China Military Parade: चीन की राजधानी बीजिंग 3 सितंबर को एक ऐतिहासिक सैन्य परेड की मेजबानी करने जा रही है. इस आयोजन को चीन “दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर विजय” की 80वीं वर्षगांठ से जोड़ रहा है. लेकिन इस बार की परेड सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं होगी, बल्कि दुनिया के सामने चीन अपनी सैन्य ताकत और अत्याधुनिक हथियारों की तकनीक का प्रदर्शन करेगा.
परेड से पहले ही बीजिंग की सड़कों पर चीन के नए-नए हथियारों की झलक मिल चुकी है. सैटेलाइट तस्वीरों और सोशल मीडिया पोस्ट से जो जानकारी सामने आई है, उसने भारत समेत अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों की चिंता बढ़ा दी है.
मिसाइलों और हाइपरसोनिक हथियारों की झलक
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार की परेड में चीन एंटी-शिप मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम, फाइटर ड्रोन, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु हमला करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को भी प्रदर्शित करेगा. वियना स्थित “ओपन न्यूक्लियर नेटवर्क” के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के कई नए हथियार खास तौर पर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना की शक्ति को चुनौती देने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
सबसे ज्यादा चर्चा DF-41 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को लेकर है. यह सड़क के जरिए परेड स्थल तक पहुंचाई गई है. DF-41 चीन की सबसे खतरनाक परमाणु मिसाइल मानी जाती है, जिसकी मारक क्षमता 15,000 किलोमीटर तक है. यह कई वॉरहेड्स लेकर एक साथ कई लक्ष्यों को तबाह कर सकती है. इसके जरिए चीन सीधे अमेरिका तक परमाणु हमला करने की क्षमता हासिल करता है.
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इसके अलावा DF-100 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी प्रदर्शित होगी. यह लंबी दूरी तक तेजी और सटीकता से हमले करने की क्षमता रखती है. DF-100 को खासतौर पर रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए बनाया गया है. एक और हथियार जो ध्यान खींच रहा है, वह है YJ-20 लॉन्ग-रेंज मिसाइल. इसे एयर-टू-एयर और एंटी-शिप मिशनों के लिए तैयार किया गया है. यह वॉरशिप की सुरक्षा को चुनौती देने और दुश्मन की सैन्य रणनीति को कमजोर करने के लिए सक्षम है.
हाइपरसोनिक तकनीक पर जोर
डिफेंस थिंक टैंक के सीनियर एनालिस्ट तियानरान जू के मुताबिक चीन की नई हथियार प्रणाली में हाइपरसोनिक तकनीक प्रमुख है. यह तकनीक दुश्मन के जहाजों पर मौजूद एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने की क्षमता रखती है. विश्लेषकों का मानना है कि चीन अपनी परेड के जरिए यह संदेश देना चाहता है कि उसकी सेना अमेरिकी नौसेना को सीधे चुनौती देने की स्थिति में है.
अंतरराष्ट्रीय संदेश और हथियार बाजार पर नजर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस परेड का मकसद केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह संभावित अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के सामने चीन की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन भी है. चीन इस समय दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है, लेकिन उसके प्रमुख खरीदार पाकिस्तान जैसे विकासशील देश हैं. सीमित बजट वाले देशों के बीच चीन अपने हथियारों के लिए बड़ा बाजार तलाश रहा है.
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पुतिन भी रहेंगे मौजूद
3 सितंबर की इस परेड को खास बनाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मुख्य अतिथि होंगे. यह उपस्थिति केवल औपचारिक नहीं है, बल्कि चीन-रूस की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का भी संकेत है. ऐसे समय में जब पश्चिमी देश रूस और चीन दोनों पर दबाव बढ़ा रहे हैं, यह परेड दुनिया के सामने दोनों देशों की नजदीकियों का संदेश देगी.
भारत और अमेरिका पर नजर
चीन के इस हथियार प्रदर्शन से भारत और अमेरिका की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. भारत पहले से ही चीन की सीमा पर सैन्य गतिविधियों को लेकर सतर्क है. वहीं अमेरिका को पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बनाए रखने की चुनौती मिल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है. चीन यह दिखाना चाहता है कि उसकी सेना न केवल आधुनिक है, बल्कि अमेरिका जैसी महाशक्ति का सामना करने के लिए भी तैयार है.