Country Sinking in Sea : तुवालु देश की एक तिहाई से अधिक आबादी ने ऑस्ट्रेलिया की वीजा योजना के तहत आवेदन किया है. इसकी कहानी बहुत ही रोचक और डरावनी है. दरअसल, यह योजना उन लोगों के लिए शुरू की गई है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हैं और अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं. तुवालु एक छोटा द्वीपीय देश है, जो दक्षिणी प्रशांत महासागर में हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित है. यहां लगभग 10,000 लोग रहते हैं, जो कई छोटे द्वीपों और टापुओं पर बसे हैं. तुवालु की भूमि समुद्र तल से केवल छह मीटर या उससे कम ऊंचाई पर है, जिससे इसका अस्तित्व खतरे में है.
लॉटरी सिस्टम से चुने गए नागरिकों को वीजा दिया जाएगा
16 जून को ऑस्ट्रेलिया ने एक विशेष वीजा योजना की शुरुआत की, जिसकी आवेदन प्रक्रिया लगभग एक महीने चलेगी. यह योजना जलवायु परिवर्तन से प्रभावित तुवालु के नागरिकों के लिए शुरू की गई है और इसे अपनी तरह की पहली पहल माना जा रहा है. इसके तहत जुलाई 2025 से जनवरी 2026 के बीच लॉटरी प्रणाली के माध्यम से चुने गए 280 तुवालु नागरिकों को वीजा दिया जाएगा. इन्हें ऑस्ट्रेलिया पहुंचते ही स्थायी निवास प्राप्त होगा. साथ ही उन्हें वहां काम करने का अधिकार, सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी.
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने क्या कहा?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वीजा योजना के तहत अब तक 4,000 से अधिक तुवालु नागरिक आवेदन कर चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि फालेपिली मोबिलिटी योजना हमारे साझा लक्ष्य को पूरा करती है, जिसमें तुवालुवासियों को सम्मानजनक तरीके से रहने, काम करने और पढ़ाई करने का अवसर दिया जा रहा है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है.
2050 तक आधे से ज्यादा हिस्सा समुद्री लहरों से डूबेगा
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, तुवालु के प्रधानमंत्री फेलेटी टेओ ने बताया कि 2050 तक देश का आधे से अधिक हिस्सा बार-बार समुद्री लहरों से डूबने लगेगा, जबकि 2100 तक 90% हिस्सा जलमग्न रहेगा. तुवालु की राजधानी फोंगाफाले, जो मुख्य एटोल फुनाफूती का सबसे बड़ा और सबसे घनी आबादी वाला द्वीप है, कुछ जगहों पर केवल 20 मीटर (लगभग 65 फीट) चौड़ा है, जो किसी रनवे जैसा दिखता है. यह स्थिति देश के अस्तित्व पर गंभीर खतरा बन चुकी है.
तुवालु के प्रधानमंत्री टेओ ने इस महीने फ्रांस के नीस शहर में हुई संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में इस बात का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “आप खुद को मेरी जगह रखकर सोच के देखिए…एक प्रधानमंत्री के रूप में मुझे अपने लोगों की बुनियादी जरूरतों और विकास की योजनाओं के बारे में सोचना होता है, साथ ही मुझे एक डराने वाला और चिंता पैदा करने वाला भविष्य भी नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री ने 12 जून को कहा, “तुवालु के अंदर कहीं और जाकर बसने का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि हमारा देश पूरी तरह सपाट है. यहां न तो कोई ऊंची जमीन है और न ही कहीं अंदर की ओर जाने की जगह है.”