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न्यूयॉर्क के मेयर चुनाव में 1969 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, जोहरान ममदानी ने जीतकर रचा इतिहास 


New York Mayor Zohran Mamdani: 34 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी अब न्यूयॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम और पहले मिलेनियल (नई पीढ़ी के) मेयर बन गए हैं. उनकी यह जीत हाल के समय की सबसे चौंकाने वाली राजनीतिक सफलताओं में से एक मानी जा रही है. उन्होंने पूर्व न्यूयॉर्क गवर्नर एंड्रयू कुओमो (डेमोक्रेटिक प्राइमरी में ममदानी से हारने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे) और रिपब्लिकन कर्टिस स्लिवा को हराया. डोनाल्ड ट्रंप के लाख विरोध के बाद भी ममदानी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. इतिहास रचने वाले इस रिकॉर्ड-तोड़ मतदान ने न्यूयॉर्क सिटी की जनता में गहरी राजनीतिक दिलचस्पी को उजागर किया. यह एक ऐसा चुनाव था जिसमें खूब तीखी बयानबाजी चली लेकिन अंत में जोहरान ममदानी की ऐतिहासिक जीत के साथ खत्म हुआ.

न्यूयॉर्क सिटी बोर्ड ऑफ इलेक्शंस ने मंगलवार को बताया कि मेयर चुनाव में मतदाता उपस्थिति 30 साल से अधिक समय में पहली बार 20 लाख से पार चली गई है. बोर्ड के अनुसार, “यह 1969 के बाद पहली बार है जब मतदान का आंकड़ा 20 लाख से अधिक हुआ है.” यह बयान मतदान केंद्र बंद होने से ठीक पहले स्थानीय समयानुसार रात 9 बजे (बुधवार सुबह 2:00 बजे GMT) जारी किया गया, जो इस ऐतिहासिक और बेहद नजदीकी चुनाव में जनता की भारी भागीदारी को दर्शाता है. डिसीजन डेस्क HQ के अनुसार, जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में जीत हासिल की, जो शहर में प्रगतिशील राजनीति के एक नए दौर की शुरुआत का प्रतीक है. वहीं द हिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जीत न केवल ऐतिहासिक है बल्कि डेमोक्रेटिक पार्टी के भविष्य को लेकर बहस को भी तेज करती है.

ममदानी के विरोधी कुओमो का अभियान और विवाद

ममदानी के विरोधी एंड्रयू कुओमो का अभियान कई विवादों से घिरा रहा. 2021 में उन्हें यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद न्यूयॉर्क के गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा था, हालांकि उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया था. उनके खिलाफ न्याय विभाग की एक जांच भी चल रही थी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान नर्सिंग होम मौतों पर राज्य की रिपोर्ट के संबंध में कांग्रेस को दिए उनके बयान से जुड़ी थी. तत्कालीन मेयर एरिक एडम्स ने चुनाव से हटते हुए कुओमो का समर्थन किया, लेकिन रिपब्लिकन कर्टिस स्लिवा ने मैदान नहीं छोड़ा और उन्हें दोहरे अंकों में वोट प्रतिशत मिले, जिससे ममदानी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हुआ. अंतिम चरण में कुओमो को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अप्रत्याशित समर्थन भी मिला, लेकिन द हिल के अनुसार, इससे उन्हें कोई खास लाभ नहीं हुआ क्योंकि न्यूयॉर्क सिटी परंपरागत रूप से डेमोक्रेटिक गढ़ है.

ममदानी की जीत और भविष्य की राजनीति

ममदानी की यह जीत देशभर के प्रगतिशील गुटों को नई ऊर्जा दे रही है, लेकिन इसके साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या वह अपने महत्वाकांक्षी वादों को पूरा कर पाएंगे और डेमोक्रेटिक पार्टी के उदारवादी (left) और मध्यमार्गी (moderate) गुटों के बीच संतुलन बना पाएंगे. ममदानी की यह जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के भविष्य को लेकर राष्ट्रीय बहस को आकार दे सकती है, जो फिलहाल दो हिस्सों में बंटी है: एक ओर प्रगतिशील धड़ा, और दूसरी ओर स्थापित नेतृत्व जिसका प्रतिनिधित्व सीनेट मेजॉरिटी लीडर चक शूमर जैसे नेता करते हैं. यह चुनाव परिणाम न केवल न्यूयॉर्क बल्कि पूरे अमेरिका में राजनीतिक विचारधारा की दिशा बदलने वाला क्षण माना जा रहा है.

ममदानी का चुनाव अभियान कैसा रहा?

भारतवंशी माता-पिता की संतान ममदानी का चुनाव अभियान सुलभ जीवनयापन और समानता पर केंद्रित था. उन्होंने किराया स्थिर रखने , शहर के स्वामित्व वाले किराना स्टोर खोलने और बसों को पूरी तरह नि:शुल्क करने का वादा किया. उनकी यह महत्वाकांक्षी नीतियाँ युवाओं और मध्यमवर्गीय मतदाताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुईं. अभियान के दौरान सबसे विवादास्पद मुद्दा ममदानी के इजरायल-हमास संघर्ष पर रुख को लेकर उठा. ममदानी ने इजरायल की आलोचना करते हुए उसे “गाज़ा में नरसंहार करने वाला” कहा था और यहां तक कहा था कि “अगर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू न्यूयॉर्क आए, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के वारंट के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए.” अपने प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भी युद्ध अपराधी बताया था. ममदानी को पहले पुलिस फंडिंग कम करने की बात कहने पर भी आलोचना झेलनी पड़ी थी. हालाँकि बाद में उन्होंने न्यूयॉर्क पुलिस विभाग (NYPD) से सार्वजनिक माफी मांगी. कुल मिलाकर उनका प्रचार अभियान सफल रहा और वे इस भारी भरकम आर्थिक ताकत वाले और शानदार शहर के 57वें मेयर बनने के लिए तैयार हैं. 

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