S. Jaishankar: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के तालिबान कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीन खान मुत्ताकी के बीच 15 मई को फोन पर बातचीत हुई, इस बातचीत का मुख्य केंद्र भारत और अफगान के रिश्ते, आपसी सहयोग और पहलगाम आतंकवादी हमला रहा. यह पहला मौका था जब तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत और अफगानिस्तान के बीच बातचीत हुई. इससे पहले जनवरी में तालिबान विदेश मंत्री और भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री की मुलाकात दुबई में हुई थी. फोन पर हुई इस बातचीत के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट डालकर इसकी जानकारी दी.
विदेश मंत्री ने पोस्ट में क्या लिखा?
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि “आज शाम कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी से अच्छी बातचीत हुई थी. उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की, इसके लिए मैं उनका आभार जताता हूं.” पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी. जिसके बाद भारत द्वारा हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदुर चलाया गया. इस ऑपरेशन के तहत आतंकवादियों के कुल 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया था.
मुत्ताकी ने सभी अफवाहों को किया खारिज
जयशंकर ने बताया कि मुत्ताकी ने उन अफवाहों को सिरे से खारिज किया, जिन्हें भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में फुट डालने के मकसद से फैलाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मुत्ताकी ने इस आरोप को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि भारत ने तालिबान को ‘फर्जी हमला’ करने के लिए इस्तेमाल किया.
बातचीत में जयशंकर ने अफगान जनता के साथ भारत की पारंपरिक दोस्ती और विकास में सहयोग जारी रखने की इच्छा जताई. वहीं तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों देशों के बीच व्यापार, कूटनीतिक संबंध और चाबहार पोर्ट के उपयोग को लेकर बातचीत हुई. मुत्ताकी ने भारत को एक अहम पड़ोसी और क्षेत्रीय शक्ति बताया है. उन्होंने अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए वीजा प्रक्रिया आसान करने की अपील की, साथ ही भारत में बंद अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी की मांग भी रखी. विदेश मंत्री जयशंकर ने आश्वासन दिया है कि इन सभी मुद्दों पर भारत गंभीरता से ध्यान देगा और उचित कदम उठाएगा.
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