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पाकिस्तान में होने वाला है तख्तापलट! क्यों होने लगी अचानक चर्चा


Operation Sindoor: भारत द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर में मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. देश की सिविलियन सरकार और सेना के बीच ताकत का संतुलन तेजी से सेना की ओर झुकता दिख रहा है. इसकी ताज़ा मिसाल मंगलवार को तब देखने को मिली जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को देश की सर्वोच्च सैन्य पदवी फील्ड मार्शल से नवाज दिया. यह पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में दूसरी बार हुआ है, जब किसी सेना प्रमुख को यह पदवी मिली है. इससे पहले 1959 में जनरल मोहम्मद अयूब खान को यह रैंक दी गई थी.

क्या पाकिस्तान फिर से सैन्य शासन की ओर?

जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने के पीछे का समय और राजनीतिक संदर्भ इस कदम को बेहद अहम बनाता है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मात खाने के बाद पाकिस्तान की सेना ने न केवल रणनीतिक रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी सिविल सरकार पर पकड़ मजबूत कर ली है. अब यह अटकलें तेज़ हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर परदे के पीछे से सेना द्वारा नियंत्रित सैन्य शासन की दिशा में बढ़ रहा है.

अयूब खान बनाम आसिम मुनीर

1958 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल अयूब खान ने तख्तापलट कर सत्ता हथियाई और अगले वर्ष खुद को फील्ड मार्शल घोषित कर दिया. वह 1969 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहे. अयूब का सैन्य करियर विवादों से भरा था और उनकी नियुक्ति को आलोचकों ने “स्व-प्रेरित पदोन्नति” करार दिया था.

वहीं जनरल मुनीर की फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नति सिविलियन सरकार द्वारा की गई है, लेकिन इसे एक राजनीतिक मजबूरी और सेना के दबाव में लिया गया निर्णय माना जा रहा है. मुनीर अब भी सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं, जो उन्हें अयूब खान से अलग बनाता है, लेकिन यही तथ्य उनकी सत्ता में गहरी पैठ को भी दर्शाता है.