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इस्लामिक NATO का आगाज! सऊदी–पाकिस्तान का तगड़ा ऐलान, हमला किसी एक पर, जवाब दोनों देंगे; क्या भारत पर भी पड़ेगा असर?


Saudi Pakistan Strategic Defense Alliance: दुनिया का नक्शा इस वक्त उथल-पुथल से भरा पड़ा है. कभी खाड़ी में मिसाइल गिर जाती है, कभी अचानक झड़पें हो जाती हैं. हाल ही में कतर की राजधानी दोहा पर इजराइल का हमला और भारत–पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव ने माहौल को और ज्यादा गरमा दिया है. ऐसे हालात में अगर दो बड़े मुल्क हाथ मिलाकर बोल दें कि “हमला एक पर हुआ तो जवाब दोनों देंगे”, तो सोचिए बाकी दुनिया पर क्या असर होगा.

बिल्कुल यही किया है सऊदी अरब और पाकिस्तान ने. बुधवार को रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने “स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट” पर साइन किए. सुनने में नाम भारी है, लेकिन मतलब सीधा है कि अब पाकिस्तान और सऊदी एक-दूसरे के लिए सुरक्षा ढाल बन गए हैं.

Saudi Pakistan Strategic Defense Alliance: सबसे बड़ा क्लॉज – हमला एक पर, मानो दोनों पर

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट बताती है कि इस समझौते की सबसे बड़ी बात है, “अटैक ऑन वन, एग्रेसन अगेंस्ट बोथ.” मतलब साफ है कि अगर पाकिस्तान पर हमला होता है तो सऊदी इसे अपने खिलाफ हमला मानेगा और अगर सऊदी पर आक्रमण होता है तो पाकिस्तान तुरंत उसके साथ खड़ा होगा. संयुक्त बयान में लिखा गया कि यह डील आठ दशकों पुराने रिश्तों, भाईचारे और इस्लामी एकजुटता पर आधारित है. इसका मकसद है रक्षा सहयोग को और गहरा करना और साझा रोकथाम क्षमता को मजबूत बनाना. इसे डिप्लोमैटिक भाषा में कहते हैं स्ट्रैटेजिक डिटरेंस यानी “साझा प्रतिरोध.”

खाड़ी के लिए क्यों जरूरी पड़ा यह समझौता?

बीते कुछ हफ्तों में खाड़ी देशों की बेचैनी साफ दिख रही है. भारत–पाकिस्तान की सैन्य झड़प ने बता दिया कि साउथ एशिया अब भी बेहद संवेदनशील है. दोहा पर इजराइली हमले ने साबित कर दिया कि खाड़ी के छोटे–बड़े मुल्क कभी भी निशाने पर आ सकते हैं. इन हालात में सऊदी अरब को यह समझौता राहत देता है. आखिर पाकिस्तान न केवल परमाणु ताकत रखता है, बल्कि उसकी फौज दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में गिनी जाती है. यानी अब सऊदी के पास सुरक्षा का एक ठोस सहारा है.

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पाकिस्तान के लिए यह डील क्यों अहम?

पाकिस्तान की नजर से देखें तो यह समझौता किसी जीवनरेखा जैसा है. उसे सऊदी से आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है. कूटनीतिक स्तर पर भी बड़ा सहारा मिलेगा. अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल करके पाकिस्तान खाड़ी की राजनीति में और गहराई से घुस जाएगा. वैसे भी, यह रिश्ता नया नहीं है. दशकों से पाकिस्तानी सैनिक सऊदी की जमीन पर तैनात हैं. उन्होंने बाहरी खतरों से साम्राज्य की रक्षा की है. फर्क बस इतना है कि पहले सब भरोसे और मौखिक समझौतों पर चलता था, अब उसे औपचारिक और कानूनी रूप मिल गया है.

इस्लामिक नाटो की शुरुआत?

याद कीजिए, पिछले हफ्ते दोहा में इस्लामिक अरब समिट हुई थी. वहां 50 से ज्यादा मुस्लिम मुल्क जुटे थे. बैठक में मिस्र ने सुझाव दिया था कि मुस्लिम देशों का नाटो जैसा गठबंधन बनाया जाए. भले ही उस समय कोई औपचारिक अलायंस नहीं बना, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही सऊदी–पाकिस्तान डील सामने आ जाना कम मायने नहीं रखता.

कई मुस्लिम देशों को डर है कि इजराइल कभी भी हमला कर सकता है. ताजा उदाहरण दोहा का है. इजराइल ने वहां हमास के नेताओं को निशाना बनाया, जिसमें छह लोग मारे गए. कतर ने साफ कहा कि उसके सुरक्षा बल का एक जवान भी मारा गया. इजराइल ने खुलेआम जिम्मेदारी ली और कहा कि “हमने किया और हमें कोई पछतावा नहीं.”

अब सवाल उठता है कि इस समझौते से किसे सबसे ज्यादा परेशानी होगी? ईरान, क्योंकि खाड़ी में उसका दबदबा सीधे चुनौती में आ सकता है. इजराइल पे क्योंकि मुस्लिम देशों का एकजुट होना उसके लिए खतरे की घंटी है. पाकिस्तान और सऊदी दोनों ने दुनिया को साफ मैसेज दे दिया है कि “हममें से किसी को छेड़ा तो दोनों से भिड़ना होगा.”

सऊदी–पाकिस्तान डील पर भारत की “देखो और समझो” नीति

भारत ने इस नए फॉर्मूले को गंभीरता से लिया है और अपना रुख रखा है कि “पहले समझेंगे, फिर कदम उठाएंगे.” विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को बयान जारी किया कि वह इस समझौते के असर और निहितार्थों का विश्लेषण करेगा. MEA प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने बताया कि सरकार पहले से इस डेवलपमेंट से वाकिफ़ थी और यह डील पुराने रिश्तों को औपचारिक रूप देती है. MEA ने साफ कहा, “हम इस डील के असर को राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिहाज से समझेंगे.” मतलब साफ है कि भारत किसी भी फैसले में जल्दबाजी नहीं करेगा. साथ ही, विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और हर क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. चाहे वह सीमा पर सुरक्षा हो, क्षेत्रीय राजनीति हो या ग्लोबल चैलेंज, भारत हर मोर्चे पर चौकस रहेगा.

Foreign Ministry Statement On The Pakistan Saudi Arabia Defense Agreement
Foreign ministry statement on the pakistan-saudi arabia defense agreement

भारत का संदेश है – सऊदी–पाकिस्तान का नया रक्षा गठबंधन एक बड़ा कदम है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन फिलहाल भारत का रुख है “देखो, समझो और फिर स्टेप लो”.

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