं है जब छात्र सड़कों पर उतरे हों. जनवरी 2024 में भी छात्रों ने इसी तरह का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि उनसे हर 3-4 महीने में लाखों रुपये फीस के नाम पर वसूले जा रहे हैं. उस दौरान यूनिवर्सिटी के टीचिंग और प्रशासनिक स्टाफ भी आंदोलन में शामिल हो गए थे क्योंकि उनकी सैलरी बढ़ाने की मांग भी लंबित थी.
गोली चलने से शांत प्रदर्शन हिंसक बन गया
प्रदर्शन उस समय बिगड़ गया जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें एक व्यक्ति छात्रों पर गोलियां चलाता हुआ दिख रहा है. इस घटना में एक छात्र घायल हुआ. रिपोर्टों के अनुसार, घटना के समय वहां पुलिस अधिकारी मौजूद थे. हालांकि वीडियो की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाई है. गोलीबारी के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने सड़कें जाम कीं, टायर जलाए, आगजनी की और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगाए. एक शांत आंदोलन अचानक हिंसक हो गया और कश्मीर के शहरों में तनाव फैल गया.
नया ई-मार्किंग सिस्टम बना विवाद की जड़
अब आंदोलन की नई वजह है ई-मार्किंग सिस्टम. इस बार न केवल यूनिवर्सिटी बल्कि कक्षा 11–12 के छात्र भी विरोध में शामिल हो गए हैं. 30 अक्टूबर को इंटरमीडिएट फर्स्ट ईयर का रिजल्ट छह महीने की देरी के बाद जारी किया गया, लेकिन छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें बेहद कम अंक दिए गए हैं. कई छात्रों का कहना है कि उन्हें उन विषयों में भी पास दिखा दिया गया है जिनके परीक्षा उन्होंने दी ही नहीं. शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए मीरपुर बोर्ड ने ई-मार्किंग प्रक्रिया की जांच के लिए एक समिति बनाई है.
रिचेकिंग फीस पर भी बवाल
कॉपी की दोबारा जांच के लिए फीस ₹1,500 प्रति विषय रखी गई है. यानी अगर कोई छात्र सभी 7 विषयों की कॉपी रिचेकिंग कराना चाहता है तो उसे कुल ₹10,500 खर्च करने होंगे. फीस बढ़ोतरी और रिचेकिंग फीस ने छात्रों की नाराज़गी और बढ़ा दी है. यह मुद्दा अब POK से निकलकर लाहौर तक पहुंच गया है, जहां इंटरमीडिएट छात्रों ने प्रेस क्लब के बाहर धरना दिया.
छात्रों के मुद्दे अब सिर्फ रिजल्ट या फीस तक सीमित नहीं हैं. टूटे हुए कैंपस, खराब स्वास्थ्य सेवाएं, और परिवहन सुविधा की कमी ने युवाओं की निराशा को और गहरा कर दिया है. अब यह लड़ाई शिक्षा से आगे बढ़कर सिस्टम की खामियों और सरकारी लापरवाही के खिलाफ हो गई है.
JAAC के समर्थन से आंदोलन को मिली ताकत
इस आंदोलन को Joint Awami Action Committee (JAAC) का समर्थन मिला है. यह वही संगठन है जिसने हाल ही में हुए बड़े आंदोलन की अगुवाई की थी जिसमें 12 नागरिकों की मौत हुई थी. उस आंदोलन में जनता ने 30 मांगों का चार्टर रखा था जिसमें टैक्स राहत, आटा और बिजली पर सब्सिडी और रुके हुए विकास कार्यों को पूरा करने की मांग शामिल थी. सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए फायरिंग तक कराई, लेकिन मामला और बिगड़ गया. आखिरकार सरकार को पीछे हटना पड़ा और समझौता करना पड़ा.
नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की तरह Gen Z का उभार
POK का यह आंदोलन दक्षिण एशिया में उभरते Gen Z विरोध का हिस्सा दिखने लगा है. हाल के महीनों में नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन सरकार गिरने तक पहुंच गया. मंत्रियों के घरों में आग लगा दी गई, संसद तक को नुकसान पहुंचा. बांग्लादेश (2024) में छात्रों के आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी. श्रीलंका (2022) में आर्थिक संकट के बीच जनता ने राष्ट्रपति भवन घेर लिया और आंदोलन सत्ता परिवर्तन तक पहुंच गया.
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