अब साउथ कोरिया पहुंचा अमेरिका का न्यूक्लियर पावर्ड एयरक्राफ्ट करियर, किस तैयारी में जुटा है US? क्या चीन के खिलाफ बुन रहा जाल?
USA encircling China: अमेरिका अब अपनी हार्ड पॉलिसी को जमीन पर उतारता दिख रहा है. टैरिफ और सैंक्शन से आगे बढ़ते हुए वह अब परमाणु हथियारों को टेस्ट करने की बात भी करता दिख रहा है. इसी बीच अमेरिका का परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत यूएसएस जॉर्ज वॉशिंगटन (USS George Washington) बुधवार को दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े बंदरगाह शहर बुसान के नौसैनिक अड्डे पर पहुंच गया. दक्षिण कोरियाई राज्य समाचार एजेंसी योन्हाप ने इसकी पुष्टि की है. लेकिन इन दिनों अमेरिका इतने विमान वाहक पोत चीन के आस-पास क्यों लेकर आ रहा है?
योन्हाप के मुताबिक, यह कदम दक्षिण कोरिया-अमेरिका की संयुक्त रक्षा साझेदारी की पुन: पुष्टि का प्रतीक है. कैरीयर स्ट्राइक ग्रुप-5 (Carrier Strike Group 5) के इस परमाणु-संचालित पोत के साथ मिसाइल क्रूजर यूएसएस रॉबर्ट स्मॉल्स, यूएसएस मिलियस और यूएसएस शूप जैसे एजिस विध्वंसक जहाज भी शामिल हैं. दक्षिण कोरियाई नौसेना ने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सप्लाई की पुनःपूर्ति और क्रू को विश्राम देना है. नौसेना ने कहा कि इस अवसर पर दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सैन्य सहयोग, आदान-प्रदान और रक्षा क्षमता को और मजबूत करने की योजना है.
कब-कब इस क्षेत्र में आया अमेरिका का युद्धपोत
हालांकि यह बीते एक महीने में अमेरिका हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में बार-बार समुद्री विमान वाहक पोत लेकर आ रहा है. वैसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्युंग के कार्यकाल के दौरान किसी अमेरिकी विमानवाहक पोत की पहली आधिकारिक यात्रा है. ली जे-म्युंग ने इसी साल जून में राष्ट्रपति चुनाव जीता था. इससे पहले, मार्च 2025 में अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विन्सन (USS Carl Vinson) ने भी बुसान बंदरगाह का दौरा किया था. 28 अक्टूबर को जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने योकोसुका नौसैनिक अड्डे पर यूएसएस जॉर्ज वॉशिंगटन का संयुक्त रूप से दौरा किया था. जबकि पिछले महीने बांग्लादेश में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े का 1994 में इंडक्ट किया गया यूएसएस फिट्जगेराल्ड (USS Fitzgerald) भी आया था. 1971 के बाद पहली बार इस बेड़े का कोई जहाज बांग्लादेश पहुंचा था.
चीन के इर्ग-गिर्द चक्कर लगा रहा है अमेरिका
चीन के साथ लगातार ट्रेड वॉर में उलझे अमेरिका ने अब सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना भी शुरू कर दिया है. पाकिस्तान को चीन की छाया से सैन्य रूप से अलग करने के बाद, अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर उसकी नजर है. बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद अमेरिका की नजदीकियां मोहम्मद यूनुस सरकार से बढ़ रही है. वहीं क्वॉड से भारत के अलग होने के बाद फिलीपींस ने इस ग्रुप को जॉइन कर लिया है. जबकि आसियान देशों के साथ उसने ट्रेड डील के माध्यम से रिश्ते बनाने का प्रयास किया है. इससे पहले सेंट्रल एशियाई देशों के सैन्य प्रमुखों के साथ भी उसकी बैठक कुछ दिनों पहले हुई थी.
क्या है अमेरिका के इस आक्रामक कदम के पीछे का कारण?
अमेरिका के इस एग्रेसिव कदम के पीछे के कारणों पर सटीकता से कुछ भी कह पाना आसान नहीं है. लेकिन चीन ने 2027 तक ताइवान को कब्जाने की नीति पर काम करना शुरू कर दिया है. बीते कुछ महीनों में चीनी विमानों ने ताइवान के एयरस्पेस में जाकर आक्रामकता दिखाई है. इसके साथ ही चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और दक्षिणी चीन सागर में उसकी दादागिरी भी अमेरिका के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. इस बीच, अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) ने हाल ही में दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान सियोल के रक्षा बजट बढ़ाने की योजना की सराहना की. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी सैनिकों को क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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