China Students Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अप्रत्याशित घोषणा करते हुए चीन के लिए वीजा नीति में बड़ा बदलाव किया है. ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका 6 लाख चीनी छात्रों का स्वागत करेगा और उन्हें पढ़ाई के लिए वीजा उपलब्ध कराएगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनका प्रशासन चीन पर टैरिफ और सख्त आर्थिक नीतियां लागू कर रहा था.
भारत पर टैरिफ, चीन के लिए रियायत (China Students Visa)
ट्रंप प्रशासन हाल ही में भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुका है. इस वजह से भारत-अमेरिका संबंधों में हल्की तल्खी देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर ट्रंप ने चीन को वीजा की सौगात देकर दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ ला दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध “बहुत महत्वपूर्ण” हैं और दोनों को मिलकर काम करना चाहिए.
ट्रंप का यू-टर्न, समर्थकों में असंतोष (China Students Visa)
यह फैसला ट्रंप की पुरानी नीतियों से बिल्कुल उलट माना जा रहा है. पहले उनका प्रशासन चीनी नागरिकों, खासकर कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों और संवेदनशील शोध क्षेत्रों में काम करने वाले छात्रों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की बात कर चुका था. अब इतने बड़े पैमाने पर छात्रों को अमेरिका बुलाने के फैसले से उनके ही समर्थक नाराज हैं. कई कट्टर समर्थकों का मानना है कि ट्रंप “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा से भटक गए हैं. इस फैसले की सबसे तीखी आलोचना कंजर्वेटिव कमेंटेटर लॉरा लूमर ने की है.
लूमर का हमला: “सीसीपी जासूस” बताए छात्र
लॉरा लूमर, जो ट्रंप की कट्टर समर्थक मानी जाती हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर इस घोषणा पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने लिखा, “मैंने अपने देश में और ज्यादा मुसलमानों और चीनी लोगों को लाने के लिए ट्रंप को वोट नहीं दिया. कृपया अमेरिका को चीन मत बनाइए. MAGA और ज्यादा आप्रवासियों को नहीं चाहता.”
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उन्होंने चीनी छात्रों को “सीसीपी जासूस” बताते हुए कहा कि यह कदम ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी को कमजोर करेगा. एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा कि “कोई भी नहीं चाहता कि अमेरिका में 600,000 और चीनी छात्र यानी कम्युनिस्ट जासूस आएं. चीन ने 12 लाख अमेरिकियों की जान ली, अब वे हमारी जगह लेंगे?”
व्यापार वार्ता का दबाव और ‘रेयर अर्थ’ सौदा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन के साथ चल रही उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता से जुड़ा है. अमेरिका और चीन वर्तमान में टैरिफ, रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई और उन्नत एआई चिप्स तक पहुंच जैसे अहम मुद्दों पर समझौता करने की कोशिश में हैं. ट्रंप ने साफ कहा कि बीजिंग को अमेरिका को रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा उसे 200% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा.
राजनीतिक जोखिम में ट्रंप
ट्रंप के इस फैसले से जहां चीन के साथ व्यापारिक वार्ता को गति मिल सकती है, वहीं अमेरिकी राजनीति में इसका उल्टा असर भी देखने को मिल रहा है. उनके समर्थकों की आलोचना ने यह संकेत दिया है कि यह कदम चुनावी राजनीति में उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप ने एक तरफ चीन से आर्थिक लाभ हासिल करने की रणनीति अपनाई है, वहीं दूसरी तरफ अपने राजनीतिक आधार को नाराज करने का खतरा भी मोल लिया है.