Who is Sanae Takaichi: जापान की संसद ने मंगलवार को घोर रूढ़िवादी साने ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुना गया है. जापान की पुरुष प्रधान राजनीति में इसे बहुत बड़ा बदलाव माना जा रहा है. साने ताकाइची अपने घोर रूढ़िवादी सोच के लिए जानी जाती है. यही नहीं वो पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की बड़ी प्रशंसक हैं. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के रूढ़िवादी दृष्टिकोण की बड़ी समर्थक हैं. चीन के आंखों में खटकने वाले यसुकुनी मंदिर में ताकाइची पूजा अर्चना करने नियमित तौर पर जाती हैं. चीन, उत्तर और दक्षिण कोरिया समेत कई और एशियाई देश मानते हैं कि यह मंदिर दूसरे विश्व युद्ध में जापान की आक्रमता का महिमंडन करता है. साने ताकाइची का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प है.
ताकाइची लेंगी प्रधानमंत्री पद की शपथ
ताकाइची जापान में शिगेरु इशिबा की प्रधानमंत्री पद ग्रहण करेंगी. इशिवा को दो बार हार के बाद इस्तीफा देना पड़ा. साने ताकाइची पहली बार 1993 में अपने गृहनगर नारा से सांसद चुनी गई थीं. उन्होंने राजनयिक अनुभव नहीं होने के बावजूद आर्थिक सुरक्षा, गृह, लैंगिक समानता मंत्री सहित पार्टी और सरकार में कई पदों पर अपनी सेवाएं दीं हैं. ताकाइची ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनका फोकस जापान की सेना को मजबूत करने, विकास के लिए अधिक खर्च करने, न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को प्रोत्साहन देने, साइबर सिक्युरिटी और आव्रजन पर रहेगा.
‘मैं केवल काम- काम और काम करूंगी’- ताकाइची
जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री ताकाइची अपने कठिन परिश्रम के लिए काफी विख्यात हैं. अपने छात्र जीवन में ताकाइची ड्रम वादक और मोटरसाइकिल चालक थीं. वो दो बार एलडीपी का नेतृत्व हासिल करने की असफल कोशिश भी कर चुकीं हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी सोच की दिशा बदली और अपने सहयोगियों से संपर्क बढ़ाने की पहल की. उन्होंने अपने पार्टी सहयोगियों से ‘घोड़े की तरह काम करने की अपील की और कहा कि मैं ‘काम और जीवन के बीच संतुलन के शब्द को समाप्त कर दूंगी. मैं केवल काम- काम और काम करूंगी.’’
ताकाइची ने काफी संघर्ष के बाद हासिल किया मुकाम
ताकाइची को जापान की पुरुष प्रधान पार्टी में अपनी पहचान के लिए काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा है. जापान की संसद के निचले सदन में सिर्फ 15 फीसदी महिलाएं हैं. कुल 47 प्रांतीय गवर्नर में सिर्फ दो महिलाएं ही इस पद पर हैं. ताकाइची हमेशा लैंगिक समानता के मुद्दों पर बात करने से बचती रही हैं. हालांकि, उन्होंने अपनी सरकार में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की बात कही है. लेकिन, शाही उत्तराधिकार केवल पुरुष सदस्य को ही देने की नीति का समर्थन भी किया है.
कई मुद्दों पर ताकाइची का रहा है विरोध
जापान की नव निर्वाचित प्रधानमंत्री टैक्स की सुरक्षा और इतिहास पर सख्त नीति अपना सकती हैं. क्योंकि उन्होंने युद्ध में जापान की आक्रामकता और अत्याचार को स्वीकार करने का जोरदार विरोध किया है. जब कोरियाई मजदूरों का इस्तेमाल किया गया था. यही नहीं ताकाइची उस अभियान का भी हिस्सा रही थीं जिसमें स्कूल के पाठ्य पुस्तकों में से युद्ध के दौरान यौन दासता का संदर्भ हटाने की मांग की गई थी.
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