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ट्रंप-पुतिन की मीटिंग किसने फिक्स की? जानकर आप भी रह जाएंगे दंग!


Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच कई महीनों से जारी संघर्ष को लेकर दुनिया भर में शांति की उम्मीदें बनी हुई हैं. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली अहम बैठक ने इन उम्मीदों को और बल दिया है. इस मुलाकात का प्रस्ताव खुद पुतिन ने दिया है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि रूस भी बातचीत के लिए तैयार है. ट्रंप चाहते हैं कि युद्ध जल्द खत्म हो और दोनों पक्षों के लिए टिकाऊ समाधान निकले. हालांकि, यूक्रेन और यूरोपीय देशों को इस बैठक को लेकर चिंता भी है कि कहीं उनके हितों को नजरअंदाज न किया जाए. युद्ध विराम और स्थायी शांति के लिए इस मुलाकात का नतीजा कितना असरदार होगा, यह आगे आने वाला समय ही बताएगा.

न्यूज एजेंसी एएनआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि इस महत्वपूर्ण बैठक का प्रस्ताव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिया था. इस खुलासे ने साफ कर दिया कि रूस भी युद्ध को लेकर बातचीत की ओर बढ़ रहा है. वहीं, ट्रंप ने इस मुलाकात को दोनों देशों के लिए “बेहतर रास्ता” निकालने की संभावना बताया है. व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा कि मैं पुतिन से मिलने जा रहा हूं. संभव है कि पहली ही दो मिनट में हम समझ सकें कि कोई समझौता संभव है या नहीं.

Russia Ukraine War in Hindi: क्यों है अलास्का इस बैठक के लिए खास?

अलास्का का चुनाव भी कई मायनों में रणनीतिक है. यह अमेरिका का हिस्सा है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से 1867 में रूस ने ही इसे अमेरिका को बेचा था. इसके अलावा, अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) का सदस्य नहीं है, जिसने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. ऐसे में पुतिन के लिए अलास्का सुरक्षित स्थान माना जा रहा है, जहां उन्हें गिरफ्तारी का खतरा कम रहेगा.

ट्रंप की प्राथमिकताएं 

ट्रंप स्पष्ट रूप से चाहते हैं कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध को जल्द खत्म किया जाए. उनका कहना है कि दोनों पक्षों के लिए सबसे अच्छा और टिकाऊ समझौता होना चाहिए. ट्रंप ने रूस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के लिए कई आर्थिक कदम उठाए हैं, जैसे भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर 50% टैरिफ लगाना, जिसे उन्होंने रूस के लिए बड़ा झटका बताया. ट्रंप का मानना है कि पुतिन को युद्ध की बजाय व्यापार और आर्थिक विकास पर ध्यान देना चाहिए.

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यूक्रेन और यूरोप की चिंताएं

जहां ट्रंप और पुतिन की यह बैठक शांति के संकेत देती है, वहीं यूक्रेन और यूरोपीय देशों में इस बैठक को लेकर गहरी चिंता भी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी जमीन रूस को नहीं सौंपेंगे. वहीं, रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो की सदस्यता की कोशिश छोड़ दे और कुछ क्षेत्रों को रूस के अधीन कर दे. यूरोप इस प्रकार के समझौतों को मानने को तैयार नहीं है और इस बात पर जोर दे रहा है कि कोई भी वार्ता यूक्रेन की सहमति और शामिल किए बिना सफल नहीं हो सकती.

क्या होगा इस मुलाकात का असर?

यह मुलाकात शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन इसके लिए ट्रंप-पुतिन के बीच भरोसे के साथ-साथ यूक्रेन और यूरोपीय पक्षों की सहमति भी जरूरी होगी. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यूक्रेन को वार्ता से अलग रखा गया, तो इससे न केवल यूक्रेन के हितों को नुकसान होगा बल्कि पूरे यूरोपीय सुरक्षा ढांचे पर भी सवाल उठेंगे.

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