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भूख से मर जाएंगे 14 हजार बच्चे? अगर 48 घंटे…


Israel Gaza Conflict: पिछले डेढ़ साल से गाजा और इजरायल के बीच जारी संघर्ष अब मानवीय त्रासदी में बदल चुका है. इजरायली नेतृत्व का साफ कहना है कि जब तक हमास पूरी तरह से सरेंडर नहीं करता और बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक यह अभियान जारी रहेगा. दूसरी ओर, हमास अब तक चुप्पी साधे बैठा है. इस खींचतान का सबसे भयावह असर गाजा पट्टी के आम नागरिकों पर पड़ रहा है, खासकर बच्चों पर.

मार्च 2025 में इजरायल ने गाजा में फूड और फ्यूल सप्लाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते कुछ राहत मिली है, लेकिन यह राहत इतनी कम है कि उसे “गर्म तवे पर पानी के छींटे” जैसा ही कहा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल सहायता नहीं पहुंचाई गई, तो अगले 48 घंटों में 14,000 बच्चों की जान जा सकती है.

7 अक्टूबर से शुरू हुई तबाही की नई लहर (Israel Gaza Conflict)

7 अक्टूबर को हमास ने इजरायली नागरिकों पर बड़ा हमला किया, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई और सैकड़ों को बंधक बना लिया गया. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर जबरदस्त सैन्य कार्रवाई शुरू की. मार्च 2025 में गाजा पट्टी को पूरी तरह से सील कर दिया गया. तब से वहां के नागरिकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.

 Starvation Crisis
सांकेतिक फोटो

गाजा एक खुली जेल (children starvation Crisis)

गाजा पट्टी की स्थिति किसी जेल से कम नहीं है. करीब 18 साल पहले जब हमास ने यहां की सत्ता संभाली, तभी से इस क्षेत्र की नाकेबंदी शुरू हो गई थी. इजरायल ने उत्तर और पूर्व की सीमाएं सील कर दीं और वहां के एयरपोर्ट व बंदरगाह को बंद कर दिया गया. जरूरी सामान के प्रवेश पर भी कड़ी निगरानी रखी जाने लगी. मिस्र ने भी रफा बॉर्डर को सख्त नियंत्रण में रखा. इस वजह से गाजा एक ऐसी जगह बन गई है जहां न लोग बाहर जा सकते हैं और न ही कोई मदद अंदर आ सकती है.

Children Starvation Crisis
सांकेतिक फोटो

जनसंख्या घनत्व और कुपोषण दोहरी मार (Israel Gaza conflict)

गाजा केवल 40 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग 6000 लोग रहते हैं. ऐसे में खाद्य और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी यहां भयानक असर डाल रही है. यूएन के मानवाधिकार प्रमुख टॉम फ्लेचर का कहना है कि अगर फौरन मदद नहीं पहुंचाई गई, तो हजारों बच्चों की जान जा सकती है.

14 Thousand Children Starvation Crisis
सांकेतिक फोटो

इजरायल ने दबाव में आकर कुछ राहत जरूर दी है, लेकिन यह नाकाफी है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा को रोजाना कम से कम 500 ट्रकों की जरूरत है, जबकि इजरायल फिलहाल केवल 5 से 10 ट्रकों को ही प्रवेश की अनुमति दे रहा है. ऐसे में गाजा की स्थिति हर दिन बदतर होती जा रही है.

बच्चे इस जंग के सबसे बड़े पीड़ित (starvation Crisis in Gaza)

गाजा की सरकार ने हाल ही में बताया कि तीन लाख बच्चे भुखमरी के कगार पर हैं और करीब 11 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो चुके हैं. वयस्कों की स्थिति भी अच्छी नहीं है हर पांच में से एक व्यक्ति भुखमरी से जूझ रहा है. भुखमरी केवल भोजन की कमी नहीं, बल्कि लंबे समय तक जरूरी पोषण न मिलने की स्थिति है. जब इंसान खाना नहीं खाता तो शरीर पहले अपने फैट, फिर मांसपेशियों और अंततः हड्डियों से ऊर्जा लेने लगता है. यह स्थिति बच्चों के लिए और भी खतरनाक होती है क्योंकि उनके शरीर की विकास प्रक्रिया तेज होती है. अलजज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक 9,000 बच्चे गंभीर कुपोषण के कारण अस्पताल पहुंच चुके हैं, जिनमें ज्यादातर दो साल से कम उम्र के हैं. इस उम्र में बच्चों के दिमाग का विकास होता है और पोषण की कमी उनका भविष्य भी प्रभावित कर सकती है.

Starvation Crisis In Gaza Due To Israel Gaza Conflict
सांकेतिक फोटो

इजरायल का पक्ष और अंतरराष्ट्रीय कानून

इजरायल का दावा है कि गाजा में कोई खाद्य संकट नहीं है और जब तक हमास की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आती, तब तक नाकेबंदी जारी रहेगी. हालांकि इजरायल ने कुछ ट्रकों को अंदर जाने की अनुमति दी है, लेकिन ये राहत ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है. जेनेवा कन्वेंशन 1949 और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के मुताबिक युद्ध के दौरान नागरिकों को भूखा रखना वॉर क्राइम की श्रेणी में आता है. ICC और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने इजरायल पर इस तरह की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है, जिसे वे हमास पर दबाव बनाने का तरीका मानते हैं.

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क्या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कुछ कर सकती हैं?

हालात की गंभीरता को देखते हुए ICC ने हाल ही में हमास के नेता मोहम्मद दैफ और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. लेकिन असली मुश्किल यह है कि इजरायल ICC का सदस्य नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेश की वहां कोई कानूनी वैधता नहीं है. यही स्थिति संयुक्त राष्ट्र की है वह चेतावनियां तो दे रहा है लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा.

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गाजा-इजरायल संघर्ष अब केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि एक मानवीय आपदा बन चुका है. हजारों बच्चों की जान खतरे में है और लाखों लोग जीवन की बुनियादी जरूरतों से वंचित हैं. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्या महज चेतावनियां देकर वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेंगी या वाकई कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे? इस सवाल का जवाब आने वाला वक्त ही देगा, लेकिन तब तक गाजा के लोगों की पीड़ा बढ़ती ही जा रही है.