Bangladesh Hindu Leader: बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार 6 मई को हिंदू समुदाय के प्रमुख नेता चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Krishna Das) को 4 नए मामलों में गिरफ्तार किए जाने का आदेश दिया है. यह आदेश उस वक्त आया है जब ठीक एक दिन पहले उन्हें एक हत्या के मामले में गिरफ्तार दिखाने का निर्देश दिया गया था. चिन्मय दास इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के पूर्व पदाधिकारी रह चुके हैं और पिछले कुछ समय से विवादों के केंद्र में हैं.
सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, यह आदेश चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एसएम अलाउद्दीन महमूद ने एक ‘वर्चुअल’ सुनवाई के बाद दिया. दास को नवंबर 2023 में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उस समय गिरफ्तार किया गया था जब उन पर राष्ट्रीय ध्वज का कथित अपमान करने और देशद्रोह फैलाने का आरोप लगाया गया. इसके बाद चटगांव की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया था. उनकी गिरफ्तारी के विरोध में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए थे, जिनमें ढाका समेत देश के अन्य हिस्से शामिल हैं. अनुयायियों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए व्यापक विरोध दर्ज कराया.
नवीनतम चार मामलों में जिनमें उन्हें गिरफ्तार दिखाने का आदेश दिया गया है, वे चटगांव के कोतवाली थाने में दर्ज हैं. इन मामलों में पुलिस के कार्य में बाधा डालने, वकीलों पर हमला करने और अदालत में आने वाले आम नागरिकों के साथ मारपीट करने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. सहायक लोक अभियोजक मोहम्मद रेहानुल वाजेद चौधरी ने अदालत में बताया कि इन घटनाओं से कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचा.
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बीडी न्यूज24 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने अभियोजन पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है और चिन्मय दास को चारों मामलों में गिरफ्तार दिखाने का निर्देश दिया है. चूंकि मामला संवेदनशील है और उनकी सुरक्षा एक बड़ी चिंता है, इसलिए दास को वर्चुअल माध्यम से अदालत में पेश किया गया.
इससे पहले सोमवार को अदालत ने एक और मामले में—सहायक सरकारी अभियोजक सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या—दास की गिरफ्तारी का आदेश दिया था. यह हत्या नवंबर 2023 में हुई हिंसा के दौरान हुई थी, जब दास की गिरफ्तारी के विरोध में देशभर में हिंसक प्रदर्शन भड़के थे. हत्या धारदार हथियार से की गई थी.
हालांकि उच्च न्यायालय की एक पीठ ने 30 अप्रैल को दास को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन यह आदेश लंबा नहीं चला. सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय डिवीजन के चैंबर न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेजाउल हक ने इस फैसले पर रोक लगा दी, जिससे उनकी रिहाई पर फिलहाल विराम लग गया है. सुरक्षा की दृष्टि से चटगांव अदालत परिसर और जेल के बाहर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. स्थिति पर प्रशासन की कड़ी नजर बनी हुई है.
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