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बांग्लादेश-चीन नहीं, इस देश में बढ़ते पॉल्यूशन पर पेट्रोल स्कूटरों पर लगा बैन! जानें कब से लागू होगा नियम


Petrol Motorcycles Ban: नयी दिल्ली की तरह वियतनाम के कई बड़े शहर भी खतरनाक स्तर के वायु प्रदूषण से गुजर रहे हैं. हनोई और हो ची मिन्ह सिटी में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग हर सुबह स्मॉग और धुंध से ढके आसमान के नीचे दिन की शुरुआत करते हैं. राजधानी हनोई में लाखों मोटरसाइकिलों से निकलने वाला धुआं इस प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. इसी संकट से निपटने के लिए सरकार ने पेट्रोल मोटरसाइकिलों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनायी है. हनोई की सड़कों पर रोजाना करीब 70 लाख पेट्रोल से चलने वाली मोटरसाइकिलें दौड़ती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यही वाहनों का धुआं शहर की हवा को जहरीला बना रहा है. नतीजा यह है कि हनोई को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाने लगा है.

सरकार का सख्त कदम

वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने जुलाई में ‘डायरेक्टिव 20’ जारी किया. इसके तहत एक जुलाई 2026 से हनोई के रिंग रोड-1 क्षेत्र के भीतर पेट्रोल मोटरसाइकिलों का संचालन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा. सरकार का दावा है कि यह कदम राजधानी की बिगड़ती हवा को साफ करने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा.

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Petrol Motorcycles Ban in Hindi: जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस फैसले ने हनोई के लोगों को दो हिस्सों में बांट दिया है. एक ओर, कुछ लोग इसे प्रदूषण पर रोक लगाने का साहसिक प्रयास मानते हैं. दूसरी ओर, बड़ी संख्या में लोग विरोध में हैं. उनका कहना है कि मोटरसाइकिलें ही सबसे सस्ता और सुविधाजनक साधन हैं. अचानक इन्हें बंद कर देना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर देगा.

क्या वियतनाम तैयार है इस बदलाव के लिए?

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इतनी जल्दी इस तरह का प्रतिबंध लागू करना व्यावहारिक नहीं है. हनोई की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था अभी बेहद सीमित है. इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए चार्जिंग स्टेशन तक मौजूद नहीं हैं. देश की बिजली व्यवस्था भी कमजोर है, ऐसे में यदि चार्जिंग नेटवर्क खड़ा कर भी दिया जाये तो पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराना मुश्किल होगा. जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में राजधानी में अफरातफरी मच सकती है और सार्वजनिक परिवहन तंत्र दबाव में आकर ध्वस्त हो सकता है.

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क्या उद्योग जगत को मिलेगा फायदा?

जनता का एक वर्ग मानता है कि इस फैसले का सबसे बड़ा असर गरीबों पर पड़ेगा. साथ ही, यह आरोप भी लग रहा है कि सरकार पर्यावरण संरक्षण की आड़ में देश के सबसे बड़े उद्योग समूह ‘विंग्रुप’ और उसकी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी ‘विनफास्ट’ को फायदा पहुंचाना चाहती है. आलोचकों का कहना है कि यह बदलाव आम लोगों से ज्यादा उद्योग जगत को मजबूत करने की रणनीति भी हो सकता है.