नरेंद्र मोदी मेरे मौसी के बेटे नहीं, मैं इंग्लैंड भाग जाऊंगा, किस नेता के बयान से पाकिस्तान में मची खलबली
India Attacks Pakistan: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. इस हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. भारत ने सुरक्षा और रणनीतिक कारणों से पाकिस्तान पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें पाकिस्तान से सभी प्रकार के आयात पर रोक, पाकिस्तानी स्वामित्व वाले जहाजों को भारतीय बंदरगाहों पर डॉक करने से मना करना और देश में पाकिस्तानी डाक और पार्सलों के प्रवेश पर प्रतिबंध शामिल हैं.
भारत की इन तैयारियों और कड़े कदमों से पाकिस्तान की सरकार और नेता दबाव में आ गए हैं. इस बीच पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य शेर अफजल खान मारवत के एक बयान ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. जब एक रिपोर्टर ने उनसे सवाल किया कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ जाए तो वे क्या करेंगे, तो मारवत ने मजाकिया अंदाज में कहा, “अगर युद्ध बढ़ा तो मैं इंग्लैंड चला जाऊंगा.” यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था पर लोगों ने जमकर तंज कसे. कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि जब नेताओं को अपनी ही सेना पर भरोसा नहीं है, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे?
इसी बातचीत के दौरान जब रिपोर्टर ने पूछा कि क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तनाव कम करने के लिए संयम बरतना चाहिए, तो मारवत ने व्यंग्य करते हुए कहा, “मोदी क्या मेरा खाला का बेटा है जो मेरे कहने से पीछे हट जाएगा?” उनके इस बयान ने एक और बहस को जन्म दे दिया.
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शेर अफजल खान मारवत कभी इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से जुड़े हुए थे, लेकिन हाल के समय में उन्होंने पार्टी और उसके नेतृत्व की तीखी आलोचना की थी. इसके चलते इमरान खान ने उन्हें पार्टी के कई अहम पदों से हटा दिया.
इस बीच पाकिस्तान की सेना ने शनिवार रात फिर से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, पुंछ, राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर जैसे कई सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी कर संघर्षविराम का उल्लंघन किया. यह लगातार दसवीं रात है जब पाकिस्तान की ओर से सीजफायर तोड़ा गया. भारतीय सेना ने तुरंत और सटीक जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाया. इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी बढ़ गई है.
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