Pakistan Nuclear Threat: सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया परमाणु धमकी भरे बयान ने पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है. उन्होंने अमेरिकी धरती से कहा कि अगर पाकिस्तान को लगा कि वह डूब रहा है, तो वह आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेगा. इस उकसावे भरे बयान पर भारत ने तुरंत और बेहद कड़ा जवाब दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नया मोड़ आ गया है. दिल्ली ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा. भारत ने पाकिस्तान के इन गैर-जिम्मेदाराना बयानों पर खेद व्यक्त करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी पाकिस्तान के परमाणु कमान और नियंत्रण की विश्वसनीयता पर ध्यान देने का आग्रह किया है, खासकर ऐसे समय में जब उसकी सेना आतंकवादी संगठनों के साथ मिली हुई है.
Pakistan Nuclear Threat: सेना प्रमुख मुनीर का बयान और भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा के टाम्पा में भारतीय उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में पाकिस्तान के अस्तित्व को खतरा हुआ, तो वह पूरे क्षेत्र को परमाणु युद्ध में झोंक सकता है और “लगभग आधी दुनिया” को अपने साथ ले डूबेगा. मुनीर ने भारत को धमकी देते हुए यह भी कहा कि अगर भारत सिंधु नदी पर बांध बनाता है, तो पाकिस्तान उसे नष्ट कर देगा. उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘जुगुलर वेन’ (जीवन रेखा) बताते हुए कहा कि यह न तो भारत का आंतरिक मामला है और न ही सुलझा हुआ मुद्दा, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय मसला है. यह बयान उन्होंने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान दिया, जो पिछले दो महीनों में उनकी दूसरी उच्च-स्तरीय अमेरिका यात्रा थी. इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को इस पर कड़ा जवाब दिया. प्रवक्ता ने कहा कि परमाणु धमकी देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है और ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह साबित करते हैं कि वहां की परमाणु कमान और नियंत्रण की विश्वसनीयता पर संदेह वाजिब है, खासकर तब जब सेना आतंकवादी संगठनों के साथ मिली हुई है. भारत सरकार से जुड़े सूत्रों ने इस बयान को बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए खारिज कर दिया. भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ऐसे घातक हथियारों से लैस एक गैर-जिम्मेदार राष्ट्र है, जिससे परमाणु हथियारों के गलत हाथों में जाने का खतरा है. यह भी खेदजनक है कि ऐसे बयान एक “मित्र देश” की धरती से दिए गए. भारत ने स्पष्ट किया है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाता रहेगा.
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परमाणु धमकी का मतलब और इसके पीछे की कहानी
जनरल मुनीर का यह बयान भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी सैन्य कार्रवाइयों और राजनयिक कदमों के बाद आया है. 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली थी. इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, राजनयिक संबंधों में कटौती की, सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्तों पर रोक लगा दी. इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था, जिससे उसे दो महीने में लगभग 127 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. यह आर्थिक नुकसान 24 अप्रैल से 30 जून 2025 के बीच हुआ. पाकिस्तान का एयरस्पेस अभी भी भारतीय विमानों के लिए बंद है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी पहले भारत के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि भारत सिंधु नदी पर कोई संरचना बनाता है और जल समझौते का उल्लंघन करता है, तो पाकिस्तान अपनी “पूर्ण शक्ति” का उपयोग करेगा, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं. पाकिस्तान का मानना है कि सिंधु नदी “भारतीयों की निजी संपत्ति नहीं है” और उसके पास भारत की योजनाओं को नाकाम करने के पर्याप्त संसाधन हैं.
Pakistan Nuclear Threat India: भारत कभी भी पहले हमला नहीं करेगा
भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, और दोनों की परमाणु हथियार नीति अलग-अलग है. भारत की परमाणु नीति का मुख्य सिद्धांत “नो फर्स्ट यूज” (NFU) है, जिसका अर्थ है कि भारत परमाणु हथियारों का पहले उपयोग नहीं करेगा, लेकिन जवाबी कार्रवाई में इसका उपयोग कर सकता है, यदि उस पर परमाणु हमला होता है. भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण “स्माइलिंग बुद्धा” किया और 1998 में पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद खुद को परमाणु क्षमता संपन्न देश घोषित कर दिया. भारत की नीति सुरक्षा के लिए न्यूनतम परमाणु क्षमता के विकास की बात कहती है और गैर-परमाणु संपन्न देश के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने का वादा करती है, हालांकि रासायनिक या जैविक हथियारों के प्रयोग पर परमाणु हथियार के प्रयोग का विकल्प खुला रखा गया है. 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस नीति में भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार बदलाव की संभावना का संकेत दिया था, लेकिन 2025 तक कोई आधिकारिक बदलाव नहीं हुआ है. दूसरी ओर, पाकिस्तान की परमाणु नीति सैन्य रणनीति की एक सैद्धांतिक अवधारणा है, जो राज्य के विरुद्ध आक्रामक हमले के लिए तत्काल “बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई” की गारंटी देकर प्रतिरोध को बढ़ावा देती है. इसे ‘फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस’ या ‘क्रेडिबल मिनिमम डिटरेंस’ कहा जाता है. पाकिस्तान की नीति “पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल” करने पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि यदि उसे अपनी सुरक्षा पर खतरा महसूस होता है, तो वह पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है. विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान अपनी इस नीति को भारत की पारंपरिक सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए अपनाता है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शमशाद अहमद ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर पाकिस्तान पर कभी हमला हुआ, तो वह अपनी रक्षा के लिए “अपने शस्त्रागार में से किसी भी शस्त्र” का उपयोग करेगा. पाकिस्तान के परमाणु हमले का निर्णय लेने की प्रक्रिया नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) द्वारा की जाती है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. परमाणु हथियारों की सुरक्षा और संचालन स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन (SPD) द्वारा सुनिश्चित किया जाता है. परमाणु हथियारों की संख्या की बात करें तो भारत के पास लगभग 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं.
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क्षेत्र की सुरक्षा और दुनिया की चिंता
पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा अमेरिका की धरती से परमाणु हमले की धमकी देने को कई कूटनीतिक जानकारों ने चिंताजनक बताया है. भारत ने इस पर सवाल उठाया है कि ऐसे बयान एक मित्र देश की धरती से क्यों दिए जा रहे हैं. यह घटना पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति पर भी सवाल उठाती है, जहां सेना ही देश को नियंत्रित करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर का अपने भड़काऊ बयानों के लिए अमेरिका को मंच के तौर पर चुनना एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है, जिससे उन्हें न सिर्फ पाकिस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में खबर बनने का मौका भी मिला. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और गैर-जिम्मेदाराना बयानों को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं, खासकर जब सेना का आतंकवादी संगठनों के साथ कथित तौर पर संबंध सामने आता है. भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि ऐसे बयान क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को जोखिम में डालते हैं. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की परमाणु धमकी ज्यादातर बयानबाजी है, क्योंकि वास्तव में युद्ध के हालात में इसे लागू करना मुश्किल होगा. कारगिल युद्ध और हालिया ऑपरेशन सिंदूर जैसे घटनाक्रमों ने यह साबित किया है कि भारत हर चुनौती का जवाब देने में सक्षम है.
आगे की राह और कूटनीतिक चुनौतियां
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनाव की स्थिति है, जो पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई से बढ़ी है. पाकिस्तानी सेना प्रमुख का यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और गहरा कर सकता है. ऐसे बयानों से क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ता है और हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका बनी रहती है. भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी ब्लैकमेल के आगे झुकने को तैयार नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों पर गंभीरता से विचार करने और क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है. यह देखना होगा कि अमेरिका इस मामले पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या भविष्य में ऐसे बयानों को रोकने के लिए कोई कदम उठाया जाता है.