Nirav Modi Brother Nehal Modi Arrested in America: 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में भारत को बड़ी सफलता मिली है. भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी को अमेरिका में 4 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया है. यह गिरफ्तारी सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर की गई है. भारत सरकार के सूत्रों ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की और इसे PNB घोटाले में वांछित आरोपियों को न्याय के कठघरे तक लाने की दिशा में एक अहम कदम बताया.
अमेरिका की न्याय विभाग ने दी भारत को सूचना
अमेरिकी न्याय विभाग ने भारतीय अधिकारियों को सूचित किया है कि नेहल मोदी की गिरफ्तारी आधिकारिक रूप से भारत की प्रत्यर्पण मांग के चलते हुई है. यह मांग ईडी और सीबीआई ने संयुक्त रूप से की थी. अमेरिका में दायर अभियोजन पक्ष की शिकायत के अनुसार, नेहल मोदी के प्रत्यर्पण की कार्यवाही दो आपराधिक आरोपों पर हुई है.
मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत)
आपराधिक साजिश (भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 201 के तहत)
PNB घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका
नेहल मोदी भारत में PNB घोटाले के मामले में वांछित हैं, जो देश के इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है. सीबीआई और ईडी की जांच में सामने आया है कि नेहल ने अपने भाई नीरव मोदी की मदद से अवैध धन को शेल कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शनों के जरिये इधर-उधर किया. नेहल पर अवैध कमाई को छिपाने और विदेशों में ट्रांसफर करने का आरोप है, जिससे भारत के मनी लॉन्ड्रिंग और फाइनेंशियल अपराध कानूनों का उल्लंघन हुआ.
17 जुलाई को अगली सुनवाई
प्रत्यर्पण मामले में अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है, जब अमेरिका की अदालत में स्टेटस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, नेहल मोदी इस सुनवाई के दौरान जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं, हालांकि अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध करने की बात कही है.
क्या है पूरा मामला?
नीरव मोदी पर आरोप है कि उसने फर्जी गारंटी के जरिये PNB से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लिया और विदेश भाग गया. उनके खिलाफ भारत और ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है. अब उनके भाई नेहल की गिरफ्तारी से जांच एजेंसियों को आगे की कार्रवाई में और मजबूती मिलने की उम्मीद है. नेहल मोदी की गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पैरवी और वित्तीय अपराधों के खिलाफ सख्ती का संकेत देती है. अब देखना यह होगा कि 17 जुलाई की सुनवाई में अमेरिका की अदालत प्रत्यर्पण को लेकर क्या रुख अपनाती है.
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