SCO Summit 2025: भारत की विदेश नीति इस समय एक अहम मोड़ पर खड़ी है. एक ओर अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर भारी शुल्क लगाकर दबाव बनाया है, तो दूसरी ओर चीन और रूस के साथ संबंधों को साधने की चुनौती सामने है. ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान और चीन का दौरा केवल कूटनीतिक यात्रा भर नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत अब वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका को नए संतुलन के साथ तय कर रहा है.
जापान यात्रा: एशियाई साझेदारी की मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी 29–30 अगस्त को जापान जाएंगे, जहां वे 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. यह मोदी का जापान का आठवां दौरा है और वहां के नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ पहली बैठक होगी. दोनों देशों के बीच रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, तकनीक और नवाचार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. इस दौरे से यह संदेश भी जाएगा कि भारत, चीन और रूस के साथ मंच साझा करते हुए भी जापान और क्वाड जैसे सहयोगियों को प्राथमिकता दे रहा है.
SCO Summit 2025 in Hindi: 7 साल बाद मोदी का दौरा
जापान के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. यह उनका सात साल बाद का चीन दौरा होगा. इस मंच पर भारत के साथ चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाखस्तान सहित 10 देश मौजूद रहेंगे. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन को “ग्लोबल साउथ की आवाज” बताकर पेश कर रहे हैं, वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसमें शामिल होंगे. इस मंच पर भारत की उपस्थिति कूटनीतिक संतुलन का अहम संदेश है.
अमेरिका का टैरिफ वार
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है. इसका सीधा असर झींगा, परिधान, चमड़ा और रत्न-आभूषण जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर पर पड़ेगा. ये क्षेत्र भारत के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा हैं. विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम अमेरिका की उस नाराजगी से जुड़ा है जो भारत के रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद को लेकर है.
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रूस से रिश्ते कायम, आलोचना के बावजूद
पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद भारत ने रूस से गहरे रिश्ते बनाए रखे हैं. हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी. ऊर्जा और रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत और रूस की नजदीकियां जारी हैं. यही कारण है कि अमेरिका शुल्क का हथियार इस्तेमाल कर भारत पर दबाव बना रहा है.
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भारत की कूटनीति (PM Modi Japan China Visit in Hindi)
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की विदेश नीति के नए संतुलन की तस्वीर पेश करती है. अमेरिका के शुल्क वार से निर्यात को झटका लगा है. जापान यात्रा एशियाई साझेदारी को मजबूत करने का संकेत है. चीन में SCO शिखर सम्मेलन और रूस से नजदीकी भारत की सामरिक स्वतंत्रता को रेखांकित कर रहे हैं. भारत अब न किसी एक ध्रुव पर झुकना चाहता है और न ही दबाव में आना चाहता है. उसकी प्राथमिकता है संतुलन बनाकर अपने आर्थिक और सामरिक हितों की रक्षा करना.