Donald Trump warns Xi Jinping: चीन और अमेरिका के बीच व्यापार, टैरिफ और दुनिया पर नियंत्रण के बीच ताइवान एक और मुद्दा है, जिस पर दोनों एक दूसरे के सामने हैं. हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 साल बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच यह बैठक दक्षिण कोरिया के बुसान में एक द्विपक्षीय बैठक हुई. इस दौरान कई मुद्दों पर बात हुई और दोनों देश कई मुद्दों पर सहमत हुए, लेकिन ताइवान को लेकर कोई बात नहीं हुई. इस मुलाकात के कुछ ही दिन बीते कि डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को चेतावनी दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो वह इसका परिणाम जानता है, उन्होंने यह दावा करते हुए कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस स्थिति को “बहुत अच्छी तरह समझते हैं”.
ट्रंप ने शी के साथ अपनी मुलाकात के बाद रविवार को सीबीएस के कार्यक्रम 60 मिनट्स को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं. जब ट्रंप से पूछा गया कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है तो क्या वह अमेरिकी सेना भेजेंगे, तो ट्रंप ने कहा, “अगर ऐसा होता है तो आपको पता चल जाएगा, और वह (शी जिनपिंग) उसका जवाब अच्छी तरह जानते हैं. यह विषय कल बातचीत में आया ही नहीं. उन्होंने खुद इस मुद्दे को नहीं उठाया. लोग थोड़ा हैरान थे कि उन्होंने इसे नहीं उठाया, क्योंकि वह इसे समझते हैं और बहुत अच्छी तरह समझते हैं.”
ट्रंप ने ताइवान को लेकर संभावित संघर्ष पर अपनी रणनीति बताने से इनकार किया और कहा कि चीन “जानता है कि अगर उसने कोई आक्रामक कदम उठाया तो क्या होगा.” उन्होंने आगे कहा, “मैं अपने राज नहीं बता सकता. मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो बताते हैं कि अगर कुछ हुआ तो क्या होगा. दूसरी तरफ को मालूम है, लेकिन मैं वो व्यक्ति नहीं हूं जो हर सवाल के जवाब में सब कुछ खोलकर रख दे. लेकिन वे जानते हैं कि क्या होने वाला है.”
ट्रंप ने दावा किया कि उनके राष्ट्रपति काल में चीन ने ताइवान के खिलाफ कोई कदम इसलिए नहीं उठाया क्योंकि उसे “परिणामों” का डर था. उन्होंने कहा, “उन्होंने और उनके अधिकारियों ने बैठकों में खुले तौर पर कहा था कि जब तक राष्ट्रपति ट्रंप हैं, हम कुछ नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि इसके परिणाम क्या होंगे.” पूरी बातचीत का एक छोटा से क्लिप देखें-
अमेरिकी युद्ध सचिव ने भी चीन को चेताया
इसी बीच, अमेरिकी युद्ध सचिव पीट हेगसेथ ने 31 अक्टूबर को मलेशिया में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ पहली आमने-सामने की मुलाकात में ताइवान और दक्षिण चीन सागर के आसपास चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता पर गहरी चिंता जताई. हेगसेथ ने एक्स/ ट्विटर पर बताया कि उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सत्ता के संतुलन को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि अमेरिका चीन की बढ़ती गतिविधियों से चिंतित है, जो ताइवान और क्षेत्रीय सहयोगियों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं.
चीन ताइवान पर करना चाहता है कब्जा
चीन ने कभी ताइवान पर शासन नहीं किया, लेकिन वह इस स्वशासित ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और उस पर नियंत्रण पाने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका आधिकारिक रूप से वन चाइना पॉलिसी के तहत केवल बीजिंग को मान्यता देता है, लेकिन वह चीनी ताइपे को रक्षात्मक हथियारों की आपूर्ति जारी रखता है. हाल के वर्षों में चीन ने अपने दबाव के तौर-तरीकों को तेज किया है बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किए हैं, लगभग रोजाना ताइवान के हवाई क्षेत्र के पास युद्धक विमान भेजे हैं, जिससे ताइवान स्ट्रेट में संभावित संघर्ष की आशंका बढ़ गई है.
अमेरिकी खुफिया आकलनों के अनुसार, शी जिनपिंग ने चीनी सेना को 2027 तक संभावित आक्रमण के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं. पेंटागन प्रमुख ने दोहराया कि वॉशिंगटन टकराव नहीं चाहता, लेकिन वह अपने हितों की “दृढ़ता से रक्षा” करता रहेगा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा.
ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात में क्या बातें हुईं?
वहीं ट्रंप और शी ने बुसान में अपनी बैठक के दौरान मुख्य रूप से व्यापार संबंधों पर चर्चा की और वैश्विक बाजारों को अस्थिर करने वाले तनावों को कम करने पर सहमति जताई. रिपोर्टों के मुताबिक, वॉशिंगटन कुछ टैरिफ हटाने पर विचार कर रहा है, जबकि बीजिंग ने तकनीक और रक्षा उद्योगों में अहम दुर्लभ धातुओं (रेयर अर्थ मैटेरियल) की स्थिर आपूर्ति बनाए रखने का वादा किया.
ट्रंप ने इन वार्ताओं को बहुत बड़ी सफलता बताया और शी जिनपिंग की प्रशंसा करते हुए उन्हें “एक बहुत शक्तिशाली देश के अत्यंत मजबूत नेता” कहा. उन्होंने यह भी कहा कि वे अप्रैल में चीन की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अपनी ओर से शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों को सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, “चीन और अमेरिका बड़ी शक्तियों के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को साझा कर सकते हैं और हमारे दोनों देशों तथा पूरी दुनिया के हित में अधिक ठोस और महत्वपूर्ण कार्य एक साथ पूरा कर सकते हैं.”
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