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पाकिस्तान में आर्थिक मंदी की आहट, देश से भाग रहे निवेशक, आतंकवाद ही नहीं ये भी हैं सबसे बड़े कारण


Pakistan Economic growth decline explained: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय गहरे संरचनात्मक संकट में फंसती जा रही है. देश से कुशल पेशेवरों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्थानीय निवेशकों का पलायन एक साथ हो रहा है. जो स्थिति कभी अस्थायी अस्थिरता मानी जाती थी, अब वह व्यवस्थित आर्थिक गिरावट में बदल गई है. इसके पीछे पाकिस्तान का आतंकवाद एक बड़ा कारण जरूर है. राज्य नीति के तौर पड़ोसी देशों में दहशत फैलाने के लिए पाकिस्तान ने आतंकवाद का सहारा लिया, इसकी वजह से उसे FATF के दंड का भागी बनना पड़ा. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से लोन मिलने में मुश्किलें आईं. लेकिन अर्थशास्त्रियों ने इसका कारण हद से ज्यादा टैक्स, अस्थिर नीतियां और निजी क्षेत्र पर राज्य का बढ़ता नियंत्रण भी बताया है. 

रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में निजी क्षेत्र, जो परंपरागत रूप से रोजगार सृजन का इंजन माना जाता है, बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हाई टैक्स रेट ने अनुभवी पेशेवरों को विदेशों में अवसर तलाशने पर मजबूर कर दिया है, जबकि कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी हिस्सेदारी बेच दी है या देश छोड़ दिया है. यहां तक कि घरेलू उद्योगपति और उद्यमी भी अब यूएई, श्रीलंका, मिस्र, मलेशिया और बांग्लादेश जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें स्थिर कर व्यवस्था और इन्वेस्टमेंट का अच्छा माहौल मिलता है.

राजकोषीय नीति प्रोडक्शन के लिए बन रहा दंड

पाकिस्तान की सरकारी राजकोषीय नीतियां (फिस्कल पॉलिसी) अब उत्पादक वर्ग के प्रति दंडात्मक होती जा रही हैं. मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों पर 40 प्रतिशत से अधिक कर दरें लगाई जा रही हैं, जबकि उनकी वास्तविक आय लगातार घट रही है. कंपनियां, जो पहले से ही कमजोर मांग से जूझ रही हैं, अब दक्षिण एशिया में सबसे ऊंचे कर बोझों में से एक झेल रही हैं, जिसमें सुपर टैक्स, लोएस्ट टर्नओवर लेवी और विदहोल्डिंग चार्जेज शामिल हैं.

कई सेक्टर अपनी गतिविधि रोक रहे

इस स्थिति ने इन्वेस्टमेंट और रोजगार दोनों में खतरनाक गिरावट ला दी है. अब 75 प्रतिशत से अधिक नया बैंक क्रेडिट सरकार के कर्ज में जा रहा है, जिससे निजी कंपनियों के पास कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की भारी कमी हो गई है. बैंक अब राज्य को जोखिम-मुक्त ऋण देना पसंद करते हैं, जिससे उद्योगहीनता (डिइंडस्ट्रियलाइजेशन) बढ़ रही है. इसकी वजह से मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल और निर्माण क्षेत्र अपने संचालन घटा रहे हैं या विस्तार योजनाएं रोक रहे हैं. इस बीच, पी एंड जी (P&G) जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के देश छोड़ने से बाजार का स्वरूप तेजी से बदल रहा है.

खाली जगह में लोकलाइजेशन वेव, लेकिन यह कुप्रबंधन का संकेत

स्थानीय कंपनियां अब इस खालीपन को भरने की कोशिश कर रही हैं, खासकर एफएमसीजी और फार्मास्युटिकल्स सेक्टर में, जिसे रिपोर्ट ने लोकलाइजेशन वेव (स्थानीयकरण की लहर) कहा है. लेकिन यह रुझान आर्थिक मजबूती का नहीं, बल्कि कुप्रबंधन का संकेत है. पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने चेतावनी दी है कि जब तक पाकिस्तान कर ढांचे में सुधार, निजी क्रेडिट की बहाली और निवेश-हितैषी नीतियां नहीं अपनाता, तब तक उसकी अर्थव्यवस्था अपरिवर्तनीय गिरावट ( वापस न हो सकने वाले डिक्लाइन) की ओर बढ़ सकती है. वहीं अगर निवेशकों का भरोसा बहाल नहीं हुआ और विकास को बढ़ावा नहीं मिला, तो 25 करोड़ की जनसंख्या वाला पाकिस्तान अपनी सबसे बड़ी संपत्ति को ही सबसे बड़ी आर्थिक जिम्मेदारी में बदल देगा, जो उसके लिए सबसे बड़ी समस्या बनेगा.

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