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हिंद महासागर में चीनी जहाजों पर है करीबी नजर; इंडियन नेवी वाइस चीफ, अमेरिका-रूस के साथ जल्द होगा ‘मिलन नौसेना अभ्यास’


Indian Navy: हिंद महासागर वैश्विक व्यापार का एक अहम क्षेत्र है. यह अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर मलक्का तक फैला हुआ. भारतीय समुद्री सीमा के आगे विशाल जल क्षेत्र पर कोई और देश अपनी ताकत का प्रदर्शन न कर पाए, इसके लिए इंडियन नेवी पूरी तरह तैयार है. भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर में मौजूद अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (एक्सट्रा रीजनल पावर्स) पर करीबी नजर रख रही है.

नौसेना की लगातार निगरानी पर जोर देते हुए वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि किसी भी समय हिंद महासागर में 40 से 50 जहाज संचालन कर रहे होते हैं और नौसेना किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने कहा, “चल रही वैश्विक परिस्थितियों के कारण हिंद महासागर क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों की लगातार मौजूदगी है. यह हमेशा से रही है और अब इसमें और बढ़ोतरी हो रही है. किसी भी समय कम से कम 40 और कई बार 50 से अधिक जहाज हिंद महासागर में संचालन करते हैं.”

चीन के जहाजों पर है करीबी नजर

वाइस एडमिरल वात्सायन ने आगे कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम उनमें से हर एक की निगरानी कर रहे हैं. हमें पता है कि वे क्या कर रहे हैं, क्या करने वाले हैं, वे कब आते हैं और कब जाते हैं.” गौरतलब है कि इस साल सितंबर में चीनी ट्रैकिंग जहाज युआन वांग-5 के हिंद महासागर में सक्रिय होने की रिपोर्ट सामने आई थी. इससे पहले भी कई बार ऐसे ही चीनी जहाजों की मौजूदगी की खबरें आई हैं.

चीन हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपने “अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस” (समुद्र के अंदर का जानकारी) को लगातार मजबूत कर रहा है. उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 370 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं. वह समुद्र-वैज्ञानिक और अन्य सामरिक डेटा इकट्ठा करने वाले सर्वे और शोध जहाजों को लगभग स्थायी रूप से तैनात रखता है, इन्हें ‘जासूसी पोत’ भी कहा जाता है. ये जहाज समुद्री नैविगेशन और पनडुब्बी अभियानों से जुड़ी जानकारी एकत्र करने के काम आते हैं.

हिंद महासागर में कैसी हैं भारत की चुनौतियां?

वाइस एडमिरल ने यह भी बताया कि नौसेना के सामने समुद्री डकैती, मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियाँ भी हैं. उन्होंने कहा, “हिंद महासागर विश्व के लिए वस्तुओं और तेल के परिवहन का मुख्य मार्ग है. यह स्थिति नहीं बदलती. इसके साथ पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह की चुनौतियाँ आती हैं, जैसे समुद्री डकैती, मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी आदि. ये सभी चुनौतियाँ मौजूद हैं और हम उनसे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.”

कैसी है इंडियन नेवी की भविष्य की तैयारी?

इसके अलावा, वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने बताया कि भारतीय नौसेना ने इस साल अब तक 10 जहाज और एक पनडुब्बी को शामिल किया है और साल के अंत तक चार और जहाज नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “इस साल हमने 10 जहाज और एक पनडुब्बी को शामिल किया है और दिसंबर के अंत तक चार और जहाज मिलने की उम्मीद है. अगले साल 19 पोत नौसेना में शामिल किए जाने की योजना है, जिनमें से ज्यादातर दिसंबर तक कमीशन हो जाएंगे. उसके अगले साल लगभग 13 जहाज नौसेना को मिलने की संभावना है.”

मिलन एक्सरसाइज में भाग लेंगे 50 से ज्यादा देश

वाइस एडमिरल वात्सायन अंतरराष्ट्रीय बेड़ा निरीक्षण ( इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू – IFR) 2026 के फरवरी में होने वाले आयोजन के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इस बार पहली बार स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी.

वाइस एडमिरल ने कहा, “अमेरिका और रूस दोनों ने अंतरराष्ट्रीय बेड़ा निरीक्षण और ‘मिलन’ नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने की पुष्टि की है. वे अपने जहाज भेजेंगे और कुछ विमानों की भी भागीदारी की उम्मीद है.” उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में देशों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया है और 50 से अधिक देशों ने अंतरराष्ट्रीय बेड़ा निरीक्षण, ‘मिलन’ नौसैनिक अभ्यास और इंडियन ओशन नेवल सिंपोजियम (IONS) में भाग लेने की इच्छा जताई है. यह सम्मेलन 15 फरवरी से 25 फरवरी 2026 तक विजाग में होगा.

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