बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को कोर्ट ने ‘फरार’ किया घोषित, CID ने अखबारों में नोटिस छपवाया
Sheikh Hasina Declared Absconding: कभी बांग्लादेश की सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता रहीं शेख हसीना आज दिल्ली की गलियों में खुली हवा में सांस ले रही हैं. 15 साल तक सत्ता पर काबिज रहने वाली वही हसीना, जो कभी देश की तरक्की की मिसाल थीं, अब अपने ही वतन की अदालत में ‘फरार’ घोषित कर दी गई हैं. ढाका से निकली उनकी यह कहानी सत्ता, विरोध और निर्वासन के बीच फंसी उस नेता की है, जो अब कहती हैं कि मैं अपने देश लौटना चाहती हूं, लेकिन तभी जब वहां कानून का राज हो.
ढाका की अदालत का बड़ा फैसला
बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल तब आया जब ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘absconding’ यानी फरार घोषित कर दिया. यह मामला देशद्रोह से जुड़ा है, जिसमें हसीना समेत 260 लोगों पर आरोप हैं. बांग्लादेश की क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने दो राष्ट्रीय अखबारों में नोटिस छपवाया है. इस नोटिस में कहा गया है कि सभी आरोपी 11 नवंबर तक अदालत में पेश हों, नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
Sheikh Hasina Declared Absconding: दिल्ली में हैं हसीना
जो महिला कभी बांग्लादेश की राजनीति का सबसे बड़ा नाम थीं, वो अब दिल्ली में निर्वासन (exile) में रह रही हैं. हसीना ने लगातार 15 साल तक देश की सत्ता संभाली थी. विकास के लिए उनकी तारीफ हुई, लेकिन बाद में उन पर तानाशाही के आरोप लगे. अगस्त 2024 में जब देश में छात्र आंदोलन भड़का, तो हालात इतने बिगड़े कि हसीना को हेलीकॉप्टर से भागकर भारत आना पड़ा. अब बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है, जिसने अगले साल चुनाव कराने का वादा किया है.
दिल्ली की खुली हवा में हूं
कई महीनों की चुप्पी तोड़ते हुए शेख हसीना ने रॉयटर्स से बात की. उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली में आजाद हूं, लेकिन सतर्क भी हूं. मेरे परिवार का इतिहास खूनी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोग उन्हें कभी-कभी लोधी गार्डन में टहलते हुए देख लेते हैं. उनके साथ सिर्फ दो-तीन सुरक्षाकर्मी होते हैं. हसीना कहती हैं कि आज वो खुद को आज़ाद महसूस करती हैं, लेकिन डर अब भी भीतर जिंदा है. 1975 के सैन्य तख्तापलट में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और तीन भाइयों की हत्या कर दी गई थी. वो उस वक्त विदेश में थीं, इसलिए बच गईं. हसीना कहती हैं कि देश परिवार से बड़ा होता है.
‘लौटना चाहती हूं, लेकिन तभी जब कानून और लोकतंत्र लौटे’
हसीना ने साफ कहा है कि वो अपने देश लौटना चाहती हैं, लेकिन तभी जब वहां वैध सरकार और कानून का शासन हो. उनका कहना है कि आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाना जनता की आवाज़ को दबाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि अगर हमारी पार्टी को चुनाव से बाहर किया गया, तो करोड़ों लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे.
कैसे एक छात्र आंदोलन ने गिरा दी 15 साल की सरकार
हसीना की सत्ता का पतन ‘कोटा सिस्टम’ के खिलाफ शुरू हुए छात्र आंदोलन से हुआ. सरकारी नौकरियों में आरक्षण नीति को लेकर शुरू हुआ यह विरोध जल्द ही हिंसक प्रदर्शन में बदल गया. युवाओं का गुस्सा इतना बढ़ा कि प्रधानमंत्री आवास तक घेर लिया गया. आखिरकार, हालात काबू से बाहर हुए और हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा.
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