‘आज हमला दोहा में हुआ, कल…’; दोहा से इजरायल को अल्टीमेटम! अरब-मुस्लिम मुल्कों की गूंज, अमेरिका पर भी बढ़ा दबाव
Qatar Doha Summit: दोहा की चमकती-दमकती राजधानी कतर आमतौर पर शांति और अमीरी की पहचान मानी जाती है. लेकिन बीते हफ्ते यहां एक ऐसा हमला हुआ जिसने पूरे अरब और मुस्लिम देशों को हिला दिया. इजरायल ने हमास के नेताओं को निशाना बनाया, वो भी कतर में, जहां वो गाजा युद्ध को लेकर बातचीत कर रहे थे. नतीजा यह हुआ कि सोमवार को कतर में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई. इसमें अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के करीब 60 देशों ने हिस्सा लिया. एजेंडा सीधा था कि इजरायल को घेरना और दुनिया को संदेश देना.
Qatar Doha Summit: जॉइंट स्टेटमेंट का बड़ा ऐलान
मीटिंग के बाद जो स्टेटमेंट आया, उसमें इजरायल पर कड़ा रुख अपनाने की अपील की गई, सभी सदस्य देशों से कहा गया कि वो इजरायल के साथ अपने कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों की समीक्षा करें. इजरायल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई. और सबसे बड़ा, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल की सदस्यता सस्पेंड कराने के लिए मिलकर प्रयास करने का ऐलान हुआ.
गौर करने वाली बात यह रही कि UAE, बहरीन और मोरक्को, जिन्होंने ठीक पांच साल पहले अब्राहम अकॉर्ड साइन करके इजरायल को मान्यता दी थी, उनके टॉप लीडर इस मीटिंग में नहीं आए. उन्होंने सिर्फ सीनियर प्रतिनिधि भेजे. ये भी एक इशारा है कि हालात गंभीर हैं और माहौल को लेकर संकोच है.
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कतर का गुस्सा और हमास का बयान
कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने इजरायल पर तीखा हमला बोला. उनका कहना था कि जो मुल्क बातचीत करने वालों पर ही हमला करता है, उसका मकसद बातचीत को पटरी से उतारना होता है. हमास की तरफ से भी बयान आया कि उनके टॉप अफसर इस हमले में बच गए, लेकिन छह लोगों की मौत हो गई.
Arab Muslim Nations Warning: किसने-किसने शिरकत की?
मीटिंग में कई बड़े चेहरे मौजूद रहे. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान, इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास.
ईरानी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि आज हमला दोहा में हुआ, कल किसी और अरब या इस्लामी राजधानी की बारी आ सकती है. इसलिए हमें एकजुट होना होगा. वहीं, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी ने कहा कि कतर पर हमला मौजूदा शांति समझौतों को खत्म कर सकता है और नए समझौते की राह में भी रुकावट डालेगा.
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अमेरिका की मुश्किल
हमले ने अमेरिका को भी असहज कर दिया. वजह साफ है कि कतर में उसका बड़ा सैन्य अड्डा मौजूद है. अब अमेरिका के सामने चुनौती है कि वो अपने “ग्लोबल पार्टनर” इजरायल और “गल्फ के दोस्तों” दोनों को कैसे संतुलित करे. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो मंगलवार को दोहा पहुंच रहे हैं. उन्होंने पहले ही इजरायल को “अनवरिंग सपोर्ट” देने की बात कही है. लेकिन स्टेट डिपार्टमेंट ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका, कतर की सुरक्षा और संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है. यानी अमेरिका अब दोनों तरफ भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा है.
दोहा की ये इमरजेंसी मीटिंग सिर्फ गाज़ा युद्ध की वजह से नहीं थी, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी थी. अरब और मुस्लिम देश अब इजरायल पर मिलकर दबाव बनाने को तैयार हैं. कतर की तरफ से साफ संकेत मिला है, या तो बातचीत और सीजफायर का रास्ता अपनाओ, वरना दुनिया में अलग-थलग होने के लिए तैयार रहो.