Russia India Friendship: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता ने भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है. इस अहम मुलाकात में रूस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की अतिरिक्त खेप देने का ऐलान किया है, जिसे पीएम मोदी के लिए “पहला तोहफा” बताया जा रहा है.
एस-400 को लेकर बढ़ा सहयोग
रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, भारत और रूस के बीच S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम की नई डिलीवरी को लेकर बातचीत चल रही है. रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने बताया कि भारत पहले से ही इस प्रणाली का संचालन कर रहा है और अतिरिक्त खेप की चर्चा जारी है.
2018 में हुआ था $5.5 बिलियन का बड़ा सौदा
भारत ने वर्ष 2018 में रूस से 5 S-400 प्रणालियों की खरीद के लिए $5.5 बिलियन (लगभग ₹45,000 करोड़) का करार किया था. इस सौदे के तहत तीन यूनिट्स की आपूर्ति पहले ही हो चुकी है, जबकि अंतिम दो यूनिट्स की डिलिवरी 2026 और 2027 में होनी है. यह मिसाइल सिस्टम चीन और पाकिस्तान की ओर से बढ़ते खतरे के खिलाफ भारत की वायु सुरक्षा के लिए बेहद अहम मानी जाती है.
अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत अडिग
रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद जारी रखी. उन्होंने कहा कि यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता का परिचायक है.
दशकों पुराना रक्षा सहयोग
भारत-रूस रक्षा साझेदारी में कई ऐतिहासिक प्रोजेक्ट शामिल हैं T-90 टैंक, Su-30MKI फाइटर जेट, MiG-29 और कामोव हेलीकॉप्टर, INS विक्रमादित्य विमानवाहक पोत, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल और AK-203 राइफल प्रोजेक्ट प्रमुख उदाहरण हैं.
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की भूमिका
हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ हुए “ऑपरेशन सिंदूर” में S-400 मिसाइल प्रणाली ने दुश्मन की कई मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सफलता पूर्वक नष्ट किया, जिससे इसकी सामरिक उपयोगिता सिद्ध हो गई. इससे भारत की वायु रक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर और मान्यता मिली है.