नेपाल की नई सरकार में 3 मंत्रियों ने ली शपथ, प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने किसे सौंपा सबसे ताकतवर मंत्रालय?
Nepal Interim Government: नेपाल की राजनीति इन दिनों काफी हिल गई है. हाल ही में हुई हिंसक प्रदर्शनों और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के बाद अब अंतरिम सरकार ने नए मंत्रियों को शामिल कर प्रशासन में स्थिरता लाने की कोशिश शुरू कर दी है. ऐसा लग रहा है जैसे काठमांडू की गलियों में अब थोड़ी राहत की हवा बह रही हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये नए चेहरे सच में बदलाव ला पाएंगे?
Nepal Interim Government: तीन नए मंत्री
सोमवार को राष्ट्रपति भवन स्थित शीतल निवास में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कुलमन घीसिंग, ओम प्रकाश आर्यल और रामेश्वर खनल ने कार्यभार संभाला. कुलमन घीसिंग, जो पहले नेपाल विद्युत प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक थे, अब ऊर्जा, शहरी विकास और भौतिक अवसंरचना मंत्री बन गए हैं. जाने-माने वकील ओम प्रकाश आर्यल कानून और गृह मंत्रालय के प्रभारी हैं. नेपाल के पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनल वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगे.
#WATCH | Nepal’s interim cabinet expands with the induction of three ministers. Visuals from ‘Sital Niwas’, the Nepali Rashtrapati Bhawan in Kathmandu.
Kulman Ghising, Om Prakash Aryal and Rameshwor Khanal took oath as Ministers this morning. pic.twitter.com/J2FO4lGRHb
— ANI (@ANI) September 15, 2025
समारोह की झलकियों में तीनों नेताओं ने अपने कर्तव्यों को गंभीरता और ध्यान से संभालते हुए दिखाया. यह कदम अंतरिम सरकार की उस कोशिश का हिस्सा है, जो राजनीतिक स्थिरता लाने की दिशा में है.
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सुशीला कार्की की चुनौती
पिछले हफ्ते हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा. रविवार को उन्होंने औपचारिक रूप से पद ग्रहण किया. प्रधानमंत्री कार्की अभी भी मंत्रालयों के लिए अन्य नामों पर विचार कर रही हैं और विभिन्न अधिकारियों के साथ रोडमैप पर चर्चा कर रही हैं. कार्की, जो पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, के पास 5 मार्च तक चुनाव करवाने और नए प्रधानमंत्री के लिए पद खाली करने की समय सीमा है.
काठमांडू की आम जनता की प्रतिक्रिया
वहीं राजधानी के निवासी अभी भी सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश कर रहे हैं. हिंसक प्रदर्शन और विरोधों के कारण व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. “हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं. लोगों की आवाज कम हुई है, लेकिन वे अभी भी शोक में हैं. बिक्री प्रभावित हुई है,” सबिता सुरखेटी ने बताया. शहर अब इस भरोसे पर टिका है कि चुनावों के बाद राजनीतिक स्थिरता आएगी और जीवन की रफ्तार फिर से सामान्य होगी.
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