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इस अफ्रीकी देश के दो तिहाई बच्चे चाइल्ड लेबर के शिकार, लड़कियों को होता है उठऊआ विवाह


Girls Forced Into Child Marriage in African Continent: दक्षिण सूडान में बच्चों की जिंदगी आजकल किसी बड़े संकट की कहानी जैसी हो गई है. देश में लगभग दो-तिहाई बच्चे चाइल्ड लेबर के सबसे खतरनाक रूपों में फंसे हुए हैं. कुछ इलाकों में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यह केवल गरीबी की समस्या नहीं है, बल्कि बाढ़, बीमारी और चल रहे संघर्षों ने इसे और भी गंभीर बना दिया है. यह जानकारी अल जजीरा की रिपोर्ट में सेव द चिल्ड्रन द्वारा किए गए सरकारी अध्ययन से सामने आई है.

Girls Forced Into Child Marriage in African Continent: कितने बच्चे और क्या काम करते हैं?

राष्ट्रीय बाल श्रम अध्ययन में सात राज्यों के 418 से अधिक परिवारों का सर्वे किया गया. इसके नतीजों में पता चला कि 5 से 17 साल के 64 प्रतिशत बच्चे जबरन काम, यौन शोषण, चोरी और संघर्ष में फंसे हुए हैं. बच्चे अक्सर साधारण काम से शुरू करते हैं और फिर खतरनाक और शोषणकारी कामों की तरफ बढ़ जाते हैं. लगभग 10 प्रतिशत बच्चे तो सशस्त्र समूहों में भी शामिल हो जाते हैं.

सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

कापोएटा साउथ (युगांडा की सीमा के पास) यहां 10 में से 9 बच्चे स्कूल की बजाय सोने की खानों, खेती और पशुपालन में काम करते हैं. याम्बियो क्षेत्र (दक्षिण-पश्चिम) स्थानीय संघर्ष और बाल विवाह ने बच्चों को मजबूर कर दिया है. शोषण का तरीका लिंग पर भी निर्भर करता है. जैसे कि लड़के का खतरनाक उद्योगों में काम करने या सशस्त्र समूहों में शामिल होने की संभावना अधिक वहीं लड़कियाों को जबरन विवाह, घरेलू दासता और यौन शोषण का सामना करती हैं.

कानून की जानकारी भी काम नहीं आती

सर्वे से पता चला कि 70 प्रतिशत बच्चे ऐसे घरों में रहते हैं जहां वयस्क कानूनी सुरक्षा से परिचित हैं, लेकिन बच्चों को इसका फायदा नहीं मिलता. दो-तिहाई बच्चे यह भी नहीं जानते कि उनकी मदद के लिए विकल्प मौजूद हैं. क्रिस न्यामंडी, सेव द चिल्ड्रन के दक्षिण सूडान कंट्री डायरेक्टर कहते हैं कि जब किसी देश के लगभग दो-तिहाई बच्चे काम कर रहे हों, और कुछ क्षेत्रों में हर बच्चा, तो यह केवल गरीबी का मामला नहीं बल्कि गंभीर संकट है.

आईएलओ-यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि पूर्वी अफ्रीका में चाइल्ड लेबर का औसत 30 प्रतिशत है, लेकिन दक्षिण सूडान में यह आंकड़ा 64 प्रतिशत है. न्यामंडी के अनुसार, स्कूल जाना बच्चों के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा है. स्कूल जाने वाले बच्चों पर शोषण का खतरा बहुत कम होता है. सरकार ने संकट को स्वीकार किया. जुबा में रिपोर्ट के विमोचन के मौके पर श्रम मंत्रालय के अवर सचिव देंग टोंग ने कहा कि ये सबूत “कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण आधार” हैं.

बाढ़, भूख और मलेरिया का त्रिकोण

देश में हालात और भी गंभीर हैं. लगभग 10 लाख लोग भीषण बाढ़ से प्रभावित. 3,35,000 लोग विस्थापित. 140 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्र क्षतिग्रस्त या जलमग्न. मलेरिया के हालिया मामले 1,04,000 से अधिक है. 77 लाख लोग गंभीर भूखमरी झेल रहे. राष्ट्रपति साल्वा कीर और प्रथम उपराष्ट्रपति रीक मचर के बीच 2018 का शांति समझौता लगातार तनावपूर्ण है. मचर मार्च में गिरफ़्तार हुए और उन पर राजद्रोह, हत्या और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगे. बढ़ती हिंसा के बीच, इस साल लगभग 3,00,000 लोग देश छोड़ चुके हैं.

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