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टैरिफ लगाते रहें ट्रंप, इधर भारत-रूस और चीन ने बना ली मंडली, अमेरिका को घेरने की तैयारी


Trump Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए हैं, खासकर भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को लेकर. इस कदम के बाद रूस और चीन ने भारत का समर्थन किया है. क्रेमलिन ने मंगलवार को ट्रंप के इस कदम को “अवैध” बताते हुए कड़ी निंदा की, जबकि चीन ने गुरुवार को भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए कहा, “भारत की विदेश नीति पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.”

रूस का कड़ा विरोध और भारत दौरे की तैयारियां

रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि किसी भी देश को रूस के साथ व्यापार करने से रोकना गलत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है. वहीं, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल रूस में हैं और पुतिन के भारत दौरे की तारीखें तय हो रही हैं. डोवाल ने कहा कि ये शिखर सम्मेलन दोनों देशों के रिश्तों में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होंगे. रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु ने भी भारत के साथ गहरे सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है.

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Trump Tariff War in Hindi: चीन ने जताया भारत के प्रति समर्थन

चीन ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ की कड़ी आलोचना की. चीनी दूतावास ने ट्वीट कर कहा कि भारत की संप्रभुता और विदेश नीति पर कोई भी देश हस्तक्षेप नहीं कर सकता. एक पोस्ट में भारत को हाथी और अमेरिका के टैरिफ को बेसबॉल बैट के रूप में दिखाया गया, जो भारतीय संप्रभुता पर हमला है. चीन ने पश्चिमी मीडिया पर भी आरोप लगाया कि वे भारत-चीन के बीच टकराव की छवि बनाकर माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. इसके अलावा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने चीन जाएंगे और वहां शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे.

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रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय मंच की पुनरावृत्ति

1990 के दशक में रूस के पूर्व राष्ट्रपति येवगेनी प्रीमाकोव ने रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय मंच की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य तीनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाकर बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करना था. हालांकि, 2020 में गलवान घाटी विवाद के कारण भारत-चीन संबंध प्रभावित हुए और यह मंच कुछ समय के लिए ठंडा पड़ गया. अब ट्रंप के टैरिफ युद्ध और वैश्विक तनावों के बीच RIC के पुनर्जीवन की संभावना बढ़ गई है, जिससे तीनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी फिर से मजबूत हो सकती है.