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अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय! चीन का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर ‘फुजियान’ हिंद महासागर में मचाएगा तबाही


China Third Aircraft Carrier Fujian: समुद्र की लहरों पर तैरता हुआ एक ऐसा शहर, जिसमें दर्जनों लड़ाकू विमान हों, रडार हों और आसमान से लेकर गहरे पानी तक दुश्मन पर नजर रखने की क्षमता हो. यही ताकत होती है एयरक्राफ्ट कैरियर की. अमेरिका सालों से इस खेल का बादशाह है. लेकिन अब चीन भी उसी राह पर तेजी से बढ़ रहा है. उसकी नौसेना का नया सुपरकैरियर फुजियान (Type 003) चर्चा में है, जो इस साल के अंत तक कमीशन हो सकता है. सवाल ये है कि ये जहाज इतना खास क्यों है और भारत समेत पूरी दुनिया इसके आने से क्यों सजग हो गई है?

China Third Aircraft Carrier Fujian: चीन का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर

चीन के पास अभी दो कैरियर हैं, लियाओनिंग और शानडोंग. फुजियान इनसे अलग और ज्यादा एडवांस है. इसे चीन का पहला इंडिजिनस सुपरकैरियर बताया जा रहा है. यानी इसे पूरी तरह चीन ने खुद डिजाइन और तैयार किया है. इसके शामिल होने के बाद चीन दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा, जिसके पास दो से ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे. अभी तक ये जगह सिर्फ अमेरिका के पास थी.

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China Third Aircraft Carrier Fujian: इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट से लैस

फुजियान की सबसे बड़ी ताक़त है इसका Electromagnetic Catapult System (EMALS). दुनिया में यह तकनीक अभी तक सिर्फ अमेरिका के USS Gerald R. Ford पर है. इसका फायदा ये है कि जहाज ज्यादा तेज और भारी विमान आसानी से लॉन्च कर सकता है. फुजियान की लंबाई 320 मीटर, चौड़ाई 78 मीटर और ड्राफ्ट 11.5 मीटर है. इसमें तीन कैटापल्ट्स, दो एलीवेटर्स और कई arresting devices लगे हुए हैं.

तेजी से पूरा हुआ सफर

इस जहाज का निर्माण 2019 में शंघाई के जियांगन शिपयार्ड में शुरू हुआ. 17 जून 2022 को इसे लॉन्च किया गया. 2024 से इसके सी-ट्रायल्स शुरू हुए और अब तक आठ बार समुद्र में उतारा जा चुका है. कुल 117 दिन की टेस्टिंग पूरी हो चुकी है. खास बात ये है कि चीन ने सिर्फ 6 साल में इसे तैयार और ट्रायल कर लिया, जबकि अमेरिका के Ford-class को बनने से कमीशन तक 16 साल लग गए.

कौन से विमान उड़ेंगे फुजियान से?

3 सितंबर की सैन्य परेड में चीन ने चार ऐसे विमान दिखाए जिन्हें फुजियान से उड़ाने की तैयारी है. जिसमें J-35A: स्टेल्थ फाइटर, J-15T: हेवी कैरियर-बोर्न फाइटर, J-15DT: इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, KJ-600: एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट. यानी ये जहाज चलते-फिरते फ्लोटिंग एयरबेस जैसा होगा. 

चीन की मीडिया और सोशल मीडिया दो तारीखों की चर्चा कर रहे हैं. 18 सितंबर 2025 जापान के चीन पर हमले की 94वीं बरसी और 1 अक्टूबर को चीन का नेशनल डे. यानी साफ है कि जहाज अब केवल ट्रायल नहीं, बल्कि कमीशनिंग की ओर बढ़ रहा है.

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भारत और हिंद महासागर पर असर

फुजियान की सबसे बड़ी अहमियत यही है कि यह चीन की रीच को हिंद महासागर तक बढ़ा देगा. इसका मतलब है कि अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर साउथ ईस्ट एशिया तक चीन के जहाज आसानी से पेट्रोल कर सकेंगे. भारत के लिए यह सीधी चुनौती है क्योंकि हिंद महासागर को भारत की ‘बैकयार्ड’ रणनीति माना जाता है.

फुजियान सिर्फ एक और जहाज नहीं, बल्कि चीन की नेवल पावर का ऐलान है. ये संदेश है कि अब अमेरिका अकेला महासागरों का बादशाह नहीं रहेगा. और भारत के लिए, ये साफ चेतावनी है कि हिंद महासागर की जंग अब और भी गर्म होने वाली है.