North Korea Ban: धूप में आप बीच रिसॉर्ट पर पहुंचे हैं. मूड बना है आइसक्रीम खाने का. आपने दुकान वाले से कहा, “भैया, एक आइसक्रीम देना.” अब भारत में तो भैया हंसकर ठंडी-ठंडी आइसक्रीम पकड़ा देगा. लेकिन अगर यही लाइन नॉर्थ कोरिया में बोल दी, तो आपकी मुस्कान भी जम जाएगी. क्योंकि वहां सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन ने ‘आइसक्रीम’ समेत कई विदेशी और साउथ कोरियन शब्दों पर पूरी तरह बैन लगा दिया है.
North Korea Ban: शब्दों की सेंसरशिप, आइसक्रीम से कराओके तक
किम जोंग-उन का नया फरमान कहता है कि अंग्रेजी से निकले या साउथ कोरियन शब्द “बहुत वेस्टर्न” और “विचारधारा को खराब करने वाले” हैं. इसलिए अब “आइसक्रीम” को ‘एसेकिमो’ या ‘ओरम बोसुंगी’ कहा जाएगा. “हैमबर्गर” का नाम बदलकर रख दिया गया ‘डाजिन-गोगी ग्योप्पांग’ (यानि डबल ब्रेड विद ग्राउंड बीफ) और “कराओके” को कहेंगे “ऑन-स्क्रीन अकंपनिमेंट मशीन.” सुनने में अजीब या मजाकिया लगे, लेकिन नॉर्थ कोरिया के लिए यह कोई हंसी-ठिठोली नहीं है. खासकर उन लोगों के लिए जो टूरिज्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं.
North Korea Ban: टूर गाइड्स की मुश्किलें
नॉर्थ कोरिया वोंसान (Wonsan) शहर को एक लग्जरी टूरिज्म हब बनाने में जुटा है. इसके लिए अगस्त 2025 से वहां नए टूर गाइड्स की ट्रेनिंग शुरू हुई. इसमें 20–30 लोग हिस्सा ले रहे हैं. जिनमें भाषा यूनिवर्सिटी से पास-आउट छात्र और नए भर्ती किए गए गाइड शामिल हैं. तीन महीने चलने वाले इस प्रोग्राम में गाइड्स को सिर्फ टूरिस्ट्स से बात करने के तरीके ही नहीं, बल्कि ड्रेस कोड, आचरण, और राज्य द्वारा तय किए गए नारे व शब्द भी रटाए जा रहे हैं. डेली एनके के अनुसार, एक गाइड ने डरते-डरते बताया कि विदेशी पर्यटकों से तो हमें वही शब्द बोलने होंगे, जो उन्हें समझ आएं. लेकिन अगर हमने ‘गलत शब्द’ बोल दिया तो नौकरी से निकाला जा सकता है. मतलब साफ है कि एक शब्द की गलती, और करियर खत्म.
North Korea Ban in Hindi: अजीबोगरीब बैन की लंबी लिस्ट
भाषा बैन से पहले भी नॉर्थ कोरिया कई अजीब फैसलों की वजह से सुर्खियों में रहा है. हाल ही में हॉट डॉग पर रोक लगी. उसे पकाना या खाना अब “देशद्रोह” माना जाएगा. टटोकबोकी, जो साउथ कोरिया का मशहूर स्ट्रीट फूड है, वो भी बैन. कपड़ों में भी सेंसरशिप जैसे शॉर्ट स्कर्ट, लोगो वाली टी-शर्ट, हाई हील्स, जीन्स, चमकीले कपड़े सब मना हैं. यानी खाना हो या पहनावा, हर चीज़ पर सरकार का कंट्रोल. अब आते हैं असली सख्ती पर. नॉर्थ कोरिया में साउथ कोरियन ड्रामा, के-पॉप वीडियो या विदेशी फिल्में देखना बेहद खतरनाक है. यूएन की रिपोर्ट कहती है कि 2014 से हालात और भी बिगड़े हैं.
घरों पर छापेमारी होती है.
विदेशी कंटेंट देखने वालों को जेल, पब्लिक ट्रायल और यहां तक कि फांसी दी जाती है. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में एक महिला जो देश से भाग निकली, उसने बताया कि उसके तीन दोस्तों को सिर्फ साउथ कोरियन ड्रामा रखने की वजह से मार दिया गया.
सोचिए, वहां किसी के घर पर USB स्टिक या रेडियो मिल जाए, तो उसकी जान तक जा सकती है. कितनी भी सख्ती हो, लोग बाहर की दुनिया से जुड़े रहने का रास्ता निकाल ही लेते हैं. स्मगल किए गए यूएसबी, छुपे हुए रेडियो और अंडरग्राउंड नेटवर्क्स आज भी वहां के लोगों की लाइफलाइन बने हुए हैं. कुछ लोग रिश्वत देकर बच निकलते हैं, लेकिन रिस्क हमेशा बना रहता है.
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नॉर्थ कोरिया का असली खेल
दरअसल, नॉर्थ कोरिया का मकसद दोहरा है. वो चाहता है कि टूरिज्म से पैसा भी आए, लेकिन साथ ही देश में बाहर की संस्कृति का असर बिल्कुल न पड़े. इसीलिए शब्दों से लेकर कपड़ों और खाने तक पर सरकार का कंट्रोल है. कुल मिलाकर, हमें नॉर्थ कोरिया का यह नया नियम हंसी दिला सकता है. लेकिन वहां के लोगों के लिए यह भाषा नहीं, जिंदगी और मौत का सवाल है.
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