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भारत के सबसे खतरनाक सैनिक, जिनसे दुश्मन थर-थर कांपते हैं – ब्रिटेन भी बन चुका है फैन


Most Feared Indian Soldiers: अगर कोई कहे कि उसे मौत से डर नहीं लगता, तो या तो वह आपसे झूठ बोल रहा है… या फिर वह गोरखा है. यह कहावत गोरखा सैनिकों की वीरता और साहस को दर्शाने के लिए काफी है. इतिहास गवाह है कि अंग्रेजों ने भी इनकी बहादुरी को सलाम किया और गोरखाओं के नाम पर बाकायदा रेजिमेंट बनाई. आज भी भारत और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश इन पर गर्व करते हैं.

Most Feared Indian Soldiers in Hindi: भारत में कितनी हैं गोरखा रेजिमेंट?

वर्तमान में भारतीय सेना में 7 गोरखा रेजिमेंट हैं, जिनमें मिलकर लगभग 39 से 43 बटालियनें कार्यरत हैं. इन बटालियनों में 32,000 से 40,000 तक गोरखा सैनिक तैनात हैं, जिनमें लगभग 60 प्रतिशत नेपाली मूल के होते हैं. भारत में गोरखा सैनिकों की भर्ती परंपरागत रूप से नेपाल, उत्तराखंड, दार्जिलिंग, हिमाचल प्रदेश, असम और मेघालय से होती है.

यह परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. आजादी के बाद भी भारत ने गोरखा रेजिमेंट को सेना का हिस्सा बनाए रखा. 1947 में ब्रिटेन, भारत और नेपाल के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत नेपाली नागरिकों को भारतीय सेना में शामिल होने की अनुमति दी गई.

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कौन-कौन से देश करते हैं गोरखाओं की भर्ती?

भारत गोरखा सैनिकों की सबसे बड़ी भर्ती करने वाला देश है. नेपाल के नागरिक भारतीय सेना में जवान और अधिकारी दोनों पदों पर भर्ती हो सकते हैं. वे NDA (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) और CDS (संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा) के माध्यम से अधिकारी पद प्राप्त कर सकते हैं.

यूनाइटेड किंगडम

ब्रिटेन में गोरखा सैनिक ब्रिगेड ऑफ गोरखाज के अंतर्गत सेवा देते हैं. यहां करीब 4,000 गोरखा सैनिक ब्रिटिश आर्मी में तैनात हैं. हाल ही में UK ने पहली बार किंग्स गोरखा आर्टिलरी यूनिट (KGA) का गठन किया है जिसमें करीब 400 गोरखा सैनिकों को शामिल किया गया है.

हर साल नेपाल में भारत, ब्रिटेन और नेपाल मिलकर संयुक्त भर्ती रैली आयोजित करते हैं. इसमें शारीरिक और लिखित परीक्षा होती है और योग्य गोरखाओं को भारत, UK या नेपाल की सेना में भर्ती किया जाता है.

नेपाल

नेपाल में भी सीमित संख्या में गोरखा सैनिकों की भर्ती होती है, जो घरेलू सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सेवा देते हैं.

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चीन और पाकिस्तान भी चाहते थे गोरखा सैनिक

इतिहास में यह भी दर्ज है कि आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन ने भी गोरखा सैनिकों को अपनी सेना में शामिल करने की कोशिश की थी. लेकिन नेपाल सरकार ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया और कहा कि नेपाली गोरखा सिर्फ भारत और ब्रिटेन की सेना में ही सेवा देंगे.

भर्ती पर असर

2022 में भारत में अग्निपथ योजना लागू होने और COVID महामारी के चलते नेपाल से गोरखा सैनिकों की भर्ती रुक गई. इसका असर यह हुआ कि भारतीय गोरखा रेजिमेंटों में करीब 12,000–15,000 पद खाली रह गए. हालांकि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्पष्ट किया है कि इस वजह से ऑपरेशनल रेडीनेस पर कोई असर नहीं पड़ा है. फिर भी उन्होंने नेपाल सरकार से गोरखा भर्ती फिर से शुरू करने की अपील की है.