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रूस की मदद से 8 परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाएगा ईरान, राष्ट्रपति पेजेश्कियान बोले- बम बनाना छोटा काम, हम इसे…


Iran will build 8 Nuclear Power Plant: ईरान परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के प्रमुख ने घोषणा की है कि तेहरान रूस की सहायता से आठ नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण करेगा, जो स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा हैं. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने एक बार फिर दोहराया है कि उनका देश शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्ध है और हथियार विकसित करने का कोई इरादा नहीं रखता.

ईरानी समाचार एजेंसी तसनीम के अनुसार, AEOI प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने रविवार को बताया कि ईरान और रूस के बीच एक नया समझौता हुआ है, जिसके तहत बसरा में चार और उत्तरी व दक्षिणी तटीय इलाकों में चार अन्य परमाणु संयंत्र संयुक्त रूप से बनाए जाएंगे. इन संयंत्रों के सटीक स्थानों की घोषणा सरकार बाद में करेगी. इस्लामी ने कहा कि इन संयंत्रों से स्थिर और स्वच्छ परमाणु ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित होगी और ईरान अपनी परमाणु ऊर्जा से विद्युत उत्पादन क्षमता को 20,000 मेगावाट तक बढ़ा सकेगा.

रूसी स्टेट मीडिया तास (TASS) ने AEOI प्रेस सेवा के हवाले से बताया कि ईरान के उत्तरी प्रांत गोलिस्तान के तट पर एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शुरू हो चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि खुजेस्तान प्रांत में एक पुराने संयंत्र के निर्माण को भी पूरा करने की योजना है, जिसका कार्य 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले शुरू हुआ था.

ईरान से डरते हैं पश्चिमी देश- पेजेश्कियान

राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने 2 नवंबर को ईरान परमाणु ऊर्जा संगठन की अपनी यात्रा के दौरान कहा कि देश का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार उन्होंने कहा, “बम बनाना इस क्षेत्र का बहुत छोटा, असमान और अमानवीय हिस्सा है, जबकि इसका बाकी हिस्सा मानवता की आवश्यक जरूरतों को पूरा करता है.” पेजेश्कियान ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिमी शक्तियां ईरान जैसे स्वतंत्र राष्ट्रों को उन्नत तकनीक से वंचित रखना चाहती हैं, ताकि वे देशों को केवल असेंबली-स्तर के उद्योगों तक सीमित रख सकें. उन्होंने आगे कहा कि ईरानी वैज्ञानिकों पर शत्रुता और हत्याएं इसलिए होती हैं क्योंकि बड़ी शक्तियां ईरान की वैज्ञानिक और तकनीकी स्वतंत्रता से डरती हैं.

ईरान पर इजरायल और अमेरिका ने किया था हमला

इससे पहले, जून 2025 में इजराइल ने ईरान की महत्वपूर्ण परमाणु सुविधाओं जैसे नतांज और फोर्डो पर हवाई हमले किए थे. इन हमलों से 12 दिन तक चलने वाला युद्ध छिड़ गया, जिसमें कई परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. बाद में अमेरिका ने भी इस अभियान में भाग लिया और ईरानी संवर्धन संयंत्रों (इनरिचमेंट फैसेलिटीज) पर हमले किए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि ईरान अपने परमाणु संयंत्रों को दोबारा चालू करता है, तो वह नए हमलों का आदेश देंगे.

ट्रंप ने भी न्यूक्लियर परीक्षण दोबारा शुरू करने की बात दोहराई

यह सूचना तब सामने आई है, जब ट्रंप ने एक अमेरिकी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका को परमाणु हथियार परीक्षण करने चाहिए, क्योंकि रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया और पाकिस्तान जैसे लगातार टेस्ट कर रहे हैं. सीबीएस न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “रूस ने घोषणा की है कि वे परीक्षण करने जा रहे हैं. अगर आप देखें तो उत्तर कोरिया लगातार परीक्षण कर रहा है. अन्य देश भी कर रहे हैं. हम ही एकमात्र देश हैं जो परीक्षण नहीं कर रहे. मैं नहीं चाहता कि हम अकेले ऐसे देश बनें जो परीक्षण न करें.”

रूस के टेस्ट के बाद जागा अमेरिका

ट्रंप से यह सवाल उनके उस निर्णय के संदर्भ में पूछा गया था, जिसमें उन्होंने 30 साल बाद परमाणु परीक्षण करने की बात कही थी खासकर रूस के हालिया उन्नत परमाणु हथियार परीक्षणों के बाद, जिनमें पोसाइडन अंडरवाटर ड्रोन और बुरेवेस्टनिक मिसाइलें शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश से अधिक परमाणु हथियार हैं.  ट्रंप ने कहा, “हमारे पास इतने परमाणु हथियार हैं कि दुनिया को 150 बार उड़ाया जा सकता है. रूस के पास भी बहुत सारे हैं और चीन के पास भी अब काफी मात्रा में हैं.”

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