Hafiz Saeed On Sheikh Hasina: हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (JUD) के सरगना सैफुल्लाह कसूरी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित मुजम्मिल हाशमी ने ये दावे इस सप्ताह के शुरू में अपने भड़काऊ तकरीरों के दौरान किए. कसूरी ने रहीम यार खान के इलाहाबाद में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए दावा किया, “जब 1971 में पाकिस्तान का विभाजन हुआ था, तब मैं चार साल का था. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषणा की थी कि उन्होंने खलीज (बंगाल की खाड़ी) में दो-राष्ट्र सिद्धांत को डुबो दिया है. 10 मई को, मैंने… हमने 1971 का बदला ले लिया है.” जेयूडी सरगना 1971 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में हुए मुक्ति संग्राम का जिक्र कर रहा था। तब पाकिस्तान ने हार स्वीकार कर की थी और स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय सैनिकों से बनी मित्र सेनाओं के समक्ष ढाका में बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था.
मुरीदके पर किए गए भारतीय हवाई हमले में उड़ गए थे आतंकवादियों के शव
सैफुल्लाह कसूरी ने यह भी कबूल किया कि उसके एक साथी मुदस्सर के शव के परखच्चे सात मई को मुरीदके (जेयूडी/एलईटी मुख्यालय) पर किये गए भारतीय हवाई हमले में उड़ गए थे. भारत ने यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था. पहलगाम में 26 लोग मारे गए थे. कसूरी ने कहा, “मुझे उसके जनाजे में शिरकत करने की मंजूरी नहीं दी गई. उसके जनाजे के दिन मैं खूब रोया.” उसने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि मुदस्सर के जनाजे में शामिल होने से किसने रोका. दूसरी ओर, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शीर्ष सैन्य, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने मुदस्सर और दो अन्य जेयूडी सदस्यों के जनाजे में हिस्सा लिया और इसकी तस्वीर सामने आई है.
भारत ने मेरे शहर कसूर को दुनिया भर में मशहूर कर दिया : कसूरी
कसूरी ने कहा, “जब पहलगाम की घटना हुई, तब मैं अपने क्षेत्र में लोगों से मिल रहा था. भारत ने मुझे इस हमले का मास्टरमाइंड बनाया. भारत ने मेरे शहर कसूर को दुनिया भर में मशहूर कर दिया.” उसने कहा, “हम अगली पीढ़ी को जिहाद के लिए तैयार कर रहे हैं…हमें मौत का खौफ नहीं है.”
छात्र आंदोलन और हिंसा के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से देना पड़ा था इस्तीफा
पिछले साल 5 अगस्त को छात्रों के विरोध प्रदर्शन और बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हसीना को भागकर भारत में शरण लेना पड़ा था. हसीना के देश छोड़ने के बाद मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था.