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आदमखोर खुंखार तानाशाह, फ्रीज में रखता था कटे हुए सिर, हैवानियत की कहानी सुन खड़े हो जाएंगे रोंगटे


Idi Amin: 20वीं सदी के सबसे क्रूर और सनकी तानाशाहों में शामिल ईदी अमीन का नाम आज भी युगांडा के लोगों के दिल में डर पैदा करता है. 1971 से 1979 तक युगांडा की सत्ता पर काबिज रहे इस तानाशाह ने सत्ता के नशे में लाखों लोगों की जान ली, विरोधियों को बेरहमी से मारा और देश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मसार कर दिया. बीबीसी और ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्टों के अनुसार, उसके शासन में करीब 3 लाख युगांडावासियों की हत्या की गई थी.

सेना से सत्ता तक का सफर

ईदी अमीन का जन्म 1925 के आसपास युगांडा के कोबोको क्षेत्र में हुआ था. वह ब्रिटिश उपनिवेश काल में 1946 में सेना में शामिल हुआ और जल्दी ही अपनी ताकत, क्रूरता और फिजिकल फिटनेस के कारण उभरता गया. अमीन 6 फीट 4 इंच लंबा था और 1951 से 1960 तक युगांडा का राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियन रहा. 1962 में युगांडा की आजादी के बाद वह तेजी से ऊंचे सैन्य पदों पर पहुंचा और 1971 में सैन्य तख्तापलट कर राष्ट्रपति बन गया.

Idi Amin Uganda Cruel Dictator: हत्याओं और अत्याचार का भयावह दौर

सत्ता में आने के कुछ ही समय बाद अमीन ने वादा किया था कि वह लोकतंत्र बहाल करेगा, लेकिन वह वादा कभी पूरा नहीं हुआ. अमीन ने राजनीतिक विरोधियों, बुद्धिजीवियों, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, न्यायाधीशों और आम नागरिकों तक को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया. Amnesty International के अनुसार, लोगों को तेजाब से जलाने, आंखें निकालने और अंग भंग करने जैसे अत्याचार आम थे. कई चश्मदीदों ने बताया कि अमीन पीड़ितों के कटे हुए सिर अपने घर के फ्रीजर में रखता था और उन्हें खाने की मेज पर रखकर उनसे “बातचीत” करता था.

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आर्थिक बर्बादी और विदेशी दुश्मनी

1972 में ईदी अमीन ने युगांडा से लगभग 60,000 एशियाई मूल के लोगों को निष्कासित कर दिया, जिनमें से अधिकतर भारतीय थे. इससे युगांडा की अर्थव्यवस्था ढह गई क्योंकि यही समुदाय व्यापार और उद्योग की रीढ़ था. दी न्यू यौर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम ने युगांडा को वर्षों पीछे धकेल दिया. वहीं, उसने इजरायल से दुश्मनी और फिलिस्तीनी आतंकी गुटों से दोस्ती कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को अलग-थलग कर लिया.

तानाशाह का पतन और मौत

1978 में तंजानिया पर हमला करने की भूल ने अमीन की उलटी गिनती शुरू कर दी. तंजानियाई सेना और युगांडाई निर्वासितों ने मिलकर 1979 में उसकी सत्ता समाप्त कर दी. अमीन सऊदी अरब भाग गया, जहां उसने शरण ली और 16 अगस्त 2003 को जेद्दा में उसकी मौत हो गई. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी सरकार ने उसे केवल इस शर्त पर शरण दी थी कि वह राजनीति में दोबारा कभी दखल नहीं देगा.

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Idi Amin Uganda Cruel Dictator in Hindi: इतिहास में अमीन का स्थान

ईदी अमीन का नाम आज भी दुनिया के सबसे अमानवीय तानाशाहों में लिया जाता है. युगांडा में उसका जिक्र आज भी डर और दुख के साथ किया जाता है. उसके शासन ने यह साफ कर दिया कि जब सत्ता विकृत मानसिकता के हाथों में जाती है, तो एक देश को नरक में बदलने में देर नहीं लगती.