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पाक-चीन दोस्ती में अमेरिका की वजह से कोई फर्क नहीं! जल्द मिलेगी हैंगोर क्लास सबमरीन, आगे की क्या है तैयारी?


Pakistan Navy to get Hangor class Submarine: पाकिस्तान और चीन के बीच नौसैनिक साझेदारी में हैंगोर क्लास पनडुब्बी परियोजना समय के मुताबिक बढ़ रही है. इस सबमरीन का इंडक्शन (सेवा में शामिल होना) साल 2026 में होने की उम्मीद है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिरल अशरफ ने कहा कि यह परियोजना सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है. उन्होंने हाल ही में चीन में दूसरी और तीसरी पनडुब्बी के लॉन्च को चीन और पाकिस्तान के बीच नौसैनिक सहयोग में एक बड़ा मील का पत्थर बताया।

पाकिस्तान ने साल 2015 में बीजिंग के साथ आठ हैंगोर क्लास पारंपरिक पनडुब्बियां हासिल करने का समझौता किया था. इनमें से चार पनडुब्बियां चीन में बनाई जानी हैं, जबकि बाकी चार का निर्माण पाकिस्तान में किया जाएगा. इस व्यवस्था का उद्देश्य स्थानीय शिपबिल्डिंग क्षमता को बढ़ाना और तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना है. वर्तमान शेड्यूल के तहत साल 2022 से 2028 के बीच सभी आठ पनडुब्बियों की डिलीवरी पूरी हो जाएगी. पहली पनडुब्बी अप्रैल 2024 में लॉन्च की गई थी, जबकि इस वर्ष दो और पनडुब्बियां तैयार की गईं.

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में एडमिरल अशरफ ने इस कार्यक्रम को दोहरी सफलता बताया कि एक ओर यह पाकिस्तान की अंडरवाटर वॉरफेयर (पनडुब्बी युद्ध) क्षमता को बढ़ाएगा. दूसरी ओर कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स को घरेलू स्तर पर विशेषज्ञता विकसित करने में मदद करेगा. हैंगोर परियोजना के अलावा, पाकिस्तान और चीन की साझेदारी से टाइप 054A/P मल्टीरोल फ्रिगेट्स भी तैयार किए गए हैं, जो अब पाकिस्तान नौसेना में सक्रिय सेवा में हैं.

चीनी फ्रिगेट्स से बढ़ी पाकिस्तान नौसेना की बहु-क्षमता

एडमिरल अशरफ ने इन मल्टीरोल फ्रिगेट्स  को सबसे उन्नत सतह युद्धक जहाजों में से एक बताया. उन्होंने कहा कि इन जहाजों ने नौसेना की वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध और समुद्री निगरानी क्षमताओं को नई ऊंचाई दी है. ये प्लेटफॉर्म उत्तर अरब सागर और व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा में नौसेना की भूमिका क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को लाभ पहुंचा रही है.

चीनी प्रणालियां ‘विश्वसनीय और आधुनिक’

पाकिस्तान का चीन के इन उपकरणों के प्रदर्शन और तकनीकी सहायता के मामले में पाकिस्तान नौसेना का अनुभव बहुत सकारात्मक रहा है. एडमिरल अशरफ ने चीनी रक्षा प्रणालियों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता की सराहना की. उन्होंने कहा कि चीन निर्मित प्लेटफॉर्म तकनीकी रूप से उन्नत हैं और पाकिस्तान नौसेना की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं. 

भविष्य की तकनीकी साझेदारी और संयुक्त अभ्यास

एडमिरल अशरफ ने यह भी बताया कि अब सहयोग के नए क्षेत्र जैसे मानवरहित प्रणालियां, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सी गार्जियंस (Sea Guardians) जैसी संयुक्त नौसैनिक कवायदें अब नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं, जिनमें काउंटर टेररिज्म अभियान से लेकर समुद्री खोज एवं बचाव जैसे मिशन शामिल हैं.

आधुनिकीकरण में चीन एक भरोसेमंद साझेदार

भविष्य की दिशा पर बात करते हुए एडमिरल अशरफ ने कहा कि चीन-पाकिस्तान नौसैनिक साझेदारी दोस्ती, आपसी सम्मान, विश्वास और साझा रणनीतिक हितों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में यह साझेदारी और मजबूत होगी, जिसमें जहाज निर्माण और प्रशिक्षण के साथ-साथ साझा अनुसंधान, तकनीकी सहयोग और औद्योगिक भागीदारी भी शामिल होगी,” . उन्होंने यह भी कहा कि उन्नत तकनीक, मानवरहित प्रणालियां, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान और समुद्री उद्योग के विकास में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं.

एडमिरल अशरफ ने पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में चीन को एक भरोसेमंद साझेदार बताया. यह सहयोग सिर्फ हार्डवेयर तक सीमित नहीं है, बल्कि साझा रणनीतिक दृष्टिकोण और आपसी विश्वास को भी दर्शाता है. उन्होंने कहा, “हमारा साझा लक्ष्य है ऐसा सुरक्षित और स्थिर समुद्री वातावरण बनाना जो क्षेत्रीय शांति और समृद्धि को बढ़ावा दे.”

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