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भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान ही क्यों बनता है तबाही का मैदान? जानिए कारण


Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की मार से कराह उठा है. 1 सितंबर की आधी रात को देश के दक्षिण-पूर्वी इलाके में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने देखते ही देखते 800 से ज्यादा लोगों की जान ले ली, जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हो गए. यह सवाल उठना लाजमी है कि मध्यम श्रेणी का यह भूकंप आखिर अफगानिस्तान में इतना विनाशकारी क्यों साबित हुआ?

भूगोल बना अफगानिस्तान की त्रासदी का कारण

हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला में स्थित अफगानिस्तान, भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है. यह इलाका तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों – यूरेशियन, भारतीय और अरबियन प्लेटों के टकराव वाले क्षेत्र में आता है. इन प्लेटों की लगातार हलचल से भूकंपीय ऊर्जा जमा होती रहती है, जो समय-समय पर झटकों के रूप में बाहर आती है.

आफ्टरशॉक्स से और बढ़ा कहर

मुख्य भूकंप के बाद आए 4.5 और 5.2 तीव्रता के आफ्टरशॉक्स ने हालात को और बदतर बना दिया. पहले से कमजोर हो चुकी इमारतें इन झटकों में जमींदोज हो गईं, जिससे मलबे में फंसे लोगों की जान बचाना और भी मुश्किल हो गया.

कमजोर निर्माण, कम संसाधन

अफगानिस्तान में इमारतों की गुणवत्ता बेहद कमजोर होती है और बचाव संसाधन सीमित हैं. यही वजह है कि जब भी यहां भूकंप आता है, मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ता है. 2023 में हेरात में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप में भी करीब 2500 लोगों की जान गई थी.

कितना तीव्रता होता है खतरनाक?

  • 4.0 से कम: हल्का भूकंप, ज्यादातर महसूस नहीं होता
  • 4.0 से 5.9: हल्का से मध्यम झटका, कम नुकसान
  • 6.0 से 6.9: गंभीर श्रेणी, ऊपरी मंजिलें प्रभावित होती हैं, मौतें संभव
  • 7.0+: बड़े पैमाने पर तबाही की आशंका

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