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4 अरब डॉलर की सबसे बड़ी डील! भारत से घातक हथियार लेने जा रहा आर्मेनिया, Akash एयर डिफेंस से पाकिस्तान के ‘दोस्त’ को देगा करारा जवाब


India Armenia Defense Deal: अजरबैजान के साथ बढ़ते तनाव के बीच आर्मेनिया अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा है. इसके लिए उसने अपना रुख रूस से हटाकर भारत की ओर मोड़ लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत और आर्मेनिया करीब 3.5 से 4 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) की बड़ी रक्षा डील फाइनल करने के करीब हैं. यह केवल हथियार खरीदने का सौदा नहीं, बल्कि आर्मेनिया की पूरी मिलिट्री को आधुनिक बनाने की रणनीति है.

India Armenia Defense Deal: आर्मेनिया की नजर भारत के Akash-NG पर

इस डील का मुख्य फोकस आर्मेनिया की एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना है. रिपब्लिक टीवी के अनुसार, भारत का नेक्स्ट-जेनरेशन Akash-NG एयर डिफेंस सिस्टम इस समझौते का बड़ा हिस्सा है. Akash-NG पहले के मुकाबले ज्यादा रेंज वाला और लक्ष्य को इंटरसेप्ट करने में अधिक सक्षम है. आर्मेनिया चाहता है कि उसके एयर डिफेंस नेटवर्क में भारतीय टेक्नोलॉजी शामिल की जाए.

India Armenia Defense Deal: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ब्रह्मोस का जलवा

डील का अहम हथियार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. हाल ही में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस की तैनाती की, जिसके बाद इसकी वैश्विक मांग बढ़ी है. फिलीपींस पहले से इसका उपयोग कर रहा है और इंडोनेशिया से डील भी बेहद करीब है और जल्द ही दोनों देश के बीच अहम सौदा हो सकता है. अब आर्मेनिया ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि ले रहा है और चाहता है कि इसके कुछ कंपोनेंट्स का निर्माण आर्मेनिया में ही किया जाए, यानी को-प्रोडक्शन मॉडल पर काम शुरू हो.

Pinaka Multi-Barrel Rocket System की भी मांग

बात सिर्फ मिसाइलों तक सीमित नहीं है. बातचीत Pinaka Multi-Barrel Rocket System को लेकर भी जारी है. यह वही सिस्टम है जो दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और तेज हमला करने के लिए जाना जाता है. इससे आर्मेनिया की आर्टिलरी ताकत बढ़ जाएगी.

अब तक आर्मेनिया की आर्मी का अधिकतर हथियार रूस से आता था, लेकिन अब वह नया रास्ता तलाश रहा है. भारत की तकनीक भरोसेमंद है और किफायती भी. यही कारण है कि रक्षा खरीद में भारत आर्मेनिया की पहली पसंद बनता जा रहा है.

रिश्तों की शुरुआत कैसे हुई

मई 2023 में आर्मेनिया ने भारत में अपना पहला रक्षा अटैचे तैनात किया. अप्रैल 2024 में भारत ने येरवान में अपना सैन्य अटैचे भेजा. यह कॉकस क्षेत्र में भारत की पहली सैन्य पोस्टिंग है. पहले हुए सौदों में एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट रहा, 40 मिलियन डॉलर में Swathi Weapon Locating Radar. यह रडार आर्मेनिया की सीमा पर इस्तेमाल हुआ और रूसी और पोलिश रडार से बेहतर साबित हुआ.

इसके बाद भारत ने आर्मेनिया को लगातार हथियार भेजे. IDSA के अनुसार, 2022 से अब तक भारत ने आर्मेनिया को ये हथियार दिए जैसे कि पिनाका रॉकेट सिस्टम, कोंकुरस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, मोर्टार, ग्रेनेड और छोटे हथियार, 155 मिमी आर्टिलरी गन सहित एटीएजीएस, जेन एंटी-ड्रोन सिस्टम और आकाश और आकाश-एनजी एयर डिफेंस सिस्टम.

रक्षा के साथ कूटनीति भी मजबूत

ये साझेदारी सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है, राजनीति और कूटनीति में भी तेजी से बढ़ रही है. 12 दिसंबर 2024, नई दिल्ली में India-Iran-Armenia त्रिपक्षीय वार्ता (ट्रेड और टूरिज्म पर फोकस) और 19 दिसंबर 2024, एथेंस में Armenia-Greece-Cyprus की बैठक (डिफेंस सहयोग पर चर्चा). यानी आर्मेनिया नए ‘लाइक-माइंडेड पार्टनर्स’ की तलाश में है। और भारत इस नए भू-राजनीतिक समीकरण में केंद्रीय खिलाड़ी है. 

आर्मेनिया अपने लिए नए और भरोसेमंद पार्टनर ढूंढ रहा है और भारत इस रणनीति में अहम भूमिका निभा रहा है. मेक इन इंडिया को भी सबसे बड़ा बूस्ट मिलेगा. भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 26 बिलियन डॉलर का रक्षा उद्योग तैयार करना. आर्मेनिया की यह डील भारत के रक्षा निर्यात को तेजी से बढ़ाएगी और भारतीय हथियारों को ग्लोबल ब्रांड बनाएगी.

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