Eid al Adha Bakrid: अफ्रीकी देश मोरक्को ने इस साल ईद-अल-अजहा बकरीद (Eid al Adha Bakrid) के मौके पर कुर्बानी पर रोक लगाने का फैसला लिया है. देश के राजा मोहम्मद VI ने यह निर्णय देश में पिछले छह सालों से जारी गंभीर सूखे की वजह से लिया है. सरकार का कहना है कि पशुओं की संख्या में भारी कमी आई है और मौजूदा हालात को देखते हुए कुर्बानी जैसी परंपराओं को रोकना जरूरी हो गया है. इस फैसले के तहत न सिर्फ कुर्बानी पर रोक लगाई गई है, बल्कि जानवरों की बिक्री और उनके परिवहन पर भी पाबंदी लगा दी गई है.
सरकार के इस आदेश के बाद देश के कई शहरों में पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में पुलिस को लोगों के घरों में घुसकर भेड़ों को जब्त करते हुए देखा जा सकता है. प्रशासन का कहना है कि यह सब कानून के दायरे में हो रहा है, लेकिन स्थानीय लोग इसे धार्मिक हस्तक्षेप मान रहे हैं.
⚡️Arab media:
Moroccan security forces are raiding homes and confiscating Eid al-Adha sacrifices from citizens following the government’s decision to cancel the ritual of animal sacrifice for Muslims this year. pic.twitter.com/rtF6qJUGWR
— Warfare Analysis (@warfareanalysis) May 31, 2025
मोरक्को की करीब 99 फीसदी आबादी मुस्लिम है और बकरीद का पर्व यहां बेहद श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. ऐसे में अचानक आई इस पाबंदी ने जनता को आक्रोशित कर दिया है. कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जहां लोगों ने सरकार पर धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है.
🛑🇲🇦🐏 Aïd el Adha au Maroc: la polémique enfle après la saisie des moutons
Le régime marocain a choisi d’interdire le sacrifice traditionnel du mouton, invoquant des raisons économiques et climatiquesUne décision qui passe mal étant perçue comme une atteinte à la liberté pic.twitter.com/duwNSx302r
— ☪️McKenzie ⵣ (@Moricoslyautey) June 3, 2025
इस फैसले से एक नई बहस भी शुरू हो गई है कि क्या किसी सरकार या राजा को धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक लगाने का अधिकार है? कुछ लोगों ने जहां इसे एक “अभूतपूर्व और खतरनाक मिसाल” कहा है, वहीं कुछ वर्गों ने देश की बिगड़ती आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए फैसले का समर्थन भी किया है. राजा मोहम्मद VI ने लोगों से अपील की है कि वे इस बार कुर्बानी न करें और बकरीद को दान-पुण्य और इबादत के जरिए मनाएं. उनका कहना है कि यह कदम देश और पर्यावरण दोनों के हित में है. लेकिन सरकार के इस फैसले को लेकर मोरक्को में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक तनाव का माहौल बन गया है.
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