पाकिस्तान को मिलने जा रही 443795250000 रुपए की पहली चीनी पनडुब्बी, 2026 में होगा लॉन्च, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी?
Pakistan First Chinese Submarine: पाकिस्तान अपनी नौसेना को नया ‘हथियार’ देने की तैयारी में है. चीन की बनाई हुई आधुनिक पनडुब्बी. रिपोर्टों के मुताबिक, साल 2026 तक पाकिस्तान अपनी पहली चीनी डिजाइन की हांगोर-क्लास पनडुब्बी को लॉन्च करेगा. इस डील की कीमत करीब 5 अरब डॉलर (₹4,43,795 करोड़) बताई जा रही है. इसे पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत बढ़ाने की बड़ी कोशिश माना जा रहा है. रॉयटर्स के मुताबिक, कुल 8 हांगोर-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन बनाई जानी हैं. इनमें से चार चीन में और चार पाकिस्तान में बनेंगी. इनमें से तीन पनडुब्बियां पहले ही चीन के हुबेई प्रांत की यांग्त्जी नदी में लॉन्च हो चुकी हैं.
Pakistan First Chinese Submarine: ‘प्रोजेक्ट सुचारू रूप से चल रहा है’
पाकिस्तान नौसेना प्रमुख एडमिरल नदीद अशरफ ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि यह प्रोजेक्ट “सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है. उनका कहना है कि इससे पाकिस्तान की उत्तर अरब सागर और हिंद महासागर में गश्त करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी. अशरफ ने कहा कि चीनी प्लेटफॉर्म और तकनीक पाकिस्तान नौसेना की जरूरतों के अनुसार विश्वसनीय और आधुनिक हैं. उन्होंने यह भी बताया कि अब युद्ध का तरीका बदल रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और ड्रोन टेक्नोलॉजी पर जोर दिया जा रहा है, और पाकिस्तान इन तकनीकों में चीन के साथ साझेदारी बढ़ाना चाहता है.
चीन-पाक रिश्ते हुए और गहरे
बीते कुछ सालों में चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग काफी बढ़ा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान, चीन के कुल हथियार निर्यात का 60% हिस्सा रहा है. सिर्फ हथियार ही नहीं, चीन ने पाकिस्तान में CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) में भी अरबों डॉलर लगाए हैं. यह 3,000 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट चीन के शिनजियांग प्रांत को ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है. इससे चीन को सीधे अरब सागर तक पहुंच मिलती है.
यह गलियारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अहम हिस्सा है. इससे चीन को मध्य पूर्व से ऊर्जा आयात का वैकल्पिक रास्ता मिलता है, जिसमें उसे मलक्का जलडमरूमध्य के संवेदनशील रास्ते से होकर नहीं गुजरना पड़ता.
भारत भी पूरी तैयारी में है
भारत इस बढ़ती साझेदारी पर नजर रखे हुए है. भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल संजय वत्सायन के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय नौसेना हिंद महासागर में हर विदेशी जहाज की गतिविधि पर नजर रखती है. वत्सायन ने बताया कि इस समय करीब 40 भारतीय युद्धपोत क्षेत्र में सक्रिय हैं और जल्द ही संख्या 50 से ज्यादा की जाएगी. भारत के पास इस वक्त तीन स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियां हैं और कई डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन जो फ्रांस, जर्मनी और रूस के सहयोग से बनी हैं.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और दोनों देशों के दावे
इसी ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारत के पांच जेट मार गिराए. लेकिन भारत ने इन दावों को पूरी तरह नकार दिया. भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने अगस्त में कहा था कि हमने पांच पाकिस्तानी फाइटर जेट और एक बड़ा सर्विलांस विमान गिराया है, जो या तो ELINT था या AEW&C. भारत सरकार के अनुसार, पाकिस्तान के हमले में चीनी और तुर्की हथियारों का इस्तेमाल हुआ था जैसे PL-15 मिसाइलें और Bayraktar ड्रोन. लेकिन भारतीय तकनीक से इन सबको सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया गया.
क्या भारत को सच में चिंता होनी चाहिए?
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की नई हांगोर-क्लास पनडुब्बियां उसकी नौसैनिक ताकत तो बढ़ाएंगी, लेकिन भारत की क्षमता उससे कहीं आगे है. भारत के पास अब INS अरिहंत जैसी परमाणु पनडुब्बियां, उन्नत मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी राडार तकनीक मौजूद हैं. फिर भी विश्लेषक मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान की यह बढ़ती नजदीकी भारत के लिए एक रणनीतिक चेतावनी है. भारत को अपनी समुद्री ताकत और तकनीकी बढ़त बनाए रखनी होगी खासकर हिंद महासागर और अरब सागर के इलाकों में.
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