NATO Meeting: आज नाटो (NATO) की अहम बैठक हो रही है, जिसमें अमेरिका समेत कुल 32 देश हिस्सा ले रहे हैं. इस बैठक में रूस के खतरे से निपटने की रणनीति और सदस्य देशों द्वारा रक्षा खर्च में वृद्धि एक बड़ा मुद्दा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ तौर पर कहा है कि संगठन के हर सदस्य को अपनी GDP का कम से कम 5 फीसदी हिस्सा रक्षा जरूरतों पर खर्च करना चाहिए. अमेरिका की इस मांग को ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों ने समर्थन दिया है, जबकि स्पेन जैसे कुछ देश इसके सख्त खिलाफ हैं.
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने खुलकर ट्रंप की मांग को खारिज कर दिया है. उन्होंने इसे गैरजरूरी बताते हुए कहा कि स्पेन का रक्षा खर्च पहले से ही संतुलित है और देश को 5 प्रतिशत तक जाने की कोई जरूरत नहीं. नाटो महासचिव को लिखी चिट्ठी में उन्होंने यह भी दोहराया कि स्पेन रक्षा बजट नहीं बढ़ाएगा. उनके इस बयान से ट्रंप नाराज हैं. ट्रंप ने कहा कि नाटो को स्पेन जैसे देशों से सख्ती से निपटना चाहिए. उन्होंने कनाडा को भी चेतावनी दी है.
इसे भी पढ़ें: ईरान को भाई कहने वाला पाकिस्तान पलटा, अब कतर-अमेरिका के साथ खड़ा
नाटो महासचिव मार्क रूटे ने कुछ दिन पहले लंदन में कहा था कि रूस 2030 तक नाटो देशों पर हमला कर सकता है. उन्होंने आगाह किया कि रूस अब हथियारों के उत्पादन में नाटो से आगे निकल रहा है. ऐसे में नाटो को अपनी सामूहिक रक्षा क्षमता तेजी से बढ़ानी होगी. उन्होंने सदस्य देशों से रक्षा खर्च को GDP के 2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी करने और बाकी 1.5 फीसदी बुनियादी सैन्य ढांचे पर खर्च करने की अपील की थी.
नाटो की रणनीति भी अब बदल रही है. अब संगठन की योजना है कि किसी भी आपात स्थिति में 30 दिनों के भीतर 3 लाख सैनिकों की तैनाती की जा सके चाहे युद्ध जमीन पर हो, समुद्र में, आसमान में या साइबर स्पेस में. हालांकि नाटो के पास अपने खुद के हथियार नहीं हैं, लेकिन यह सदस्य देशों के जरिए जरूरी सहायता जैसे ईंधन, मेडिकल सप्लाई, बॉडी आर्मर आदि मुहैया कराता है.
इसे भी पढ़ें: कनाडा के नए प्रधानमंत्री का बड़ा बयान, खालिस्तान पर सख्ती, ‘कनिष्क’ हमले पर जताया दुख
गौरतलब है कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से नाटो देश एकजुट हो रहे हैं. 2014 में क्रीमिया पर कब्जे और 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण युद्ध के बाद सदस्य देशों ने रक्षा खर्च बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया था. अब ट्रंप चाहते हैं कि यह खर्च और बढ़ाया जाए ताकि रूस को कड़ा जवाब दिया जा सके. वहीं, नाटो में हाल में फिनलैंड और स्वीडन जैसे नए सदस्य भी जुड़ चुके हैं, जो रूस के पड़ोसी हैं और किसी भी खतरे की स्थिति में तेजी से सक्रिय होने की योजना का हिस्सा हैं.
इसे भी पढ़ें: क्या अमेरिकी दबाव में झुका ईरान? इमेज बचाने को दागीं मिसाइले, हमले का कोई असर नहीं पड़ा